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हरिजन सेवक संघ जैसे संस्थान जनसेवा कर रहे हैं और उन्हें सहायता की जरूरत है : उपराष्ट्रपति

Institutions like Harijan Sevak Sangh doing yeoman service and deserve a helping hand: Vice President
देश-विदेश

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति, श्री एम.वेंकैया नायडू ने कहा है कि हरिजन सेवक संघ जैसे संस्थान जन-सेवा कर रहे हैं इसलिए इन्हें समाजसेवियों, कार्पोरेट और संसाधनों वाले व्यक्तियों से मदद मिलनी चाहिए। वे आज चेन्नई, तमिलनाडु में ठक्कर बापा विद्यालय के पुनः समर्पण, ठक्कर बापा की पुनर्निर्मित मूर्ति के अनावरण और दीदी निर्मला देशपांडे निलयम के स्तंभ की आधारशिला की फाउंडेशन की पट्टिका के अनावरण के लिए आयोजित समारोह में संबोधित कर रहे थे। तमिलनाडु के राज्यपाल श्री बनवारीलाल पुरोहित और तमिलनाडु के मत्स्य पालन, कार्मिक और प्रशासनिक सुधार मंत्री श्री डी.जयकुमार भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि दीदी निर्मला देशपांडे ने अपनी अंतिम सांस तक इस संगठन का नेतृत्व किया और वे समर्पित गांधीवादी थी। उन्होंने न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में हजारों लोगों के लिए एक उदाहरण स्थापित किया। उन्होंने भू-दान आंदोलन में भाग लिया और महात्मा गांधी जी के ग्राम स्वराज के संदेश को लोकप्रिय बनाने के लिए पूरे देश में 40,000 किलोमीटर लंबी पद यात्रा की। वह शांति की सच्ची दूत थी और उन्होंने सांप्रदायिक सद्भाव के लिए भी संघर्ष किया था।

 उप राष्ट्रपति ने श्री गीता भवन न्यास की पट्टिका के अनावरण पर खुशी जाहिर की। उन्होंने सभी पुरस्कार विजेताओं को महात्मा गांधी द्वारा दिखाए गए मार्ग पर आगे बढ़ते हुए और इस सेवा को जारी रखते हुए लोगों की सहायता करने में योगदान करने के लिए बधाई दी।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि हरिजन सेवक संघ और इसकी इकाइयां प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए स्वच्छ भारत कार्यक्रम में बड़े पैमाने पर भाग ले रही हैं। उन्होंने इस महान उद्देश्य में बड़े उत्साह और उमंग के साथ भाग लेने के लिए भी विजेताओं को बधाई दी।

उपराष्ट्रपति के भाषण का पाठ निम्नलिखित है:

 ” मैं इस गांधीवादी संस्थान हरिजन सेवक संघ के साथ जुड़कर अपने आप को सम्मानित महसूस कर रहा हूँ। इस संस्थान का संविधान, नियम और विनियम महात्मा गांधी ने स्वयं 1932 में स्वयं लिखे थे। मैं विशेष रुप से ठक्कर बापा विद्यालय का पुनः समर्पण और दीदी निर्मला देशपांडे निलयम के स्तंभ आधारशिला की पट्टिका के अनावरण के अवसर पर आयोजित समारोह में आकर बहुत प्रसन्न हों क्योंकि यह कार्यक्रम उन दीदी निर्मला देशपांडे के जन्मदिन के अवसर पर आयोजित किया जा रहा है जिन्हें में दशकों से जानता था।

दीदी निर्मला देशपांडे ने अपनी अंतिम सांस तक इस संस्थान का नेतृत्व किया और वे समर्पित गांधीवादी थी। उन्होंने न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में हजारों लोगों के लिए एक उदाहरण स्थापित किया। उन्होंने भू-दान आंदोलन में भाग लिया और महात्मा गांधी जी के ग्राम स्वराज के संदेश को लोकप्रिय बनाने के लिए पूरे देश में 40,000 किलोमीटर लंबी पद यात्रा की। वह शांति की सच्ची दूत थी और उन्होंने सांप्रदायिक सद्भाव के लिए भी संघर्ष किया था।

मुझे यह जानकर बहुत दुख हुआ कि ठक्कर बापा विद्यालय 2015 में बाढ़ के कारण तबाह हो गया था और आठ फीट गहरे पानी में चला गया था। 2016 में चक्रवात में यह फिर से क्षतिग्रस्त हो गया था और सबसे बड़े दुख की बात यह है कि बाढ़ में गांधीजी पर लिखी 10,000 से भी अधिक किताबें नष्ट हो गईं थीं। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि अपील के बाद अनेक लोगों ने राष्ट्रपिता के बारे में लिखी अनेक किताबें इस विद्यालय को दान कर दी थीं। विद्यालय की कार्यशाला और मशीनरी की भी मरम्मत हो गई है।

