New Delhi: The Union Home Minister Shri Rajnath Singh inaugurated the second meeting of National Platform for Disaster Risk Reduction here today. Following is the text of his address at the inaugural session:
“आज मुझे आपदा प्रबंधन के राष्ट्रीय मंच National Platform for Disaster Risk Reduction (NPDRR) की दूसरी बैठक में आप सभी के साथ भाग लेते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है। जैसा कि आपको विदित है कि भारत विश्व के आपदाओं से सर्वाधिक प्रभावित होने वाले देशों में एक है। हमारी लगभग 50% से अधिक आबादी भूकंप, बाढ़, समुद्र तटीय चक्रवात, सूखा और सुनामी से प्रभावित है। आपदाओं से होने वाले जान-माल की क्षति को प्रभावी तरीके से कम करने के लिए भारत सरकार ने एक Multi Stake Holder National Platform का गठन किया है। जिसकी पहली बैठक वर्ष 2013 में हुई थी, जिसमें केंद्र सरकार के संबंधित विभागों के मंत्रिगण, राज्यों के मंत्रीगण, अधिकारी, स्वयं सेवी संस्थाएं तथा technical institution के लोगों ने भाग लेकर अपना सार्थक योगदान दिया था।
इस National Platform के गठन का मुख्य उद्देश्य सभी Stakeholders के साथ अपने अनुभवों को साझा करते हुए देश के लिए एक रणनीति बनाना है। साथ-ही-साथ, समय-समय पर उठाए गए कदमों का review करना एवं राज्यों के साथ coordination स्थापित करना है।
आज की बैठक का मुख्य उद्देश्य Disaster Management एवं Sustainable Development की दिशा में हम कैसे सक्षम हों, इस पर चर्चा करना तथा प्रभावी रूप से काम करने के लिए आगे की रणनीति तय करना है।
आपको याद होगा कि वर्ष 2015 में विश्व स्तर पर 03 महत्वपूर्ण समझौते हुए है-
- Sustainable Development Goal,
- Sendai Frame Work for Disaster Risk Reduction और
- COP 21- Paris Agreement on Climate Change.
भारत इन तीनों समझौतों में Signatory है। प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की दृष्टि से, यह तीनों ही एक दूसरे से जुडी हुई हैं। क्योंकि अब जोर आपदा के पश्चात् response पर ही नहीं, बल्कि आपदा के जोखिम को कम करने पर है। जैसा की होना चाहिए। अगर रिस्क को कम करना है, तो इंसान की गतिविधियों से climate change नहीं हो, यह ही आवश्यक है। इसी प्रकार विकास और प्रगति – जो स्वयं अपनी जगह आवश्यक एवं महत्वपूर्ण हैं , आम आदमी के living standards और quality of life को बेहतर करने के लिए, ऐसे विकास से ecology or environment का degradation नहीं हो , यह भी आवश्यक है। अतः यह अंतरराष्ट्रीय समझौते एक कड़ी के भाग हैं और किसी एक उद्देश्य, उदाहरणार्थ disaster risk reduction को पाने हेतु, अन्य दो उद्देश्यों को पाना भी आवश्यक है।
इस महत्वपूर्ण inter -dependence की महत्ता को समझते हुए, उसे focus में रखते हुए, दिल्ली में अभी हाल ही 2016 में Asian Ministerial Conference on Disaster Risk Reduction (AMCDRR) का आयोजन किया गया था। इसमें Disaster Risk Reduction के लिए Asia Regional Action Plan को adopt किया गया। इसी क्रम में हम इन दो दिन की NPDRR की बैठक में, आपदा के Risk को कम करने हेतु इसके विभिन्न components यथा Prevention, Mitigation, Preparedness, Response, Reconstruction और Rehabilitation पर पूर्णरूप से विचार कर, वर्ष 2017 से वर्ष 2030 तक का Action Plan बनायेंगे।
आपदाओं के Risk को कम करना अब हमारे लिए choice नहीं है अपितु एक अहम जरूरत है। मुझे याद है कि वर्ष 1999 के ओडिशा Super Cyclone में करीब 10 हज़ार से अधिक लोगों की जाने गई थी और अरबों रुपयों का आर्थिक नुकसान देश ने उठाया था। उसके पश्चतात वर्ष 2001 में गुजरात में आए भूकंप और वर्ष 2004 में आई सुनामी ने देश को झकझोर दिया था। तब से, lessons लेते हुए, भारत वर्ष में आपदा प्रबंधन के approach में paradigm shift हुआ है।
देश में संस्थागत एवं योजनाबद्ध तरीके से आपदा के प्रभाव को कम करने हेतु विभिन्न प्रयास किए गए हैं, जिसमें Disaster Management Act, 2005, Disaster Management Policy 2009, NDRF, NDMA और NIDM का गठन महत्वपूर्ण है। इसी क्रम में वर्ष 2013 में प्रथम National Platform for Disaster Risk Reduction (NPDRR) का गठन किया गया था।
