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पर्यावरण मंत्रालय ने ‘हरित दिवाली-स्वस्थ दिवाली’ अभियान का शुभारंभ किया

देश-विदेश

नई दिल्ली: वायु प्रदूषण सर्दियों के दौरान देश में, विशेषकर उत्तरी हिस्सों में गंभीर स्वास्थ्य समस्या का रूप धारण कर लेता है। धूल कण, कुछ राज्यों में पराली को जलाने, कचरा सामग्री को जलाने और मौसम से जुड़ी स्थितियों के कारण ही देश के उत्तरी क्षेत्र में वायु प्रदूषण अत्यधिक बढ़ जाता है। इस वायु प्रदूषण से बच्चों, बुजुर्गों और सांस की बीमारियों से पीड़ित लोगों की स्वास्थ्य संबंधी समस्या और भी ज्यादा गंभीर हो जाती है। लोग इसी अवधि के दौरान प्रकाश उत्सव ‘दीपावली’ को भी काफी धूमधाम से मनाते हैं। लंबे समय से चली आ रही प्रथा  को ध्यान में रखते हुए ज्यादातर लोग पटाखे जलाकर ही दीपावली मनाना पसंद करते हैं। पटाखों में कई ज्वलनशील रसायन होते हैं जिनमें पोटेशियम क्लोरेट पाउडर वाला अल्युमीनियम, मैग्नीशियम, बेरियम, तांबा, सोडियम, लिथियम, स्ट्रोंटियम इत्यादि शामिल होते हैं और इन रसायनों के जलने पर तेज आवाज के साथ बहुत ज्यादा धुंआ भी निकलता है। इस धुंए और आवाज से बच्चों एवं बुजुर्गों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं गंभीर हो जाती हैं। इतना ही नहीं, यह धुंआ पशुओं और पक्षियों के लिए भी नुकसानदेह होता है। इन प्रतिकूल प्रभावों के साथ-साथ दीपो के त्योहार के महत्व को ध्यान में रखते हुए मंत्रालय ने ‘हरित-दिवाली’ अभियान शुरू किया है।

इस अभियान का शुभारंभ वर्ष 2017-18 में हुआ था। उस दौरान बड़ी संख्या में स्कूली बच्चों, विशेषकर इको-क्लब से जुड़े बच्चों ने इस अभियान में भाग लिया था और कम से कम पटाखे फोड़ने की शपथ ली थी। इस गहन अभियान के दौरान बच्चों को पर्यावरण अनुकूल ढंग से दीपावली मनाने की सलाह दी गई थी। बच्चों को इसके तहत अपने रिश्तेदारों एवं मित्रों को मिठाइयों सहित पौधे उपहार स्वरूप देने और अपने घरों एवं आसपास के क्षेत्रों की सफाई करने की सलाह दी गई थी। यह अभियान अत्यंत सफल रहा था और वर्ष 2016 के विपरीत वर्ष 2017 में दीपावली के बाद वायु प्रदूषण ने विकराल रूप धारण नहीं किया था।

उपर्युक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए मंत्रालय ने इसी तरह का अभियान शुरू किया है। हालांकि, इस वर्ष यह अभियान पूरे देश में चलाया जाएगा। ‘हरित दिवाली-स्वस्थ दिवाली’ अभियान का विलय अब ‘ग्रीन गुड डीड’ अभियान में कर दिया गया है जिसका शुभारंभ पर्यावरण संरक्षण के लिए सामाजिक एकजुटता के रूप में किया गया है। मंत्रालय ने सभी स्कूलों और कॉलेजों को इस अभियान का हिस्सा बनने के लिए प्रोत्साहित किया है।

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