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हेड ऑन जेनरेशन (एचओजी) – पर्यावरण अनुकूल एवं ऊर्जा दक्ष प्रौद्योगिकी के माध्‍यम से एक ऊंची छलांग

देश-विदेश

नई दिल्ली: भारत के महानगर वायु एवं ध्‍वनि प्रदूषण का सामना कर रहे हैं। महानगरों में सांस से जुड़ी बीमारियां खतरनाक दरों से बढ़ रही हैं। वातानुकूलित डिब्‍बों वाली और एंड-ऑन-जेनरेशन (ईओजी) प्रणाली पर पारंपरिक रूप से परिचालित प्रमुख सवारी रेलगाडि़यां भी वायु एवं ध्‍वनि प्रदूषण में योगदान करती हैं। ये रेलगाडि़यां यात्री डिब्‍बों में वातानुकूलन तथा प्रकाश के लिए बिजली उपलब्‍ध कराने में दो डीजल पावर कारों का इस्‍तेमाल करती हैं, जिससे लगभग 100 डीबी का असहनीय शोर उत्‍पन्‍न होता है। इसके अलावा, ये पावर कार प्रति खेप प्रति रेलगाड़ी औसतन 3000 लीटर डीजल का खपत करती है, जिससे महानगरों में प्रदूषण बढ़ता है।

यात्री रेलगाडि़यों के परिचालन में वायु एवं ध्‍वनि प्रदूषण तथा ऊर्जा दक्षता की समस्‍या के समाधान के लिए भारतीय रेल में एक ऊर्जा दक्ष एवं पर्यावरण अनुकूल एक नया हल प्रस्‍तुत किया है। एक उन्‍नत कनवर्टर विकसित किया गया है, जो विद्युत इंजनों में लगाया जाता है। यह डीजल जेनरेटरों के स्‍थान पर काम करता है। यह विद्युत इंजनों द्वारा खींचे गये डिब्‍बों में सहायक उपकरणों के लिए ओवरहेड केटेनरी से बिजली का इस्‍तेमाल करता है। इससे प्रति रेलगाड़ी प्रति वर्ष एक मिलियन लीटर डीजल की बचत होती है।

इससे शोर में काफी कमी होती है और शोर का स्‍तर 100 डीबी से घटकर शून्‍य तक पहुंच जाता है। साथ ही कार्बन डाइऑक्‍साइड और नाइट्रस ऑक्‍साइड के उत्‍सर्जन में भी कमी होती है। इन उपायो से डीजल की खपत में काफी कमी होती है और प्रति वर्ष 1100 करोड़ रूपये अधिक धनराशि की बचत होती है। यह बिजली के उत्‍पादन की फिफायती विधि है। क्‍योंकि ईओजी से बिजली उत्‍पादन की लागत प्रति यूनिट 22 रूपये होती है, जबकि एचओजी से बिजली उत्‍पादन की लागत 6 रूपये प्रति यूनिट होती है।

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