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राज्य में संचालित ग्रामीण विकास की केन्द्र पोषित योजनाओं से सम्बन्धित में केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री से चर्चा करते हुए: सीएम

उत्तराखंड

देहरादून: मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नई दिल्ली में केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर से भेंट की। मुख्यमंत्री ने राज्य में संचालित ग्रामीण विकास की केन्द्र पोषित योजनाओं से सम्बन्धित विभिन्न विषयों पर केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री से चर्चा की।

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र ने राज्य एवं पर्यावरण के व्यापक हित में पिरूल एकत्रीकरण कार्यक्रम को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरन्टी योजना (मनरेगा) में सम्मिलित करने, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एन.आर.एल.एम) के तहत द्वितीय किस्त की धनराशी रु0 1335.23 लाख की धनराशी निर्गत करने के साथ ही प्रधानमंत्री ग्रामीण संड़क योजना प्रथम (पी.एम.जी.एस.वाई-1) के अन्तर्गत स्टेज-2 की 181 सड़कों तथा 119 सेतुओं की डी.पी.आर. एवं पी.एम.जी.एस.वाई. के अधिन अपग्रेडेशन कार्यो की 281 डी.पी.आर के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय से धनराशि उपलब्ध कराने का अनुरोध किया।

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र ने केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री से राज्य के सामारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सीमान्त जनपदो के गरीब परिवारों के आर्थिक उन्नयन हेतु पेषित 95.44 करोड़ के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान करने का भी अनुरोध किया।

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र ने केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री से अनुरोध किया कि उत्तराखण्ड में चीड़ के जंगलों के अधिक विस्तार के कारण प्रतिवर्ष वनाग्नि की घटनाओं में करोड़ों की वन सम्पदा नष्ट हो जाती है जिससे पर्यावरणीय हानि होती है। अतः प्रतिवर्ष होने वाली इस हानि से बचाव का एक उपाय जंगलों से चीड़ की ज्वलनशील पत्तियों (पेरूल) को हटाना है। उन्होंने कहा कि वन विभाग अर्थिक संसाधनों की कमी के चलते सम्पूर्ण वन क्षेत्र में पेरूल एकत्रीकरण का कार्य नहीं कर पाता है, किन्तु यदि इस कार्य को रोजगार से जोड़ दिया जाये तो जहाँ एक ओर वनाग्नि के संभावित कारण को खत्म किया जा सकेगा वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों को अतिरिक्त आय का साधन उपलब्ध कराकर पलायन रोकने में सहायता दी जा सकेगी। अतः राज्य एवं पर्यावरण के व्यापक हित में चीड़ की पत्ती (पेरूल) एकत्रीकरण में कार्य को महात्मा गांधी नरेगा से जोड़ दिया जाए।

मुख्यमंत्री ने यह भी अपेक्षा की कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एन.आर.एल.एम.) के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2018-19 में प्राप्त प्रथम किस्त की धनराशि के सापेक्ष 88 प्रतिशत धनराशि व्यय की जा चुकी है तथा द्वितीय किस्त अवमुक्ति का प्रस्ताव, भारत सरकार को प्रेषित किया जा चुका है । द्वितीय किस्त अवमुक्ति हेतु उपयोगिता प्रमाण पत्र तथा आडिट रिपोर्ट भी ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार को प्रेषित की जा चुकी है। यू.एस.आर.एल.एम. की वार्षिक कार्ययोजना के अन्तर्गत कुल स्वीकृत धनराशि रु0 2967.17 लाख के सापेक्ष द्वितीय किस्त रु0 1335.23 लाख राज्य को अवमुक्त किया जाए ।

मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री से पी.एम.जी.एस.वाई.-1 के अन्तर्गत अवशेष कार्यो की स्वीकृति मार्च 2019 के बाद पी.एम.जी.एस.वाई.-1 के अन्तर्गत  न दिये जाने  की दशा में स्टेज 2 की 181 डी.पी.आर. तथा सेतुओं की 119 कुल 310 डी.पी.आर. की स्वीकृति तथा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अन्तर्गत अपग्रेडेशन कार्यो हेतु 281 डी.पी.आर. की धनराशि ग्रामीण विकास मंत्रालय, से उपलब्ध कराने का भी अनुरोध किया।

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र ने केन्द्रीय मंत्री को यह भी अवगत कराया कि राज्य के सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण, सीमान्त जनपदों में आवासित परिवारों के आर्थिक उत्थान तथा सतत आजीविका सृजन के माध्यम से पलायन रोकने हेतु राज्य के चार सीमान्त जनपदों के गरीब परिवारों की आजीविका पहल से संबंधित रु0 95.44 करोड़ का परियोजना प्रस्ताव तैयार कर केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय को भेजा गया है। जिसकी स्वीकृति प्रदान करने का भी अनुरोध उन्होंने केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री से किया।

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