31 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

डीएसी ने भारतीय उद्योग जगत के जरिये रक्षा उपकरण के विकास के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाया

देश-विदेश

नई दिल्लीः रक्षा मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन की अध्‍यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की बैठक हुई और उसमें ‘मेक II’ प्रक्रिया, जो भारतीय उद्योग जगत के जरिये रक्षा उपकरण के विकास एवं विनिर्माण के लिए अनुसरण किए जाने वाले दिशानिर्देशों को निर्धारित करती है, को सरल बनाया गया। डीएसी ने सीमाओं पर तैनात टुकडि़यों की तात्‍कालिक आवश्कता की पूर्ति हेतु रक्षा बलों को सक्षम बनाने के लिए 3547 करोड़ रुपये में त्‍वरित आधार पर 72,400 असाल्‍ट राइफलों एवं 93,895 कार्बाइनों की खरीद की मंजूरी दी।

रक्षा डिजाइन एवं उत्‍पादन में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्‍साहित करने एवं ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए, परिषद ने आज रक्षा खरीद प्रक्रिया के ‘मेक II’ वर्ग में उल्‍लेखनीय बदलाव लागू किया। इस तथ्‍य पर विचार करते हुए कि ‘मेक II’ परियोजना में कोई भी सरकारी वित्‍त पोषण शामिल नहीं है, डीएसी ने न्‍यूनतम सरकारी नियंत्रण के साथ इसे उद्योग के अनुकूल बनाने के लिए प्रक्रिया को सरल बनाया। संशोधित प्रक्रिया के प्रमुख पहलू अब रक्षा मंत्रालय को अब स्‍वयं प्रेरित प्रस्‍तावों को स्‍वीकार करने में समर्थ बनाएंगे तथा स्‍टार्टअप कंपनियों को भी भारतीय सशस्‍त्र बलों के लिए उपकरण विकसित करने की अनुमति प्रदान करेंगे ‘मेक II’ परियोजनाओं में भाग लेने के लिए न्‍यूनतम योग्‍यता मानदंड में भी क्रेडिट रेटिंग तथा वित्‍तीय नेटवर्थ मानदंड में कमी लाने से संबंधित शर्तों को हटाने के द्वारा छूट दी गई है।

पहले की ‘मेक II’ प्रक्रिया के अनुसार, प्रोटोटाइप उपकरणों के विकास के लिए केवल दो वेंडरों का चयन किया गया था। अब आर्हर्ता के छूट प्राप्‍त मानदंडों को पूरा करने वाले सभी वेंडरों को प्रोटोटाइप विकास प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति दी जाएगी। वेंडरों से विस्‍तृत परियोजना रिपोर्ट प्राप्‍त करने की आवश्‍यकता नहीं होगी। परिषद द्वारा ‘मेक II’ परियोजना की मंजूरी प्राप्‍त होने के बाद सेवा मुख्‍यालय (एसएचक्‍यू) स्‍तर पर सभी मंजूरियां प्रदान की जाएंगी।

उद्योग एवं स्‍टार्टअप कंपनियों को आरंभिक स्‍तर पर सहायता प्रदान करने के लिए एसएचक्‍यू डिजाइन एवं विकास चरण के दौरान एसएचक्‍यू एवं उद्योग के बीच प्राथमिक संयोजक के रूप में कार्य करने के लिए परियोजना सुगमीकरण टीमों का गठन करेगा। ये टीमें वेंडर की आवश्‍यकता के अनुरूप तकनीकी इनपुट, परीक्षण अवसंरचना तथा अन्‍य सुविधाएं प्रदान करेंगी। अगर कोई एकल व्‍यक्ति या कंपनी भी कोई नवोन्‍मेषी समाधान प्रस्‍तुत करती है तो अब एसएचक्‍यू के पास वेंडर की विकास पहल को स्‍वीकार करने तथा प्रसंस्‍करण का विकल्‍प होगा। एसएचक्‍यू को पहुंच बढ़ाने तथा उद्योग के बीच जागरुकता फैलाने के लिए निजी क्षेत्र से इस क्षेत्र के विशेषज्ञों/ सलाहकारों की सेवाएं लेने की अनुमति होगी।

इससे भी महत्‍वपूर्ण बात यह है कि, यह सुनिश्चित करने के लिए कि सफल वेंडर के पास एश्‍योर्ड ऑडर हैं, केवल वेंडर द्वारा डिफॉल्‍ट किए जाने के मामले को छोड़कर, परियोजना के मंजूर हो जाने के बाद इसे पुरोबंध नहीं किया जाएगा।

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More