विश्व स्तर पर भी United Nations के द्वारा आयोजित विभिन्न बैठकों में भारत ने अपना योगदान दिया है। वर्ष 2015 में जब जापान में Sendai Framework पर चर्चा हो रही थी, तो मैंने स्वयं इस बात पर ज़ोर दिया था कि आपदा के Risk को कम करने में सरकार के साथ-साथ अन्य संगठनों की भूमिका भी उतनी ही महत्वपूर्ण होनी चाहिए जितनी की सरकार की है।
Sendai Framework की केवल 03 महत्वपूर्ण बिन्दुओं को अगर हम देखें तो इनमें आपदा से होने वाले मृत्यु, प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या तथा आर्थिक नुकसान को कम करना शामिल हैं। Development के विभिन्न योजनाओं को बनाते वक्त हमें इस बात का ख़ास ध्यान रखना होगा कि future investments, इन सभी factors को कम करने में कैसे मददगार साबित होंगे।
हम लोग यह सुनकर पले-बढ़े हैं कि ”prevention is better than cure”। विश्व में कई देशों ने इसे धरातल पर करके दिखाया है। भारत वर्ष भी इस प्रयास में पीछे नहीं रहा है। मैं दो उदाहरण आपके समक्ष रखूँगा । पहला – National Cyclone Risk Mitigation Project, जो कि विश्व का शायद सबसे बड़ा इस तरह का कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम ने जिन तटीय राज्यों में early warning को सुदृढ किया है, स्थानीय स्तर पर cyclone shelters बनायें हैं, वहाँ पर चक्रवातों से होने वाली मृत्यु दर को हम 95 % तक काम कर पाए हैं। दूसरा – हमारे पर्वतीय इलाकों में भूकंप आने के बाद जो पूर्ण निर्माण हुआ, और जहाँ जहाँ भूकंप अवरोधी मकान बनाये गए, वहाँ भले ही इन मकानों की लागत, 8 से 10 % अधिक रही है। लेकिन भूकंप की प्रबल संभावना वाले इन इलाकों में, इन मकानों को बाद में, आने वाले भूकम्पों से न के बराबर क्षति हुई है। हम कह सकते हैं की हर एक रुपये की अतिरिक्त लागत से लगभग 10 की बचत हुई है।
इसी तरह, वर्ष 2001 में आए गुजरात के भूकंप के पश्चात जो long term recovery के लिए कदम उठाए गए, उसे global best practices के रूप में पहचान मिली है। इसके लिए गुजरात सरकार को UN Sasa Kava award से सम्मानित किया गया है। यहाँ तक कि, इसके फलस्वरूप Sendai Frame Work में भी ”build back better” को प्राथमिकता दी गई है।
वर्ष 2013 एवं 2014 में आए Cyclone Phailin एवं Hudhud में हमनें नुकसान को काफी कम किया। इसका अनुमान आप ऐसे लगा सकते हैं कि इनमें मृतकों की संख्या क्रमश: 42 एवं 24 रही हैं। जबकि इसी से comparable ओडिशा के 1999 के Super Cyclone में करीब 10,000 व्यक्तियों की मृत्यु हुई थी।
हाल ही में केन्द्र सरकार ने सभी मंत्रालयों से Disaster Management Plan बनाने का अनुरोध किया है। जिसमें अपने-अपने क्षेत्र के Risk को कम करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का अनुरोध किया गया है। मुझे बताया गया है कि कृषि मंत्रालय द्वारा पशुधन की सुरक्षा के लिए “Livestock Disaster Management Plan” बनाया है जो विश्व में अपने तरह का पहला प्रयास है।
इसी तरह, देश के अन्य राज्यों में भी कुछ सराहनीय व अनुठे प्रयास किये जा रहे हैं।
Early Warning System, Cyclone Shelter का निर्माण, Saline Embankments का निर्माण, मज़बूत Disaster Response Force का केंद्र एवं राज्य स्तर पर गठन तथा community preparedness एवं capacity building, इस दिशा में उठाये गये महत्वपूर्ण कदम हैं।
इन उदाहरणों से यह बात बिल्कुल स्पष्ट है कि ”अगर हो पूरी तैयारी तो आपदा नहीं है भारी।” अत: हम सभी को मिलकर आपदाओं के Risk को कम करने के लिए पहले से ही पहल करनी होगी।
माननीय प्रधानमंत्री जी ने AMCDRR, 2016 के दौरान अपने उद्बोधन में 10 सूत्रीय agenda points का जिक्र किया है। इस platform के माध्यम से उन बिंदुओं पर क्रमवार चर्चा करते हुए भविष्य के लिए समयबद्ध कार्य योजना बनायी जाएगी । इन कार्य योजनाओं के मूल्याकंन हेतु एक व्यवस्था की रूपरेखा की संरचना पर भी गहन विचार-विमर्श किया जाना अपेक्षित है। ताकि हमें इस बात का पता चलता रहे कि हम इस दिशा में कितना प्रयासरत हैं। और इसमें हमनें साझा रूप से कितनी सफलता हासिल की है।
