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विश्व की पहली साइंटून आधारित पुस्तक “बाय-बाय कोरोना” का उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल द्वारा लोकार्पण

देश-विदेश

कोरोना वायरस पर केंद्रित विश्व की पहली साइंटून (Scientoon) आधारित पुस्तक “बाय-बाय कोरोना” का लोकार्पण आज उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने लखनऊ स्थित राजभवन में किया है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की स्वायत्त संस्था विज्ञान प्रसार द्वारा इस पुस्तक का प्रकाशन किया गया है। विज्ञान प्रसार के निदेशक डॉ नकुल पाराशर और इस संस्था के ही प्रकाशन विभाग के प्रमुख निमिष कपूर इस पुस्तक के क्रमशः प्रमुख संपादक और संपादक हैं।

तेरह अध्यायों में प्रकाशित इस पुस्तक में कोरोना वायरस के बारे में विस्तृत जानकारी साइंस कार्टून्स (साइंटून्स) के जरिये प्रस्तुत की गई है। पुस्तक में महामारी से लेकर वैश्विक महामारी, कोविड-19 और उससे जुड़े लक्षणों, बीमारी की रोकथाम और सावधानियों का  साइंटून्स के माध्यम से रोचक चित्रण किया गया है।

विज्ञान विषयक कार्टून्स को साइंटून्स कहा जाता है। साइंटून्स के माध्यम से विज्ञान से जुड़े जटिल तथ्यों को भी आम जन के लिए बेहद रोचक एवं हल्के-फुल्के अंदाज में पेश करने का प्रयास किया जाता है। इनमें नवीन शोध, विभिन्न वैज्ञानिक विषय, डेटा और विज्ञान आधारित अवधारणाएं शामिल हैं। साइंटून्स पर केंद्रित वेबसाइट www.scientoon.com पर अन्य बहुत-से विषयों से जुड़े साइंस कार्टून्स देखे जा सकते हैं। साइंटून्स के मामले में भारत विश्व में शीर्ष स्थान रखता है। देश-विदेश के कई विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों में एम.एस.सी. पाठ्यक्रम में साइंटून्स का अध्ययन कराया जाता है। “बाय-बाय कोरोना” पुस्तक में शामिल एक अध्याय आर्ट ऑफ लीविंग विद कोरोना (Art of Living with Corona) है, जिसमें कोरोना वायरस से बचाव के लिए साइंस कार्टून्स के जरिये उन सावधानियों के बारे में बताया गया है, जिन पर घर से बाहर शॉपिंग या फिर अन्य कार्यों के लिए जाने पर अमल करना जरूरी है।

यह जाने-माने साइंटूनिस्ट प्रदीप के. श्रीवास्तव द्वारा लिखी गई है। लखनऊ स्थित सीएसआईआर-सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट में वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक के पद पर रहे प्रदीप के. श्रीवास्तव ने बताया कि “इस किताब का मूल उद्देश्य लोगों को आकर्षक तरीके से कोविड-19 से अवगत कराना है। मैंने कुछ साइंटून्स तैयार किए और उन्हें अपने फेसबुक पर पोस्ट किया था। डॉ नकुल पाराशर (निदेशक, विज्ञान प्रसार) ने उन्हें देखा और कोरोना वायरस पर साइंटून्स की एक पुस्तक विकसित करने का विचार दिया। मैंने शुरू में 50 पृष्ठों की किताब की योजना बनायी थी, क्योंकि मैं इस परियोजना पर अकेले काम कर रहा था। लेकिन, विषय की व्यापकता का एहसास होने के बाद, मैंने दूसरे लोगों से योगदान लेने का फैसला किया। इस तरह, कुल 220 पृष्ठों की पुस्तक तैयार हुई है।”

प्रदीप के. श्रीवास्तव के अलावा, इस पुस्तक में गोवा के मडगांव स्थित पार्वती बाई चौगले कॉलेज के छात्रों – लकीशा इनैसिआ कोएल्हो ई. कोस्टा, दा कोस्टा मारिया, साइमरैन ब्लॉसम, प्रियंका शांके, सामार्दिनी पाइगांकर, सेल्सिया सैविआ दा कोस्टा और प्रथमेश पी. शेतगांवकर ने भी कोरोना वायरस पर साइंटून्स बनाने में योगदान दिया है। इसके अलावा, गुजरात के स्कूल अध्यापक विशाल मुलिया का भी इस पुस्तक में अहम योगदान है।

विज्ञान प्रसार के निदेशक डॉ नकुल पाराशर ने कहा है कि “किसी तथ्य या कथा साहित्य की सचित्र प्रस्तुति हमेशा पाठकों का ध्यान बनाए रखने का सबसे शक्तिशाली माध्यम रही है। संचार के ग्राफिक आधारित वर्णन में, कार्टूनों को हमेशा पसंद किया गया है। साइंटून्स के क्षेत्र में, डॉ प्रदीप श्रीवास्तव की ‘बाय-बाय कोरोना’, अपने प्रासंगिक विषय के रूप में अलग स्थान रखती है, जिसे कार्टून के रूप पेश करना एक महत्वपूर्ण पहल है। साइंटून्स का यह संग्रह एक बहुत ही प्रासंगिक दौर में प्रकाशित किया जा रहा है। वास्तव में, यह बहुप्रतीक्षित पुस्तक है!”

विज्ञान प्रसार में प्रकाशन विभाग के प्रमुख निमिष कपूर ने कहा है कि “विज्ञान प्रसार सक्रिय रूप से विज्ञान आधारित पुस्तकों का प्रकाशन कर रहा है। कार्टून्स के जरिये कोरोना वायरस को समझने के लिए ‘बाय-बाय कोरोना’ का प्रकाशन उपयुक्त समय पर किया जा रहा है। बचाव के लिए जागरूकता अहम है, जो अंततः हमें महामारी से बचा सकती है।”

भारत में पुस्तक का लोकार्पण होने के बाद यह किताब ब्राजील के साओ पॉलो में आयोजित एक अन्य कार्यक्रम में भी ब्राजील इंडिया नेटवर्क द्वारा लोकार्पित की जाएगी। ब्राजील में बोली जाने वाली पुर्तगाली भाषा में इस पुस्तक के प्रकाशन की योजना है।

प्रकाशकों की योजना इस पुस्तक का 3डी संस्करण लाने की भी है, ताकि बोलते हुए साइंटून्स को विभिन्न भाषाओं में भारत और विदेशों में पहुँचाया जा सके और इसका उपयोग कोरोना वायरस के खिलाफ दुनिया भर में जागरूकता के प्रसार के लिए किया जा सके। (इंडिया साइंस वायर)

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