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15वें वित्त आयोग की भारतीय रिजर्व बैंक के साथ बैठक

देश-विदेश

नई दिल्ली: 15वें वित्त आयोग के चैयरमेन श्री एन.के. सिंह ने मुम्बई में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर और डिप्टी गवर्नरों के साथ विस्तृत बैठक की।

बैठक में आरबीआई गवर्नर श्री शक्तिकांत दास तथा वित्त आयोग के चैयरमेन श्री एन.के. सिंह ने प्रमुख मसलों पर विस्तार चर्चा की। कुछ प्रमुख मुद्दें निम्न हैं-

  • संबंधित राज्य सरकारों के लिए राज्य वित्त आयोगों के गठन की आवश्यकता।
  • सार्वजनिक क्षेत्र वित्तीय ऋण की आवश्यकता।
  • वित्त आयोग की निरंतरता- यह राज्यों की वित्तीय प्रबंधन जरूरतों के लिए आवश्यक है विशेषकर वर्तमान स्थिति में जब मध्यावधि समीक्षा नहीं हुई है क्योंकि पहले यह योजना आयोग के द्वारा की जाती थी।
  • परिव्यय संहिता की आवश्यकता, क्योंकि परिव्यय कानूनों में राज्य के अनुसार अंतर होता है।
  • विकास और मंहगाई दर में राज्यों की भूमिका। उदाहरण के लिए व्यापार में आसानी के संबंध में राज्यों की भूमिका।

आरबीआई ने वित्त आयोग के समक्ष 2019-20 के लिए राज्य सरकार वित्त विषय पर विस्तृत प्रस्तुति दी। प्रमुख तथ्य निम्न हैं-

  • सरकारी वित्त की संरचना में हुए बदलाव के कारण अर्थव्यवस्था में राज्यों की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण हुई है।
  • 2019-20 के बजट अनुमानों में राज्यों के वित्तीय घाटे को निम्न स्तर पर रहने की बात कही गई थी परन्तु संशोधित अनुमान और वास्तविक स्थिति पृथक है।
  • कुछ विशिष्ट कारकों से वित्तीय असंतलुन होता है। ऐसे कारकों में ‘उदय’ (यूडीएवाई) और कृषि कर्ज माफी तथा आय समर्थन योजना आदि शामिल हैं। (2018-19 आरई)
  •  जीडीपी की तुलना में ऋण प्रतिशत बढ़ रहा है, जबकि ब्याज अदायगी को उदार बनाया गया है।

आरबीआई ने राज्य सराकरों द्वारा बाजार से ऋण प्राप्त करने की चुनौतियों के मामले में भी प्रस्तुति दी। इस प्रस्तुति के प्रमुख मुद्दें निम्न हैं-

  • राज्य सराकारों द्वारा बाजार से ऋण प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करना।
  • द्वितीयक बाजार नकदी को बेहतर बनाना।
  • ऋण संतुलन- एडीएम को समाप्त करना, एसडीएल का मूल्यांकन।
  • सीएसएफ/जीआरएफ कोष को मजबूत करना- कोष को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन।
  • नकद प्रबंधन- राज्यों द्वारा नकद क्षमता को बेहतर बनाना, राज्यों द्वारा अल्प अवधि के ऋणों के लिए बेहतर अवसरों के निर्माण का अनुरोध।
  • प्रकटीकरण- महत्वपूर्ण आंकड़ों, बजट तथा वित्तीय आंकड़ों को सामने रखना।

वित्त आयोग मुम्बई में बैंकों, वित्तीय संस्थानों और अर्थशास्त्रियों के साथ बैठकें आयोजित करेगा।

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