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बायोमास गैसीफायर से ऊर्जा उत्पादन पर कार्यशाला आयोजित देशहित में बायोमास गैसीफायर तकनीक को बढ़ाना आवश्यक: पार्थ सारथी सेन शर्मा

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: प्रदेश के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण (यूपीनेडा) द्वारा आज यहां होटल लीनिएयट, गोमती नगर में बायोमास गैसीफायर से ऊर्जा उत्पादन पर एक राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत के सचिव श्री पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बतौर मुख्य अतिथि कार्यशाला का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि देशहित में बायोमास गैसीफायर तकनीक को बढ़ाना आवश्यक है। इस योजना में अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग कर बिजली की समस्या से निजात पायी जा सकती है। उन्होंने कहा कि यह योजना काफी उपयोगी है। ग्लोबल वार्मिंग एवं बढ़ते प्रदूषण के कारण इसका उपयोग अत्यावश्यक हो गया है। जन जागरूकता के माध्यम से इस लाभदायक योजना को और बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मिनीग्रिड के रूप में पूरे हिन्दुस्तान में सबसे पहले यह तकनीक यहां आयी। उन्हांेने कहा कि इसके साथ ही प्रदेश में इस योजना को बढ़ाने के लिए बाटल नेक को दूर करने की निति बनानी चाहिए।
यूपीनेडा की निदेशक श्रीमती संगीता सिंह ने बताया कि प्रदेश में बायोमास गैसीफायर कार्यक्रम यूपीनेडा द्वारा गत 20 वर्षों से नवीन एवं नीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार के दिशा-निर्देशन में संचालित है। इस सयंत्र के द्वारा स्थानीय रूप में उपलब्ध बायोमास का प्रयोग कर ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है। गैसीफिकेशन तकनीकी में धान की भूसी, लकड़ी के टुकड़े, मॅंगफली, नारियल की छिलके, अरहर के डंठल आदि ज्वलनशील पदार्थ को गैस के रूप में परिवर्तित किया जाता है, इसे प्रोड्यूसर गैस कहते हैं, हाइड्रोजन तथा कार्बन मोनों आक्साइड इसके मुख्य अवयव है। यह गैस ज्वलनशील होती है एवं इसका उपयोग डीजल जनरेटर में करके बिजली पैदा की जाती है। इस गैस को भट्टियों, ओवन इत्यादि में प्रयोग कर तापीय ऊर्जा प्राप्त की जा जाती है।
श्रीमती सिंह ने बताया कि सामान्य तौर पर विद्युत उत्पादन हेतु 05 कि0वाट से 01 मेगावाट क्षमता के सयंत्र का निर्माण किया जाता है तथा तापीय ऊर्जा हेतु 12 से 1500 किलो कैलोरी प्रतिघण्टा ताप उत्पन्न करने के लिए निर्मित किया जाता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अभी तक 175 से अधिक लगभग 40 मेगावाट सयंत्र के उद्योग जिसमें राइस मिल, पेपर मिल, आटा मिल, बेकरी, बिस्किट व नमकीन फैक्ट्री आदि को अनुदान अथवा बिना अनुदान के स्थापित कराया गया है। श्रीमती सिंह ने बताया कि बायोमाॅस गैसीफायर से 4 किलोग्राम लकड़ी या 5 किलोग्राम धान की भूसी से 01 लीटर के बराबर ऊर्जा उत्पन्न कर सकते है। डीजल का वर्तमान मूल्य 60 रुपये के आधार पर केवल 20-22 रुपये के बायोमास से उतनी ही ऊर्जा उत्पादित कर बचत की जा सकती है।
यूपीनेडा के सचिव श्री सुनील कुमार चैधरी ने बताया कि भारत सरकार द्वारा 300 कि0वाट थर्मल गैसीफायर (100 कि0वाट विद्युत गैसीफायर के बराबर) पर 2.00 लाख रुपये तथा 100 कि0वाट के विद्युत उत्पादन हेतु गैसीफायर की स्थापना पर 2.50 लाख रुपये का अनुदान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम को प्रदेश में गति प्रदान करने के लिए नेडा की भूमिका एक उत्प्रेरक के रूप में है। प्रदेश के बायोमास की प्रचुर मात्रा में उपलब्धता को देखते हुए आज आवश्यक है कि परम्परागत ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता कम की जाये। इसी उद्देश्य से इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है।
कार्यशाला में बायोमास गैसीफायर फर्माें के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। उन्होंने इस तकनीक से ऊर्जा उत्पादन पर अपने-अपने अनुभव, तकनीक एवं आर्थिक लाभ के बारे में जानकारी दी। इसमें अंकुर साइंटिफिक एनर्जी टेक्नोलाॅजी लि0, इनीफिनायर एनर्जी प्रा0लि0,जी0पी0ग्रीन एनर्जी सिस्टम प्रा0लि0, चन्दरपुर वक्र्स प्रा0लि0, एग्रो पावर गैसीफिकेशन प्लाण्ट प्रा0लि0 के साथ विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

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