देहरादून: संसद में व दिवंगत राष्ट्रपति डा.एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा सराहे गए राष्ट्रीय कवि राधाकृष्ण पंत प्रयासी की तीसरी काव्य पुस्तक मेरा अंतस् मन का विमोचन प्रसिद्ध कवि पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी ने किया।
हिंदी साहित्य समिति द्वारा प्रेस क्लब देहरादून में आयोजित पुस्तक विमोचन अवसर पर पद्मश्री कवि लीलाधर जगूड़ी ने कहा कि उत्तराखंड का सौभाग्य है कि इस धरा पर कवि, कलाकार, साहित्यकार, पत्रकार, वैज्ञानिक, इंजीनियर, मल्टीनेशनल कंपनियों के सीईओ, शीर्ष सैन्य अधिकारी और न जाने कैसे-कैसे हुनरमंद लोगों का जन्म हुआ है। जिन्होंने अपनी प्रतिभा से राज्य का गौरव बढ़ाया है। उत्तराखंड देवभूमि की मिट्टी में ही कुछ बात है कि यहां पर स्वाभाविक रूप से हुनरमंद लोग रहते हैं। उसे जरा सा दिशा मिलनी चाहिए कि उसका व्यक्तित्व निखरकर बाहर आने लगता है। मेरा अंतस मन पुस्तक को उन्होंने पूरा पढ़ा है हर कविता में काफी बारिकी से भावनाएं व्यक्त की गई हैं। हर कविता के पीछे कहानी है। किसी न किसी वजह से इन कविताओं की रचना हुई है। शब्दों की तारतम्यता व चयन इतना उत्कृष्ट है कि कवि की सोच, स्तर व उनकी विषय को समझने की गंभीरता खूबसूरती से सामने आती है। मुख्य वक्ता जनकवि डा.अतुल शर्मा ने कहा कि, पंत जी के कविता संग्रह मेरा अंतस् मन में दार्शनिकता, बौधिकता के बीच सरलता व विनम्रता दिखती है। कविताएं पूरी तरह से मौलिक हैं और एक नई काव्य धारा की ओर इशारा करती हैं। आवाज बुलंद मेरी होने दो.., नारी शक्ति.., आचरण से पहचाना जाए…, जीवन प्रिय बनाना होगा..,जैसी कविताएं अपने लक्ष्य को पाती कविताएं हैं। कथाकार जितेन ठाकुर ने कहा कि राधाकृष्ण पंत जैसे कवि जब कविताएं करते हैं तो उनका समाज से स्वत: एक संवाद कायम होने लगता है। उनके शब्द समाज में कहीं न कहीं अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं। अध्यक्षता करते हुए समालोचक भगवती प्रसाद नौटियाल ने कहा कि दिल्ली पुलिस में रहने के बावजूद उनके ह्दय में इतना कवित्व भाव है कि इन दोनों विरोधाभासी कार्यों का पता ही नहीं चलता। बड़ी बात ये है कि स्वयं स्व.राष्ट्रपति डा.एपीजे अब्दुल कलाम ने ये जानकर की वह उत्तराखंड के रहने वाले हैं उन्हें गंगा पर कविता लिखने का अनुरोध किया। मेरा अंतस मन कुछ हटकर लिखी गई काव्य रचना है। कवि ने दार्शनिक जीवन जिया है। इसलिए कविताओं में संवेदना, बचपन, बुरा वक्त, असहाय, आचरण, सार्थक जीवन, प्रिय फूल, नाना की अयाना, अंतिम यात्रा जैसी असंख्य कविताएं अंतस् को भेदने में कामयाब रही हैं। पुस्तक के लेखकर राधाकृष्ण पंत ने कहा कि कविताओं की पृष्ठभूमि में घर, परिवार, समाज में घटित घटनाओं, मानवीय मूल्यों के सकारात्मक-नकारात्मक पहलुओं का गुण दोष के साथ चिंतन शामिल हैं। ये उनके अंतस् मन का सच है। जहां प्यार, तकरार, राग, द्वेष, क्रोध, मोह, मर्म, आघात जैसे भाव हैं। इन्हीं धाराओं में बहते हुए वस्तुत: जीवन चलता रहता है। हिंदी साहित्य समिति की अध्यक्ष नीता कुकरेती व महासचिव वीरेन्द्र डंगवाल पार्थ ने सभी का आभार जताया। संचालन डा.सुशील उपाध्याय ने किया। मौके पर पूर्व एफआरआई निदेशक डा.जीपी मैठाणी, शिक्षाविद शिव प्रसाद पुरोहित, लेखक रमाकांत बेंजवाल, विनसर प्रकाशन के कीर्ति नवानी, राकेश सेमवाल, पुष्पा पंत, विनोद पंत, शैलेन्द्र सेमवाल, आशीष पंत व कई साहित्य प्रेमी मौजूद रहे।
