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उपराष्ट्रपति ने वास्तुकारों से कहा कि अपनी योजनाओं में संरक्षण और निरंतरता का ध्यान रखें

देश-विदेश

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज सभी वास्तुकारों और शहरी योजनाकारों से आग्रह किया कि वे अपनी योजनाओं के लिए संरक्षण और निरंतरता पर विशेष ध्यान दे। उन्होंने कहा कि निर्माण वातावरण में सुधार लाने के लिए परम्परा तथा प्रौद्योगिकी का समायोजन करें तथा दीर्घकालीन विकास की दिशा में काम करें।

      तमिलनाडु के मामल्लपुरम में वास्तुशिल्प और मूर्तिकला कॉलेज के छात्रों से बातचीत करते हुए श्री नायडू ने उनसे आग्रह किया कि वे देश की मूल्यवान संस्कृति और विरासत को प्रोत्साहन देने और उसकी सुरक्षा करने का प्रयास करे। उन्होंने कहा कि छात्रों को पारम्परिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ना चाहिए।

      मामल्लपुरम के विश्व धरोहर स्थल का उल्लेख करते हुए श्री नायडू ने कहा कि यह स्थान भारत की महान परम्परा का परिचायक है तथा मामल्लपुरम की पल्लव मूर्तिकारी और तटीय मंदिर, रथ मंदिर, गुफा मंदिर तथा अर्जुन का प्रायश्चित या गंगा अवतरण शैल वास्तुकला का शानदार नमूना होने के साथ-साथ दुर्लभ गरिमा को भी प्रदर्शित करते हैं।

      उपराष्ट्रपति ने कहा कि वास्तुशिल्प और मूर्तिकला कॉलेज इससे बेहतर स्थान पर नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि यहां के वास्तुशिल्प से महान विविधता के साथ-साथ इन स्मारकों का कर्मिक विकास भी नजर आता है।

      पर्यावरण अनुकूल हरित भवनों को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता पर बल देते हुए श्री नायडू ने कहा कि इन इमारतों में पानी का कम उपयोग होता है और ऊर्जा का आदर्श इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने आग्रह किया कि नई इमारतों का डिजाइन तैयार करते समय डिजिटल प्रौद्योगिकी का पूरा फायदा उठाया जाए, ताकि ‘स्मार्ट बिल्डिंग’ का निर्माण हो सके।

      श्री नायडू ने वास्तुशिल्प के छात्रों से आग्रह किया कि वे तेज शहरीकरण के समाधान के लिए नवाचारों का उपयोग करें तथा शहरी क्षेत्रों के सामान ग्रामीण क्षेत्रों में भी सुविधाएं प्रदान करने के तरीके खोजें। उन्होंने छात्रों को सलाह दी कि वे अधिक से अधिक साहित्य और कला रूपों का अध्ययन करें तथा अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त करें। उन्होंने छात्रों से यह भी कहा कि वे मूर्तिकला सहित सभी भारतीय कला रूपों के प्रति अपनी समक्ष में इजाफा करें।

      उपराष्ट्रपति ने वास्तुशिल्प कॉलेज जैसे संस्थानों से आग्रह किया कि वे शोध और नवाचार को प्रोत्साहन दे, ताकि हमारे शहर सुरक्षित और सुविधाजनक बन सकें तथा हमारी इमारतें सस्ती और पर्यावरण अनुकूल निर्मित हो सकें। उपराष्ट्रपति ने छात्रों को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए तमिलनाडु सरकार की सराहना की। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु सरकार छात्रों को इस दिशा में बहुत प्रोत्साहन दे रही है।

      इसके पूर्व उपराष्ट्रपति ने परिसर में सुधाई, प्रस्तर, धातु और काष्ठ मूर्तिकला स्टूडियो, वास्तुशिल्प स्टूडियो तथा पारम्परिक चित्रकारी स्टूडियो का दौरा किया। उन्होंने भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति का भी अवलोकन किया।

      श्री नायडू ने कहा कि मूर्तिकला भारतीय संस्कृति को प्रस्तुत करने का बेहतरीन कला रूप है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि युवाओं में निहित कौशल को पहचान कर प्रोत्साहन देने की जरूरत है। इसके लिए उपराष्ट्रपति ने मशवरा दिया कि शिक्षा प्रणाली में शिक्षण और कौशल निर्माण का समायोजन किया जाना चाहिए।

      उपराष्ट्रपति ने नक्काशी के लिए छेनी और हथोड़ी वाली तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए मामल्लपुरम के मूर्तिकारों की सराहना की। उन्होंने पल्लव युग की जटिल कला की प्रतिकृति तैयार करने के लिए मूर्तिकारों की क्षमता और उनके कौशल की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, ‘मुझे वास्तुशिल्प और मूर्तिकला कॉलेज के छात्रों द्वारा किए गए काम को देखकर अति प्रसन्नता हो रही है। कला और वास्तुशिल्प के इस उत्कृष्ट केन्द्र का दौरा करके मैं ऊर्जावान हो गया हूं।’

      अपने आगमन के दौरान उपराष्ट्रपति ने संस्थान के परिसर में संत कवि और दार्शानिक थिरुवल्लुवर की प्रतिमा का अनावरण भी किया।

      छात्रों के साथ उपराष्ट्रपति की बातचीत के दौरान तमिल आधिकारिक भाषा, तमिल संस्कृति और वास्तुशास्त्र मंत्री श्री के.के. पांडियाराजन, तमिलनाडु सरकार के अवर मुख्य सचिव श्री अशोक डोंगरे और महाबलीपुरम के गर्वमेंट कॉलेज ऑफ आर्कीटेक्चर एंड स्कल्पचर के प्राचार्य डॉ. राजेन्द्रन और अन्य अध्यापक उपस्थित थे।

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