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विश्व कुद्वस दिवस के अवसर पर फिलीस्तीन के समर्थन में इजराइली आतंकवाद के खिलाफ होने वाले विरोध प्रदर्शन पर प्रशासन ने प्रतिबंध लगाया

विश्व कुद्वस दिवस के अवसर पर फिलीस्तीन के समर्थन में इजराइली आतंकवाद के खिलाफ होने वाले विरोध प्रदर्शन पर प्रशासन ने प्रतिबंध लगाया
उत्तर प्रदेश

लखनऊ: किबलाए अव्वल बैतूल मुकद्वस की अजादी, फिलिस्तीन की स्वतंत्रता और इजरायली और अमेरिकी और सऊदी आतंकवाद के खिलाफ होने वाले विरोध प्रदर्शन पर आज जिला प्रशासन ने बिना कोई दलील पेश किए पाबंदी लगा दी।मजलिसए ओलमाये हिंद के बैनर तले हर साल फिलिस्तीन में इजराइल के अवैध कब्जे के खिलाफ आसफि मस्जिद से जुलूस निकल कर बड़े इमामबाड़े के मुख्य द्वार तक आता था, पिछले साल यह विरोध प्रदर्शन रूमी गेट पर आयोजित हुआ था लेकिन इस साल विश्व कुद्वस दिवस के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ होने वाले प्रर्दशन पर जुमे की नमाज से ठीक पहले बिना कोई नोटिस जारी किए पाबंदी लगादी। अंतरराष्ट्रीय कुद्वस दिवस के कार्यक्रम पर प्रतिबंध की खबर फेलते ही हजारों नमाजियों में आक्रोश बढ़ गया मगर हालात शांतिपूर्ण बनाए रखने के लिए मौलाना सैयद कल्बे जवाद नकवी ने विरोध प्रदर्शन को आसफि मस्जिद के हौज. के पास ही यह कहकर समाप्त कर दिया कि हम वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ होने वाले इस प्रदर्शन को यहीं समाप्त कर रहे हैं क्योंकि प्रशासन नहीं चाहता है कि इजरायल और सऊदी आतंकवाद के खिलाफ प्रर्दशनकारी सड़क पर नकलें।मौलाना सैयद कल्बे जवाद नकवी ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हमेशा फिलीस्तीनी जनता के समर्थन में रहे और हमारे देश की नीति भी हमेशा फिलीस्तीन समर्थक रही है लेकिन नाजाने क्यों आज फिलिस्तीन के समर्थन और इजरायली आतंकवाद के खिलाफ होने वाले विरोध प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाया गया है।

अलइमाम वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष और प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता इमरान सिद्दीकी ने कहा कि सऊदी और इजरायल आतंकवाद के खिलाफ होने वाले इस विरोध प्रदर्शन में सरकार और प्रशासन का प्रतिबंध लगाना निंदनीय कदम है .िमरान सिद्दीकी ने कहा कि पूरी दुनिया में शुक्रवार की नमाज अलविदा के बाद फिलीस्तीन का समर्थन और जोरदार इसराइल आतंक प्रदर्शन होते हैं, सीमा यह है कि लंदन, फ्रांस और अन्य बड़े देशों में भी इस विरोध आयोजित होता मगर हमारे देश में फिलीस्तीनी मजलूमों समर्थन होने वाले इस कार्यक्रम में प्रशासन द्वारा प्रतिबंध लगाना दुर्भाग्यपूर्ण है ।

प्रर्दशन में मौलाना कल्बे जवाद ने अन्य ओलमा के फेसले के बाद आसफि मस्जिद के बाहर ही अमेरिका, इसराइल के झंडे और शाह सलमान की तसवीर जला कर अपना विरोध दर्ज कराया। प्रर्दशनकारी प्रशासन की पाबंदी के निंदनीय निर्णय से हैरान थे कि क्या हमारे देश की विदेश नीति राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की विदेश नीति से अलग हो गई है या फिर अब वैश्विक आतंकवाद और उसके संस्थापकों के खिलाफ भी भारत में विरोध करने पर प्रतिबंघ लगाया जाएगा।

प्रदर्शन में संयुक्त राष्ट्र और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम ज्ञापन दिया जाना था जिसके लिए पहले से ही इंटेलिजेंस के जरिए प्रशासन को सूचना दी गई थी लेकिन इसराइल और अमेरिका और सऊदी आतंकवाद के खिलाफ दिए जाने वाले ज्ञापन को लेने के लिए भी जिला प्रशासन की तरफ से कोई नहीं आया। प्रर्दशन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संयुक्त राष्ट्र को ईमेल द्वारा ज्ञापन भेजा गया से हैरान करने वाला था। प्रदर्शन में मौलाना मोहम्मद जाबिर जूरासी संपादक मासिक इसलाह, मौलाना अली अब्बास खान, मौलाना तसनीम मेहदी, मौलाना एहतेशामुल हसन, मौलाना मूसी रजा, मौलाना शबाहत हुसैन, मौलाना फसाहत हुसैन, मौलाना अली अमीर, मौलाना फीरोज हुसैन, मौलाना मंजर अली अरफी और अन्य विद्वानों और ओलमा ने भी भाग लिया।

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