नई दिल्लीः वित्त एवं शिपिंग राज्य मंत्री श्री पी. राधाकृष्णन ने कहा कि भारत सरकार सार्वजनिक खरीद में निष्पक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही को काफी अहमियत देती है और इसने सार्वजनिक खर्च में निपुणता और परिणाम को लेकर नागरिकों की उम्मीदें बढ़ाई हैं। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक खरीद और सार्वजनिक सेवाओं के वितरण के मामले में मौजूदा केंद्र सरकार की दृष्टि स्पष्ट है।
वित्त राज्य मंत्री श्री पी. राधाकृष्णन नई दिल्ली में आज तीसरे वैश्विक सार्वजनिक खरीद सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद अपना भाषण दे रहे थे। श्री राधाकृष्णन ने बताया कि सार्वजनिक खरीद का जीडीपी में करीब 20% योगदान है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक खरीद एक अहम नीतिगत साधन है। सार्वजनिक खरीद में सुधार प्रक्रिया पर केंद्र सरकार के ज़ोर को उजागर करते हुए उन्होंने सरकार के ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) पहल के बारे में बताया। उन्होंने लघ, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्यम के आर्थिक समावेशन और नई नौकरियों के लिए स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देने में सार्वजनिक खरीद के इस्तेमाल को भी रेखांकित किया। उन्होंने सतत खरीद को बढ़ावा देने खासकर एलईडी लैम्प्स, रेलवे परियोजनाओं के विद्युतीकरण इत्यादि के लिए भारत सरकार की कोशिशों का भी जिक्र किया।
नई दिल्ली में इस दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन अखिल भारतीय प्रबंधन संघ (एआईएमए), विश्व बैंक और भारत सरकार ने किया है। इस सम्मेलन में भारत सरकार के वरिष्ठ बाह्य संसाधन अधिकारी, निजी एवं सार्वजनिक कंपनियों के अधिकारी और एशिया, अफ्रीका, यूरोप एवं अमेरिका से आए प्रतिनिधिमंडल भाग ले रहे हैं। वित्त मंत्रालय में वित्त सचिव श्री अजय नारायण झा ने दो दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में मुख्य भाषण दिया।
इस मौके पर अपने मुख्य भाषण में श्री नारायण झा, सचिव (खर्च) ने बताया कि भारत सरकार ने सार्वजनिक खरीद में प्रतिमानात्मक बदलाव लाया ताकि सार्जजनिक खरीद में निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित किया जा सके और खरीद की पूरी ऋंखला में जवाबदेही की प्रक्रिया भी शामिल की गई। उन्होंने बताया कि अगले वित्त वर्ष में ढांचागत विकास का बजट 6 लाख करोड़ रुपये है।
अखिल भारतीय प्रबंधन संघ (एआईएमए) के खजांची और त्रिवेणी टर्बाइन लिमिटेड के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक श्री निखिल साहनी ने स्वागत भाषण दिया। ग्लोबल गवर्नेंस प्रैक्टिस के निदेशक श्री विनय शर्मा ने सम्मेलन में विचार-विमर्श के संदर्भ के बारे में बताया।
दो दिवसीय सम्मेलन की थीम ‘सार्वजनिक खरीद की मौजूदा बदलाव प्रक्रिया में नई चुनौतियों का सामना’ है। इस दौरान विचार-विमर्श का मुख्य विषय सार्वजनिक खरीद के स्वरूप एवं माहौल में बदलाव लाना है।
सम्मेलन में भागीदारों की परस्पर बातचीत से ये उम्मीद है कि सार्वजनिक खरीद और इससे जुड़े कौशल के आदान-प्रदान में विभिन्न राष्ट्रों और इससे जुड़े क्षेत्रों में आपसी सहयोग बढ़ाने में मदद मिलेगी। इससे खरीद प्रबंधन में जरूरी बदलावों को लेकर भागीदारों को और जागरुक करने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही इससे भागीदारों को डिजिटल अर्थव्यवस्था और संसाधन प्रबंधन के विकेंद्रीकरण के अनुरूप कार्य करने के दृष्टिकोण, कौशल और जरूरी साधनों को लेकर मार्गदर्शन उपलब्ध कराने में भी मदद मिलेगी।
वैश्विक सार्वजनिक खरीदारी सम्मेलन में दुनिया भर के 200 से ज्यादा खरीद अधिकारी भाग ले रहे हैं। सम्मेलन के वक्ताओं में विश्व बैंक एवं निजी-सार्वजनिक कंपनियों की बड़ी हस्तियों और वैश्विक सलाहकारों के अलावा भारत, अमेरिका एवं ब्रिटेन के सरकारी अधिकारी शामिल हैं।