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संसद का इस्तेमाल परस्‍पर राजनीतिक मतभेदों से निपटने में नहीं किया जाना चाहिए: उपराष्ट्रपति

देश-विदेश

नई दिल्ली: भारत के उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि संसद को राजनीतिक विवादों का निबटारा करने का अखाड़ा नहीं बनाना चाहिए। वे आज कोलकाता में कोलकाता चैम्‍बर ऑफ कॉमर्स के 187 वें वार्षिक समारोह के अवसर पर ‘भारत में संसदीय लोकतंत्र का जीर्णोद्धार’ विषय पर सेमिनार को संबोधित को संबोधित कर रहे थे।

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि राजनीतिक दलों को इस बात पर गंभीर अंतर्मंथन करना चाहिए कि संसद राजनीतिक विवाद के बिन्‍दुओं का समाधान करने का मंच नहीं बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने के अलावा कोई विकल्‍प नहीं है कि संसद देश में शांति, प्रगति और खुशहाली को बढ़ावा देने में कारग़र ढंग से काम करे।

उन्‍होंने हाल के दिनों में देश में संसदीय कार्यप्रणाली की विभिन्‍न हलकों में हुई आलोचना पर चिंता प्रकट की।  उन्‍होंने कहा कि स्‍वयं सांसदों ने भी इस प्रणाली की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि इस आलोचना का कारण संसद और राज्‍य विधान मंडलों के कामकाज का तरीका है। इसकी वजह यह है कि हाल के वर्षों में संसदीय कार्य में मात्रात्‍मक और गुणात्‍मक दोनों ही दृष्टि से गिरावट आयी है।

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि संसदीय सत्र के दौरान व्‍यवधान गंभीर चिंता का विषय है। श्री नायडू ने कहा कि वर्तमान में ‘स्‍वस्‍थ बहस और विचार-विमर्श तथा संसद की विश्‍ववसनीयता’ जैसे मूल्‍यों पर व्‍यवधान, टकराव और सदन को जबरन स्‍थगित कराने जैसे कुप्रवृत्तियां हावी होती जा रही हैं। उन्‍होंने कहा कि महत्वपूर्ण विषयों पर राजनीतिक पार्टियों के बीच आम सहमति बनाने की आवश्‍यकता जिससे संसद का मूल्‍यवान समय बचाया जा सकता है।

उपराष्‍ट्रपति के भाषण का सारांश इस प्रकार है :

  कोलकाता चैम्‍बर ऑफ कॉमर्स के 187 वें वार्षिक समारोह में हिस्सा लेते हुए मुझे अत्‍यन्‍त हर्ष हो रहा है। इसकी स्थापना 5 जुलाई 1830 को हुई थी और उस समय इसका नाम कोलकाता ट्रेडर्स असोसिएशन था।

1977 में कोलकाता ट्रेडर्स असोसिएशन को ”कोलकाता चैम्‍बर्स ऑफ कॉमर्स” का नाम दिया गया। मुझे खुशी है कि यह संगठन पिछले 180 से अधिक वर्षों से कोलकाता और देश के विकास में योगदान कर रहा है। मुझे यह जानकार खुशी हुई कि कोलकाता चैम्‍बर ऑफ कॉमर्स जरूरतमंद और प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप, वजीफे और पुरस्‍कार प्रदान करता है।

मैं इस फाउंडेशन की इस बात के लिए सराहना करता हूं कि वह प्रतिभाशाली पुरुष एवं महिला खिलाडि़यों को ”प्रभा खेतान पुरस्‍कार” से सम्‍मानित करती है।

मैं आपके संगठन से अपील करता हुं कि कॉर्पोरेट सामाजिक गतिविधियों के अंतर्गत अपनी गतिविधियों का विस्‍तार करें और विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में भी शहरी सुविधाएं प्रदान किए जाने में सहायता करें।

संसदीय लोकतंत्र का जीर्णोद्धार

संसद भारत के लोकतंत्र का केन्‍द्र बिन्‍दु है और वह लोगों के हितों तथा अधिकारों की संरक्षक है। यह लोकतंत्र का मंदिर है और एक पवित्र सार्वजनिक संस्‍थान है। पिछले वर्षों में भारत का लोकतंत्र परिपक्‍व हुआ है।

भारत की लोकतांत्रिक राजनीति में संसद सर्वाधिक ध्रुवीय संस्थान है। हाल के दिनों में देश में संसदीय कार्यप्रणाली की विभिन्‍न हलकों में आलोचना हुई है। स्‍वयं सांसदों ने भी इस प्रणाली की आलोचना की है। इस आलोचना का कारण संसद और राज्‍य विधान मंडलों के कामकाज का तरीका है। इसकी वजह यह है कि हाल के वर्षों में संसदीय कार्य में मात्रात्‍मक और गुणात्‍मक दोनों ही दृष्टि से गिरावट आयी है।

मित्रों मेरा यह मानना है कि लोगों की सार्वभौम इच्‍छा का प्रतिनिधित्‍व करने वाली संसद की भूमिका को सुदृढ़ करने के लिए तत्काल सुधारों की आवश्‍यकता है। लोकतंत्र का अस्तित्‍व  बनाए रखने के लिए भी यह अत्‍यन्त आवश्‍यक है कि संसद का लोगों के दिलो दिमाग पर एक सम्‍मानित स्‍थान कायम रहे।”

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