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कवि परिचय-
नाम- श्री राधाकृष्ण पंत प्रयासी
आयु-66 वर्ष
मूल निवासी-ग्राम हड़ाकोटी, जनपद चमोली, उत्तराखंड
कार्य-40 वर्ष, दिल्ली पुलिस में सेवा, 2010 में उपनिरीक्षक पद से रिटायर्ड।
उपलब्धियां-
1-दिल्ली पुलिस की नौकरी के दौरान 100 से अधिक प्रशस्त्रि पत्र
2-नारी सुरक्षा हेतु महिला शाखा के माध्यम से 2004 से 2009 तक दिल्ली के कालेज, स्कूल, इंस्टीट्यूट एवं सोसाइटियों में महिलाओं के लिए विशेष आयुक्त बिमला मेहरा, किरण बेदी, अनिता राय व सुधीर यादव जी के निर्देशन में 50 हजार महिलाओं को ट्रेनिंग दी जो आज अपनी सुरक्षा करने में सक्षम हैं।
3-दिल्ली पुलिस की सर्विस के दौरान ही 2004 में राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी की पहली पुस्तक जो कविता में लिखी गई है। शीर्षक आधार से शिखर तक इंटरनेट पर उपलब्ध है। इस पुस्तक का विमोचन उस समय माननीय उप राष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत द्वारा की गई थी। तथा विश्व प्रसिद्ध पुस्तक क्या हैं कलाम पुस्तक में भी उन पर लिखी कविता प्रकाशित हुई है। महामहिम द्वारा अनेकों बार इन्हें सराहा गया। इनकी 2005 में ही एक अन्य पुस्तक कविता संग्रह आरक्षी का अंर्तनाद प्रकाशित हुई थी। सभी पुस्तकें सीसी कंडक्ट रुल से एवं विभाग से स्वीकृति मिलने पर ही प्रकाशित हुई थी।
श्री पंत ने दिल्ली में रहते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के आंदोलन में भी सक्रिय रुप से हिस्सा लिया। पांच अप्रैल 2012 को इन्होंने जंतर-मंतर दिल्ली में हजारों पर्चे कविता में लिखकर बंटवाए। पांच अक्तूबर 2012 को इन्होंने जंतर-मंतर पर एक दिन का उपवास रखकर चुनाव आयोग को दस बिंदुओं पर चुनाव सुधार का प्रस्ताव भेजा था। जिसमें नोटा बिंदु नम्बर वन था। जो बाद में विधिवत प्रयोग में आया है। श्री पंत वो शख्स हैं। जिन्हें कलाम ने पहचाना और बार बार अपने पास बुलाकर उनको प्रोत्साहित किया और उनका प्रयोग समाज हित के लिए किया। डॉ एपीजे कलाम के साथ उनके अनुभवों को वरीयता देते हुए उनकी मृत्यु पर एकमात्र श्रद्धाजंलि आउटलुक पत्रिका ने 1 से 15 अगस्त 2015 पेज नम्बर 49 में सहर्ष प्रकाशित की। आप महान है और लाखों के आदर्श भी।
वर्तमान में ये देहरादून आकर बसे हैं। तथा अब इनकी एक अन्य पुस्तक कविता संग्रह मेरा अंतस मन प्रकाशन के बाद आपके सम्मुख प्रस्तुत है। श्री पंत का जीवन जिन्होंने जीवन के चालीस साल दिल्ली पुलिस के माध्यम से जनता की सेवा की है के साथ-साथ अपनी कविता के माध्यम से व्यक्ति समाज एवं राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं जो देखने में कम और काम से ज्यादा हैं।
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