ठक्कर बापा गांधीजी के निकट सहयोगी थे। उनकी मूर्ति भी जलमग्न हो गई थी। उसका नवीनीकरण किया गया है। इस मूर्ति का अनावरण करना मेरे लिए सम्मान की बात है। मुझे बताया गया है कि इस मूर्ति का मूल रूप से अनावरण 29.11.1962 को किया गया था।

वास्तव में यह गौरव की बात है कि डॉ राजेंद्र प्रसाद, श्री राजगोपालाचारी, श्री वेंकटरमन और दीदी निर्मला देशपांडे इस प्रतिष्ठित संस्थान से जुड़े थे।

यह संस्थान जो 1935 में हरिजन लड़कों के लिए औद्योगिक विद्यालय के रूप में शुरू किया गया था, अब इसमें सभी वर्गों के छात्रों का दाखिला हो रहा है समुदाय के भाइयों और बहनों को प्राथमिकता देते हुए सभी वर्गों को गांधीजी की इच्छानुसार एकीकृत कर रहा है। मुझे जानकर प्रसन्नता हुई कि यह परिसर प्री.के.जी से प्राथमिक स्तर की मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराने के अलाव घर से दूर रहने वाली कामकाजी महिलाओं को एक छात्रावास उपलब्ध करा रहा है और यहां गांधी सार्वजनिक पुस्तकालय भी स्थित है।

हरिजन सेवक संघ की दीदी निर्मला देशपांडे निलयम को उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाली लड़कियों के लिए आवास उपलब्ध कराने के लिए बनाया जा रहा है। संघ उन्हें निःशुल्क आवास और शैक्षणिक सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है। इसमें परोपकारी व्यक्तियों और संगठनों का भी पूरा सहयोग मिल रहा है। कुछ छात्रों के लिए बोर्डिंग अनुदान तमिलनाडु सरकार से भी प्राप्त हो रहा है। मुझे बताया गया है कि 2020 तक इस भवन का निर्माण पूरा हो जाने से 200 से अधिक लड़कियों को आवास सुविधा उपलब्ध हो जाएगी।

मैं समझता हूं कि कठिन सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि वाली ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाली लड़कियों के लिए छात्रावासों की बहुत मांग है।

मुझे बताया गया है कि वर्तमान छात्रावास भवन बहुत खतरनाक स्थिति में है और साधारण बारिश होने पर भी इसमें पानी भर जाता है। प्रोफेसर शंकर कुमार सान्याल के नेतृत्व में नए भवन की परियोजना शुरू की गई है।

मुझे जानकर खुशी हुई है कि श्री गीता भवन ट्रस्ट ने 65 लाख रूपये की लागत की स्तंभ आधारशिला को प्रायोजित करके नई इमारत का निर्माण शुरू किया है। मैं उन्हें बधाई देता हूं और मुझे पूरा विश्वास है कि आने वाले वर्षों में इससे हजारों लड़कियों को मदद मिलेगी। श्री गीता भवन ट्रस्ट की पट्टिका का अनावरण करके मुझे अत्यंत खुशी हो रही है।

मैं सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई देता हूं कि उन्होंने महात्मा गांधी द्वारा दिखाए गए मार्ग पर आगे बढ़ते हुए अपनी सेवाएं जारी रखी और लोगों की मदद की।

मुझे बताया गया है कि सीएसआर की पहल के हिस्से के रूप में ठक्कर बापा विद्यालय और हरिजन सेवक संघ दोनों के प्रस्तावों पर विभिन्न सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियों जैसे – नेवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन, ओएनजीसी, कोल इंडिया, एलआईसी, गोल्डन जुबली फंड, एशियन पेंट्स, आरसीसी दिवा [राजस्थान एसोसिएशन], लायंस क्लब और अन्य  विचार कर रही हैं। मुझे विश्वास है कि ये संगठन ठक्कर बापा विद्यालय और हरिजन सेवक संघ की मदद के लिए इन परियोजनाएं में सहायता करेंगे।

महात्मा गांधी ने कहा कि “मानवता की सेवा भगवान की सेवा है”। ये संस्थान लोक सेवा कर रहे हैं इन्हें परोपकारी, कॉर्पोरेट और अन्य संसाधनों वाले व्यक्तियों से मदद मिलनी चाहिए।

मुझे बताया गया है कि हरिजन सेवक संघ और इसकी इकाइयां प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए स्वच्छ भारत कार्यक्रम में बड़े पैमाने पर भाग ले रही हैं। मैं इनके लिए इन्हें बधाई देता हूँ।

अंततः दीदी निर्मला देशपांडे के सहयोगी के रूप में, मैं आप सभी से इस महान संस्थान की सहायता करने की अपील करता हूँ क्योंकि इस संस्था का संविधान खुद महात्मा गांधी ने लिखा है

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