नई दिल्लीः लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन ने कहा है कि 3आर के सिद्धांत- रिड्यूस (कम करना), रीयूज (दोबारा इस्तेमाल) और रीसाइकल (पुन: चक्रण)-हमेशा से भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग हैं। जैव विविधता, स्थायी जीविका की रक्षा और प्रकृति के साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व भारतीय जीवन के मार्गदर्शी सिद्धांत रहे हैं और हमेशा से प्राचीन शिक्षा के धर्म ग्रंथ रहे हैं।
8वें क्षेत्रीय 3आर फोरम का आज यहां उद्घाटन करते हुए श्रीमती सुमित्रा महाजन ने इसमें भाग ले रहे महापौरों और निगमायुक्तों को याद दिलाया कि 3आर की अवधारणा को बढ़ावा देने के लिए उन पर अपने शहरों की सफाई को बनाए रखने की जिम्मेदारी है। उन्होंने उद्योगों से जुड़े निजी क्षेत्रों के प्रतिनिधियों और उद्यमियों से अपील की कि वे स्वच्छ भारत मिशन में सक्रिय रूप से भाग लें और 3आर के सिद्धांतों को अपने व्यवसाय में अपनाएं। उन्होंने स्वच्छता और स्थायी विकास के उद्देश्य को हासिल करने के लिए लोगों की सक्रिय भागीदारी पर जोर दिया।
इस अवसर पर आवास और शहरी मामलों के राज्य मंत्री श्री हरदीप एस. पुरी, जापान की पर्यावरण मंत्री श्री तादाहीको इतो, यूएन डीईएसए के स्थायी विकास प्रभाग में आर्थिक मामलों की वरिष्ठ अधिकारी सुश्री ब्रिगिती ब्रिल्द; मध्य प्रदेश की शहरी विकास मंत्री श्रीमती माया सिंह और आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय में सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्र भी मौजूद थे।
श्री हरदीप पुरी ने ठोस कचरे के शत प्रतिशत वैज्ञानिक प्रबंधन की दिशा में बढ़ने की सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया, जो महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत मिशन का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसकी शुरूआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कल्पना के साथ की गई है। स्वच्छ भारत मिशन नियम 2016 का पालन सुनिश्चित करने के लिए की गई पहलों की जानकारी देते हुए श्री पुरी ने बताया कि उनका मंत्रालय कचरे के वैज्ञानिक प्रबंधन को बढ़ावा दे रहा है। इसके लिए 3आर के सिद्धांतों का पालन करते हुए व्यवहार संबंधी बदलाव की दिशा में पहल की जा रही है, जिसमें परम्परागत जनसंचार और आपसी संपर्कों के जरिए संदेश पहुंचाना शामिल है। उन्होंने जानकारी दी कि :-
o आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय परिवारों के स्तर पर और बड़े पैमाने पर फैलने वाले कचरे को स्रोत पर ही अलग-अलग करने की संकल्पना को बढ़ावा दे रहा है, ताकि लैंडफिल तक पहुंचने वाले कचरे की कुल मात्रा को न केवल कम किया जा सके, बल्कि कचरा प्रसंस्करण संयंत्रों तक जाने वाले कचरे की गुणवत्ता में सुधार हो सके।
o आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय कचरा उत्पन्न करने वालों के बीच विकेन्द्रीकृत कूड़े से बनने वाली खाद की एक किस्म को तेजी से बढ़ावा दे रहा है। वह गीले कचरे को उसी स्थान पर प्रसंस्कृत करने के कार्य में लगा हुआ है।
o साथ ही मंत्रालय सूखे कचरे का पुन:चक्रण करने और उसके दोबारा इस्तेमाल को प्रोत्साहन दे रहा है।
उन्होंने कहा कि स्वच्छ सर्वेक्षण में सबसे साफ शहर बनने की शहरों के बीच होड़ में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ावा मिला है। पहला सर्वेक्षण 73 शहरों का किया गया, जबकि दूसरे दौर का सर्वेक्षण 434 शहरों में हुआ। स्वच्छ सर्वेक्षण 2018 में 4203 शहरों को शामिल किया गया है और परिणाम की प्रतीक्षा है। मंत्रालय ने कचरा मुक्त शहरों के लिए स्टार रेटिंग प्रोटोकॉल शुरू किया है, ताकि शहरों को कचरा मुक्त दर्जा हासिल करने के लिए प्रेरित किया जा सके।
जापान के पर्यावरण मंत्री श्री तादाहीको इतो ने कहा कि स्वच्छ इंदौर शहर 3आर फोरम की मेजबानी के लिए सबसे उपयुक्त है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत और जापान स्थायी विकास और 3आर के सिद्धांतों के समान मूल्यों को साझा करते हैं।
मध्य प्रदेश की शहरी विकास मंत्री श्रीमती माया सिंह ने कहा कि राज्य सरकार अपने शहरों में कचरा प्रबंधन नीतियों में 3आर के सिद्धांतों के जरिए स्थायी विकास के एजेंडा पर जोर दे रही है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश कचरा मुक्त समाज के उद्देश्य को सकारात्मक तरीके से लागू कर रहा है।
3आर फोरम का विवरण देते हुए आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय में सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्र ने जानकारी दी कि 3आर फोरम जापान सरकार और संयुक्त राष्ट्र क्षेत्रीय विकास केन्द्र द्वारा तैयार किया गया है, ताकि नीति, योजना और विकास की प्रक्रियाओं तथा आकार देने की रणनीतियों में 3आर मुद्दों पर सामूहिक विचार-विमर्श के लिए एशिया-प्रशांत देशों को शामिल किया जा सके। श्री मिश्र ने कहा कि भारतीय संस्कृति और जीवन का स्वरूप हजारों वर्षों में बना है और यह हमारे वेदों और धर्मग्रंथों से प्रभावित है, जो 3आर की संकल्पना के उद्धरणों से परिपूर्ण है, जो प्राचीन भारत की परम्परागत परिवेशी आचार नीति को प्रकट करती है।
3आर फोरम के अवसर पर ‘कंजर्वेशन इन लाइफ स्टाइल : इंडियन हैरिटेज’ शीर्षक से एक पुस्तक का भी विमोचन किया गया, जिसमें भारत की प्राचीन पुस्तकों, धर्मग्रंथों में 3आर की संकल्पना के विभिन्न संदर्भों की तुलना की गई है। पुस्तक में भारतीय समाज की विभिन्न परम्पराओं का विवरण दिया गया है।