भारत ने आपदाओं को कम करने के लिए दक्षिण एशियाई देशों के बीच क्षेत्रीय सहयोग को सदृढ़ करने में अग्रणी भूमिका अदा की है। इस क्रम में नई दिल्ली में सार्क आपदा प्रबंधन केन्द्र स्थापित किया गया है। इसके साथ-साथ भारत BRICS, BIMSTEC, East Asia क्षेत्रों में भी अपना सहयोग देता रहा है। इसी क्रम में आपदा प्रबंधन हेतु विशेष Satellite दक्षिण एशियाई देशों के लाभ के लिए पिछले सप्ताह प्रक्षेपित किया गया है। माननीय प्रधानमंत्री जी के इस कदम से Disaster Risk Reduction के क्षेत्र में हमारे देश का नाम एक अग्रणी देश के रूप में पुन: स्थापित हुआ है।
मुझे बताया गया है कि इस बैठक के पूर्व महत्वपूर्ण विषयों पर 14 pre events, NDMA एवं NIDM द्वारा आयोजित किए गए हैं। जो कि इस दिशा में एक सराहनीय पहल है। इन चर्चाओं में स्थानीय स्तर पर क्षमता निर्माण, inclusiveness, women empowerment एवं national plan आदि मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श कर सिफारिशें की गई जिन पर इस बैठक में चर्चा कि जाएंगी।
इस बैठक में समाज के vulnerable community पर विशेष action plan बनाने हेतु मैं appeal करता हूँ और आशा करता हूँ कि इस पर महत्वपूर्ण चर्चा होगी।
अभी पिछले सप्ताह की “THE ECONOMIST” Magazine ्ज्ीम न्न ्दूके एक caption, “Death is Inevitable but a bad death is not” ने मेरा ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। इसका तात्पर्य यह है कि मृत्यु को तो हम रोक नहीं सकते परन्तु आपदा से होने वाली असामयिक मृत्यु को रोका जा सकता है। परिवार के एक सदस्य की असामयिक मृत्यु से सम्पूर्ण परिवार तहस-नहस हो जाता है। इसी बात का ध्यान रखते हुए हमें “Preventing the preventable deaths” की दिशा में पूरी क्षमता से कार्य करना चाहिए।
अंत में मैं आप सभी का ध्यान National Plan की ओर आकृष्ट करना चाहूंगा जिसको माननीय प्रधानमंत्री जी ने जून, 2016 में release किया है। इस Plan का उद्देश्य भी भारत को Disaster Resilient बनाना तथा जान और माल के नुकसान में कमी लाना है।
हमारी सरकार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में Disaster से हो रहे नुकसान को कम करने के लिए अपनी कटिबद्धता को दोहराते हुए Sustainable Development को प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयासरत है।
भारत सरकार द्वारा इस हेतु आवश्यक वित्तीय व्यवस्थाएं भी की गई है। राज्यों के प्रयास को supplement करने हेतु SDRF की समग्र निधि को 33580.93 करोड़ रु. (2010-15) से बढ़ा कर 2015-20 की अवधि के लिए 61220 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
Sustainable Development एवं Disaster resilient development के लिए यह आवश्यक है कि केन्द्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे कौशल विकास, कृषि सिंचाई योजना, सांसद आदर्श ग्राम योजना, Digital India, स्वच्छ भारत अभियान तथा बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम आदि के साथ Disaster Mitigation Programmes की सही synergy स्थापित की जाये ।
विकास एवं आपदा प्रबंधन में एक गहरा रिश्ता है। सही विकास, जो Risk को कम करे, उसमें आपदा प्रबंधन विभाग के अलावा अन्य संबंधित stakeholders के साझा प्रयास से ही resilient development के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले वर्ष, जो Technology Oriented है, उसकी सहायता से हम इस बड़े चुनौती का बड़ी ही आसानी से सामना कर सकेंगे।
Disaster Risk, Dynamic है। कल का Risk, आज के Risk से भिन्न हो सकता है। अत: भविष्य की रूपरेखा उसी के अनुरूप flexible बनाए जाए, जिसमें बदलाव को adopt किया जा सके।
मैं बैठक में आए सभी महानुभावों का स्वागत करते हुए बैठक की सफलता की शुभकामनाएं देता हूँ और मैं यह उम्मीद करता हूँ कि हम सभी संगठित रूप से देश को एक सुंदर और सुरक्षित भविष्य देने का भरोसा दे सकते हैं।”