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संभल पुलिस की तरफ से दर्ज प्राथमिकी पर सुदर्शन न्यूज के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके की प्रतिक्रिया

संभल पुलिस की तरफ से दर्ज प्राथमिकी पर सुदर्शन न्यूज के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके की प्रतिक्रिया
उत्तर प्रदेश

“सुदर्शन न्यूज ने संभल में पुलिसकर्मियों के खिलाफ राष्ट्रविरोधी तत्वों की कारस्तानी को पूरे सबूतों के साथ दिखाया है। यह भी दिखाया है कि किस तरह दीपा सराय में कट्टरपंथियों ने कुरान की बेअदबी का बहाना बनाकर पुलिस कर्मियों की घेरकर पिटाई की। जबकि सचाई ये थी कि पुलिसकर्मी गोकशी के खिलाफ कार्रवाई के लिए दीपा सराय मोहल्ले में दाखिल हुए थे।” ये प्रतिक्रिया सुदर्शन न्यूज़ के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके की ओर से आई है जिन्हें हाल ही में संभल के जामा मस्जिद (हरिमंदिर)के मुखिया और कांग्रेस के जिला महासचिव इशरत बाबर की ओर से धमकी आई कि अगर वो  संभल में घुसे तो उनका सिर कलम कर दिया जाएगा।

चव्हाणके ने आगे बताया कि पुलिस ने अपने खिलाफ हमले के बावजूद कोई एफआईआर उन गुंडों के खिलाफ नहीं दर्ज की जो पत्थरबाजी और मारपीट के लिए जिम्मेदार थे। बल्कि सुदर्शन न्यूज की संभल पर दिखाई गई खबरों को संज्ञान में लिया और उनके ही खिलाफ एफआईआर दर्ज कर लिया। हालांकि सुदर्शन न्यूज़ की खबर के बाद पुलिस हरकत मे आई और कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया और प्रशासिनक अधिकारियों के तबादले भी किए गए। सुरेश चव्हाणके ने सवाल उठाया कि क्या संभल भारत का हिस्सा नहीं है ? क्या वहां जाने के लिए किसी की इजाज़त लेनी होगी? उन्होंने सवाल किया कि हमने एक पत्रकार होने के नाते संभल की वस्तुस्थिति से लोगों को अवगत कराया, ऐसे में अगर हमें संभल में ज़ख्मी पुलिस अधिकारियों का हाल लेने और धार्मिक पर्यटन और दर्शन की इजाज़त नहीं दी जाती तो क्या मेरे अधिकारों का हनन नहीं है? सुरेश चव्हाणके ने इस बात का भी ज़िक्र किया कि संभल में हरिमंदिर का उल्लेख उत्तर प्रदेश सरकार के गजेटियर में है, अगर मैंने उसका मुद्दा चैनल में उठाया तो क्या गुनाह किया ? उन्होंने अपने खिलाफ हुए एफआईआर का ज़िक्र करते हुए कहा कि क्या कभी किसी ने ,ना है कि किसी राष्ट्रीय चैनल में पूरे सबूत के साथ चलाए गए कंटेंट के ऊपर एक थाने के एसएचओ ने एफआईआर दर्ज किया है ? तो सुदर्शन पर कैसे हुआ ? ये दर्शाता है कि पुलिस , योगी राज आने के बावजूद कांग्रेस-समाजवादी पार्टी और बंदे मातरम का अपमान संसद में करने वाले शफीकुर्रहमान वर्क और उनके नेता ओवैसी की पार्टी के दबाव में हैं। यह कार्रवाई योगी सरकार को बदनाम करने का हिस्सा है। इसलिए इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। रही बात हमारे संभल जाने की , तो बैसाखी के पावन पर्व पर संभल जाने की, तो उस दिन दोपहर 1 बजे मैं संभल जाउंगा। मेरी अपेक्षा है कि मीडिया पर हुए इस हमले के खिलाफ अन्य मीडियाकर्मी और मीडिया हाउसेज़ मेरा साथ देंगे।

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