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श्री जे. पी. नड्डा ने नेशनल हेल्‍थ प्रोफाइल-2015 जारी किया

देश-विदेश

नई दिल्ली: स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री श्री जे. पी. नड्डा ने आज यहां केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य आसूचना ब्‍यूरो (सीबीएचआई) द्वारा तैयार किया गया नेशनल हेल्‍थ प्रोफाइल (एनएचपी)-2015 को जारी किया। इसके साथ ही वार्षिक दस्‍तावेज की पहली बार तैयार की गई ई-पुस्‍तक (डिजिटल संस्‍करण) को भी जारी किया गया। एनएचपी में भौगोलिक भू-भाग, सामाजिक-आर्थिक, स्‍वास्‍थ्‍य स्थिति और स्‍वास्‍थ्‍य वित्त संकेतकों को शामिल किया गया है।

इसके अलावा स्‍वास्‍थ्‍य संरचना और स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र के मानव संसाधनों के बारे में भी पूरी जानकारी दी गई है। सीबीएचआई वर्ष 2005 से प्रतिवर्ष एनएचपी का प्रकाशन कर रहा है। यह 11वां संस्‍करण है।

समारोह में स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कहा कि आंकड़े जानकारी के लिए महत्‍वूपर्ण स्‍त्रोत होते हैं, जिनसे हमें अपने लक्ष्‍य, अपनी ताकत और कमजोरियों को समझने में मदद मिलती है तथा रणनीति बनाने के लिए भी यह महत्‍वूपर्ण साधन होते हैं। बेहतर तरीके से आंकड़े जमा करने पर नीति निर्माताओं को विभिन्‍न योजनाओं के प्रभावशाली क्रियान्‍वयन और नीतियां बनाने में आसानी होती है।

स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कहा कि एनएचपी-2015 की ई-पुस्‍तक से प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के डिजिटल इंडिया के विजन को पूरा करने के लिए सहायता होगी। उन्‍होंने कहा कि डिजिटल दस्‍तावेजों से जानकारी के प्रसार का अवसर मिलता है। उन्‍होंने कहा कि अब समय आ गया है कि दस्‍तावेजी आंकड़ों को ‘रियल-टाईम’ आंकड़ों में बदला जाये। डिजिटल आंकड़ों से हमें अपना काम प्रभावशाली तरीके से करने में मदद मिलती है, जबकि रियल-टाईम आंकड़ों से हम अपनी योजनाओं की निगरानी रियल-टाईम में कर सकते हैं। श्री नड्डा ने कहा कि आंकड़ों को समझने और उनका विश्‍लेषण करना भी उतना ही महत्‍वपूर्ण है। आंकड़ों को सही तौर पर समझने से उनका मूल्‍य बढ़ता है। जो लोग आंकड़ों से संबंधित काम करते है, उन्‍हें अपने विश्‍लेषणों में कुशल बनाने की आवश्‍यकता है। उन्‍होंने सुझाव दिया कि इस लक्ष्‍य को बढ़ाने के लिए सम्‍मेलन और कार्यशालाएं आयोजित की जायें।

श्री जे. पी. नड्डा ने पूर्वोत्तर क्षेत्र, दक्षिण क्षेत्र, रेगिस्‍तानी क्षेत्र और झारखण्‍ड जैसे देश के विभिन्‍न हिस्‍सो में चार विभिन्‍न जिलों के लिए जियो-मैपिंग संबंधी प्रयोगों के बारे में सीबीएचआई दल द्वारा उठाये गये कदमों की सराहना की और दल को बधाई दी। उन्‍होंने आशा व्‍यक्‍त की कि देश के अन्‍य भागों में भी इसी तरह की गतिविधियां शुरु की जायेंगी। उन्‍होंने एनएचपी में पहली बार ईएसआईसी और रेलवे को शामिल करके अपने आंकड़ा संकलन के दायरे को बढ़ाने के लिए भी दल को बधाई दी।

इस अवसर पर श्री बी.पी. शर्मा ने कहा कि आंकड़े न केवल देश के स्‍वास्‍थ्‍य संकेतकों को समझने के लिए महत्‍वपूर्ण हैं, बल्कि इनसे हालात की निगरानी करने में भी मदद मिलती है। उन्‍होंने कहा कि एनएचपी-2015 से संकेत मिलता है कि देश की स्‍वास्‍थ्‍य स्थिति में विकास हो रहा है, जो उत्‍साहवर्धक संकेत है।

एनएचपी में छह प्रमुख संकेतकों के अंर्तगत स्‍वास्‍थ्‍य सूचनाएं उपलब्‍ध हैं। भौगोलिक भू-भाग संकेतकों से आबादी की स्थिति, सामाजिक-आर्थिक संकेतकों से शिक्षा, सामाजिक स्थिति, आर्थिक स्थिति, रोजगार, आवास एवं सुविधाएं, पेयजल और सफाई, स्‍वास्‍थ्‍य स्थिति संकेतकों से संक्रामक और गैर-संक्रामक रोगों, मातृ-शिशु स्‍वास्‍थ्‍य, कैंसर की रोकथाम और नियंत्रण संबंधी राष्‍ट्रीय योजनाओं की प्रगति, मधुमेह और विभिन्‍न प्रकार के हृदय रोगों से संबंधी स्थिति की सूचना मिलती है। स्‍वास्‍थ्‍य वित्त संकेतकों से स्‍वास्‍थ्‍य सेवा पर सरकार द्वारा किये जाने वाले खर्च, स्‍वास्‍थ्‍य और बीमा के लिए विभि‍न्‍न परिवारों द्वारा किये जाने वाले खर्च, स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र कार्यक्रमों के लिए सरकार को मिलने वाले बाहरी सहायता, स्‍वास्‍थ्‍य आंकड़ों के आधार पर अंर्तराष्‍ट्रीय मानकों की तुलना में की गई प्रगति की सूचनाएं उपलब्‍ध होती हैं। मानव संसाधन संबंधी संकेतकों से स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र में उपलब्‍ध श्रम-शक्ति तथा स्‍वास्‍थ्‍य संरचना द्वारा मेडिकल और डेंटल कॉलेजों, आयुष संस्‍थानों, नर्सिंग पाठ्यक्रमों, पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों तथा बीडीएस एवं एमडीएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश संबंधी सूचनाएं दी जाती हैं।

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