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मुख्यमंत्री ने बुन्देलखण्ड क्षेत्र में चल रही विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं की समीक्षा की

प्रदेश की वर्तमान विकास दर को बढ़ाने की सख्त जरूरत: श्री योगी
उत्तर प्रदेश

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने आज यहां बुन्देलखण्ड क्षेत्र की विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं की समीक्षा की। समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र में यह सुनिश्चित किया जाए कि जल की कमी किसी भी हाल में न हो। किसी इंसान, पशु-पक्षी इत्यादि को पेय जल संकट का सामना न करना पड़े। इसके लिए सारी तैयारियां कर ली जाएं। उन्होंने कहा कि किसी भी हाल में बुन्देलखण्ड से पेय जल संकट की खबरें न मिलें, अन्यथा दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे बुन्देलखण्ड क्षेत्र में चल रही विभिन्न सिंचाई योजनाओं की गहन समीक्षा करें और उन्हें तय समय से पूर्व पूरा कराएं। इन योजनाओं के तहत आवंटित धनराशि का पूर्ण उपयोग जनता के हित में किया जाए। उन्होंने बैठक में मौजूद अधिकारियों से बुन्देलखण्ड क्षेत्र में चल रही विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी ली।

बैठक के दौरान सिंचाई विभाग के अधिकारियों द्वारा मुख्यमंत्री को बुन्देलखण्ड क्षेत्र में चल रही विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं के बारे में अवगत कराया गया। इनमें अर्जुन सहायक नहर परियोजना, एरच बहुउद्देशीय बांध परियोजना, बबीना ब्लाॅक में 15 ग्रामों की पेयजल परियोजना, भौंरट बांध परियोजना, जमरार बांध परियोजना, कचनौन्दा बांध परियोजना, केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना शामिल है। अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को यह भी बताया कि पूरे बुन्देलखण्ड में 29 जलाशय मौजूद हैं, जिनमें पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध है।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि इन सभी परियोजनाओं के तहत उपलब्ध कराई गई धनराशि का पूरा उपयोग करते हुए, इन योजनाओं को शीघ्रातिशीघ्र पूर्ण किया जाए, ताकि बुन्देलखण्ड में पेयजल की समस्या से छुटकारा मिले और सिंचाई की बेहतर सुविधा भी सुनिश्चित की जा सके।

इसी बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने पूर्वांचल की बाढ़ की समस्या से निपटने की तैयारियों की भी समीक्षा की। उन्होंने कहा कि बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में पानी की कटान बहुत तेजी से होती है। ऐसे में इसे रोकने की तैयारी अभी से की जाए। उन्होंने कहा कि तटबन्धों का निर्माण ऐसे किया जाए कि पानी टकराने के बाद अपनी दिशा बदल ले। उन्होंने कहा कि बाढ़ से उत्पन्न होने वाली स्थिति का जायजा लेते हुए यदि आवश्यक हो, तो जलधारा की दिशा बदलने पर भी विचार किया जाए। बाढ़ नियंत्रण से सम्बन्धित विभिन्न परियोजनाओं के लिए आवंटित धनराशि का पूर्ण उपयोग सुनिश्चित किया जाए, ताकि बांध निर्माण तथा उनकी मरम्मत जैसे कार्य बाढ़ से पहले ही पूरे किए जा सकें। उन्होंने सभी कार्यों की वीडियोग्राफी करवाने के साथ-साथ सिंचाई विभाग के सभी वरिष्ठ अधिकारियों को कार्यों तथा विगत में बाढ़ से ग्रसित रहे क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण करने के निर्देश दिए। बैठक के दौरान सिंचाई मंत्री श्री धर्मपाल सिंह सहित सिंचाई विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

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