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महिला सशक्तिकरण केवल राष्ट्र का लक्ष्य नहीं बल्कि वैश्विक एजेंडा भी है: उपराष्ट्रपति‍ वेंकैया नायडू

देश-विदेश

नई दिल्ली: उपराष्‍ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि समग्र, समान और सतत् विकास के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए महिलाओं का सशक्तिकरण जरूरी है। श्री नायडू आज यहां महिला सशक्तिकरण : उद्यमिता, नवाचार और सतत विकास को प्रोत्साहन विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण केवल राष्ट्र का लक्ष्य नहीं है बल्कि वैश्विक एजेंडा भी है। सम्मेलन का आयोजन नीति आयोग और श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स की ओर से किया गया था। इस अवसर पर पुद्दुचेरी की उपराज्यपाल डॉ. किरण बेदी दिल्ली विश्वविद्यालय के उप-कुलपति प्रोफेसर योगेश त्यागी और नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अमिताभ कांत सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि सही अवसर और अनुकूल माहौल मिलने पर महिलाओं ने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सफलताएं हासिल की हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी के लिए उन्हें बिना किसी बाधा के अनुकूल अवसर उपलब्ध कराए जाने चाहिए ताकि समाज के फायदे के लिए उनकी क्षमता का बेहतर इस्‍तेमाल हो सके।

 श्री नायडू ने कहा कि राष्‍ट्रीय नीतियों के जरिए महिलाओं को सशक्‍त बनाने और लैंगिग समानता की दिशा में हुयी महत्‍वपूर्ण प्रगति के बावजूद उन्‍हें कयी तरह के भेदभाव और शोषण का सामना करना पड़ता है जिसकी वजह से सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र में उनके लिए जगह सीमित रह जाती है। उन्होंने कहा कि सिनेमा जैसे जनसंपर्क के बड़े माध्यम को महिला सशक्तिकरण के लिए अहम भूमिका निभानी चाहिए। श्री नायडू ने कहा कि संपत्ति के मामले में भी महिलाओं को बराबरी का अधिकार मिलना चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में समान अवसर नहीं मिलने, श्रम बाजार में असमानता, बढ़ती यौन हिंसा के मामलों तथा घरेलू कार्यों का बोझ महिलाओं के विकास के रास्ते में बड़ी बाधाएं हैं। लैंगिक असमानता को महिला सशक्तिकरण और और उनके मुख्य धारा से जुड़ने की सबसे बड़ी रुकावट बताते हुए श्री नायडू ने कहा कि समय आ गया है कि लोगों को इस बारे में अपनी सोच बदलनी चाहिए और समाज में महिलाओं की भूमिका के बारे में सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने कहा की निर्णय प्रक्रिया में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी से शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण का न केवल महिलाओं के निजी जीवन पर बल्कि उनके परिवार और समाज पर भी बहुआयामी असर पड़ता है।

बालिकाओं की शिक्षा पर जोर देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि महिलाओं के शिक्षित होने से नवजात और शिशु मृत्यु दर में कमी होने के साथ ही पूरे परिवार के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उत्पादन वाली गतिविधियो में यदि महिलाओं को पुरुषों के समान अवसर मिले तो कृषि उपज में वृद्धि होगी और कुपोषित लोगों की संख्या घटेगी।

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