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शातिर एवं पेशेवर अपराधियों को सजा कराने के बारे अभियोजन विभाग ने किया एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन

शातिर एवं पेशेवर अपराधियों को सजा कराने के बारे अभियोजन विभाग ने किया एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन
उत्तर प्रदेश

लखनऊः अभियोजकों में दक्षता एवं कौशल वृद्धि के उद्देेश्य से ’’शातिर एवं पेशेवर अपराधियों को सजा कराने के बारे में विचार’’ विषयक एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन आज संगीत नाट्य अकादमी गोमती नगर, लखनऊ में अभियोजन विभाग द्वारा किया गया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए श्री बृजेष पाठक, विधि एवं न्याय मंत्री ने कहा कि अपराधियों को सजा कराने के लिए आवष्यक है कि जिस प्रकार न्यायालयों में प्राइवेट वकील अपने मामले की तैयारी कर अपना पक्ष रखते है उसी प्रकार सरकारी वकीलों को भी पूरी तैयारी के साथ अपना पक्ष न्यायालय में रखना चाहिए। इससे अधिक से अधिक मामलों में अपराधियों को सजा दिलाने में और अधिक सफलता मिलेगी, जिसके फलस्वरूप पूरे प्रदेष में अपराध मुक्त वातावरण बनाने में मदद मिलेगी।

मुख्य अतिथि श्री पाठक ने यह भी कहा कि अभियोजन अधिकारियों को दायित्व मात्र एक मुकदमें तक सीमित न होकर पूरे समाज में हो रहे अपराधों के प्रति है। इसलिए अपने दायित्वों को समझे और समाज के गरीब व पीड़ित व्यक्तियों को न्याय दिलाने के लिए उनका पक्ष पूरी तैयारी के साथ रखें। जब आप एक अपराधी कोे सजा दिलातें है तोे पूरे समाज में सकारात्मक संदेष जाता है कि अपराध करने पर सजा अवष्य होगी और तभी भयमुक्त समाज की परिकल्पना साकार होगी।

इस अवसर पर सभी जिलों के विशेष न्यायालय गैंगेस्टर एक्ट के मुकदमों का अभियोजन करने वाले अभियोजक एवं जिला शासकीय अधिवक्ता (फौ0) के साथ-साथ जनपद लखनऊ स्थित समस्त अन्वेषण इकाईयों के मुख्यालय में नियुक्त ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारियों एवं अभियोजन अधिकारियों ने इस कार्यशाला में प्रतिभाग किया। साथ ही साथ विषिश्ट अतिथि के रूप मे श्री पी0के0 श्रीवास्तव निदेषक न्यायिक प्रषिक्षण संस्थान तथा डा0 जी0के0 गोस्वामी, पुलिस महानिरीक्षक@षोध छात्र टाटा इन्सटीट्यूट आफ सोषन साइंसेस भी उपस्थित रहे।

डा0 सूर्य कुमार, पुलिस महानिदेशक अभियोजन कहा कि वर्तमान में शातिर, पेशेवर व भूमाफियाओं द्वारा नये-नये तरीकों से अपराध करने की बातें सामने आ रही है। हमारा लक्ष्य होना चाहिये कि शातिर और पेशेवर अपराधियों के खिलाफ अभियान चला कर उन्हें जेल में निरूद्ध कराया जाये। उन्होंने कहा कि प्रदेश में शान्ति व्यवस्था बनाये रखने के लिये अपराध पर पूरी तरह से नकेल कसने हेतु अभियोजन विभाग द्वारा समय-समय पर वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के समस्त परिक्षेत्रीय अपर निदेशक अभियोजन@जनपदीय संयुक्त निदेशक अभियोजन व पुलिस अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक कराई जाती है। साथ ही प्रदेश के सभी सरकारी वकीलों की बेहतर कार्यशैली के लिये अभियोजन निदेशालय के माध्यम से प्रशिक्षण कार्यक्रम भी समय-समय पर चलाये जा रहे हैं।

पुलिस महानिदेषक अभियोजन ने कहा कि अभियोजन विभाग द्वारा इसके पहले भी अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम, पाक्सो एक्ट और महिला उत्पीड़न जैसे गम्भीर विषयों पर प्रशिक्षण@कार्यशालायें आयोजित होती रही है। गिरोहबंद अधिनियम के अधीन नियमावली बनाने व प्रदेष में एकीकृत अभियोजन व्यवस्था लागू करने के साथ-साथ अभियोजकों के प्रषिक्षण हेतु प्रषिक्षण संस्थान स्थापित किये जाने का उन्होंने सुझाव रखा। इससे समय-समय पर अभियोजको@सरकारी वकीलोंं को अद्यतन विधिक ज्ञान से प्रषिक्षित किया जा सकेगा और वह उसका उपयोग कर अधिक से अधिक मुकदमें में सजा कराने में कर सकेेंगे।

डा0 सूर्य कुमार ने यह भी कहा कि अभियोजन विभाग द्वारा सक्रिय, पेशवर शातिर अपराधियों एवं भूमाफियाओं द्वारा किये गये अपराधों में सजा कराने के लिये सतत प्रयास किये गये जा रहे है। वर्ष 2016 में पेशेवर हिस्ट्रीशीटरों के 2254 मुकदमों में 3788 अपराधियों को दण्डित कराने में सफलता प्राप्त हुई है। पेशेवर अपराधी जो अपने भौतिक व आर्थिक लाभ के लिये गैंग बना कर अपराध करते हैं, ऐसे गैंगेस्टर अपराधियों के 1306 मामलों में सजा करायी गई।

कार्यशाला के समापन अवसर पर उत्कृष्ट एवं सराहनीय कार्य करने वाले प्रदेश के विभिन्न जनपदों के 09 अभियोजन अधिकारियों श्री कृश्ण कुमार “ाुक्ला, एस0एन0 यादव, भूपेन्द्र कुमार मिश्रा, महेन्द्र प्रताप वर्मा, विनोद कुमार सहगल, वचन राम, वेद प्रकाष वर्मा, दीपक कुमार सिन्हा, और “ाहनषाह आलम को प्रशस्ति पत्र व सम्मान चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

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