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इन 3 वजह से मनाया जाता है गुड़ी पड़वा, गुड़ी पूजा के शुभ मुहूर्त और इसका महत्व

अध्यात्म

गुड़ी पड़वा महाराष्ट्र का मुख्य त्योहार है। गुड़ी पड़वा को महाराष्ट्र में नए साल के तौर पर मनाया जाता है। इस साल ये त्योहार 6 अप्रैल शनिवार को मनाया जाएगा। गुड़ी पड़वा पर सूर्योदय से पहले उठकर घर में सफाई की जाती है और रंगोली बनाई जाती है। फिर खाली पेट नीम और गुड़-धनिया खाया जाता है। जिससे शरीर स्वस्थ रहता है और रोगों से लड़ने की शक्ति मिलती है। इस दिन गुड़ी बनाकर अपने घर के बाहर लगाई जाती है और नए साल में बुराई पर अच्छाई की जीत हो एवं सबका भला हो इसके लिए भगवान से प्रार्थना की जाती है।

  • क्या है गुड़ी और इसका महत्व

‘गुड़ी’ का अर्थ विजय पताका होता है। गुड़ी वो विजय ध्वज है जो अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतिक है। वहीं पड़वा का अर्थ प्रतिपदा तिथि होता है। गुड़ी पड़वा पर्व पर सुबह जल्दी उठकर एक बड़े डंडे से विजय पताका यानी झंडा बनाते हैं। इसके लिए डंडे पर कपड़ा या नई साड़ी जिसका उपयोग पहले नहीं किया हो, उसे लपेटा जाता है। उस पर कटोरी, गिलास या लोटा उलटा रखा जाता है। फिर इसी विजय ध्वज को भगवान का रुप मानकर इसकी पूजा की जाती है।

  • इन 3 वजह से मनाया जाता है ये पर्व

1. मान्यता के अनुसार रामायण काल में गुड़ी पर्व के दिन भगवान श्री राम ने वानरराज बाली के अत्‍याचारी शासन से प्रजा को मुक्ति दिलाई थी। फिर वहां की प्रजा ने अपने-अपने घरों में विजय पताका फहराई, जिसे आज भी फहराया जाता है। उसके बाद से इस दिन को गुड़ी पड़वा के नाम से मनाया जाने वाला है।

2. गुड़ी पर्व से जुड़ी एक मान्यता काफी प्रचलित है. कहा जाता है कि इस दिन शालिवाहन नाम के एक कुम्हार-पुत्र ने मिट्टी के सैनिकों की सेना से अपने शत्रुओं पर विजय हासिल की थी। यही वजह है कि इस दिन से शालिवाहन शक की शुरुआत होती है।

3. गुड़ी पड़वा से जुड़ी एक मान्यता है कि इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। ये भी मान्यता है कि इसी दिन से सतयुग की शुरुआत भी हुई थी।

  • पूजा और गुड़ी लगाने का मुहूर्त

सुबह – 7:45 से 9:15 तक

सुबह – 11:35 से दोपहर 12:24 तक

दोपहर – 12:24 से 01:50 तक
दोपहर – 01:50 से 03:20 तक

  • देश में अलग-अलग जगहों पर गुड़ी पड़वा –

गुड़ी पड़वा का पर्व मुख्य रूप से महाराष्ट्र के लोग हिन्दू नववर्ष शुरू होने की खुशी में मनाते है. गुड़ी पड़वा का त्योहार महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और गोवा सहित कई दक्षिण भारतीय राज्यों में मनाया जाता है। गोवा और केरल में कोंकणी समुदाय के लोग इसे संवत्सर पड़वों नाम से मनाते हैं। वहीं कर्नाटक में इसे युगादी पर्व के नाम से मनाया जाता है। इसके अलावा आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में गुड़ी पड़वा को उगादी नाम से मनाया जाता है।

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