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रेलों के संचालन और यात्री सुविधा को बेहतर बनाने के लिए भारतीय रेल ने विभिन्‍न आईटी पहलों की शुरुआत की

देश-विदेश

नई दिल्ली: भारतीय रेल ट्रेनों के संचालन और यात्री सुविधा को बेहतर बनाने के लिए नई तकनीकों को अपनाने में हमेशा से अग्रणी रहा है। इसी क्रम में भारतीय रेल ने सूचना प्रौद्योगिकी के विभिन्‍न पहलों की शुरुआत की है। प्रमुख पहल हैं –

नए तकनीक के माध्‍यम से रेलों की जानकारी रखना :

भारतीय रेल जीपीएस उपकरणों की मदद से रेलों की जानकारी रखता है। इस प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए और एक सतत समाधान के लिए वास्‍तविक समय रेल जानकारी प्रणाली (आरटीआईएस) को लागू किया गया है। इस प्रणाली के तहत जीपीएस उपकरण उपग्रह संचार का उपयोग करते हुए जानकारी भेजेंगे। इसके परीक्षण सफल रहे हैं।

स्‍टेशन मास्‍टर द्वारा दी जाने वाली जानकारी को कम्‍प्‍यूटरीकृत करने के लिए ट्रेन सिग्‍नल रजिस्‍टर को 650 स्‍टेशनों पर लागू किया गया है। इसके तहत स्‍टेशन मास्‍टर के टेबल से ट्रेनों के आगमन/ प्रस्‍थान की जानकारी सीधे नियंत्रण कार्यालय अनुप्रयोग (सीओए) और राष्‍ट्रीय रेल जानकारी प्रणाली (एनटीईएस) तक पहुंच जाएगी।

ट्रेनों पर हाथ में रखे जाने वाले उपकरण :

ट्रेन टिकट परीक्षकों को हाथ में रखे जाने वाले उपकरण (एचएचटी) दिए जा रहे हैं ताकि वे आरक्षित कोचों की जांच कर सकें, खाली बर्थों को आवंटित कर सकें तथा उपलब्‍ध सीटों/बर्थों की जानकारी अगले स्‍टेशनों तक भेज सकें। एचएचटी उपकरण से टिकट अनुप्रयोग तथा अतिरिक्‍त किराया संग्रह का कार्य भी किया जा सकता है।

टिकट वेबसाइट का आधुनिकीकरण (आईआरसीटीसी) :

पिछले चार वर्षों के दौरान वेबसाइट की क्षमता 2,000 टिकट प्रति सेकेंड (2014) से बढ़कर 20,000 टिकट प्रति मिनट हो गई है। क्षमता में 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके अलावा उपयोगकर्ताओं की सुविधा और आसानी के लिए वेबसाइट में कई नए फीचर्स जोड़े गए हैं।

मोबाइल फोन के माध्‍यम से पेपरलेस अनारक्षित टिकट :

25 दिसम्‍बर, 2014 को मुम्‍बई में मोबाइल फोन पर पेपरलेस अनारक्षित टिकट की शुरुआत हुई। इस सुविधा का मुम्‍बई, चेन्‍नई, कोलकाता और सिकन्‍दराबाद के उप-नगरीय खंडों तथा दिल्‍ली–पलवल रेल खंड में विस्‍तार किया गया है। रेलों के अनारक्षित डिब्‍बों में यात्रा करने के लिए यात्रियों को अब टिकट लाइन में खड़े होकर टिकट लेने की आवश्‍यकता नहीं है। मोबाइल फोनों पर क्‍यूआर कोड के साथ टिकट उपलब्‍ध करा दिए जाते हैं। इससे यात्रियों को बहुत सुविधा हुई है। लगभग चार लाख यात्री प्रतिदिन मोबाइल फोनों पर टिकट प्राप्‍त कर रहे हैं।

समय अवधि मोबाइल पर अनारक्षित टिकट प्राप्‍त करने का औसत
2014-18 2014-15 :   195 टिकट प्रतिदिन

2015-16 : 1929 टिकट प्रतिदिन

2016-17 : 7257 टिकट प्रतिदिन

2017-18 : 16223 टिकट प्रतिदिन

2018-19 67000 टिकट प्रतिदिन

भारतीय रेल ई-खरीद प्रणाली (आईआरईपीएस) :

वस्‍तुओं, सेवाओं व कार्यों की पूरी निविदा प्रक्रिया आईआरईपीएस पर उपलब्‍ध है। इसमें स्‍क्रैप बिक्री की ई-नीलामी भी शामिल है। इस प्रक्रिया से पारदर्शिता, कुशलता और व्‍यापार को आसान बनाने के लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने में सहायता मिली है। 2017-18 के दौरान 1,50,000 करोड़ रुपये मूल्‍य की 4,44,000 ई-निविदाएं जारी की गईं। ई-नीलामी के माध्‍यम से 2800 करोड़ रुपये मूल्‍य के स्‍क्रैप की बिक्री हुई। आईआरईपीएस वेबसाइट पर 90,000 विक्रेताओं ने पंजीकरण कराया है। केन्‍द्रीय सतर्कता आयोग ने इस प्रणाली को सतर्कता उत्‍कृष्‍टता पुरस्‍कार-2017 प्रदान किया है।

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