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एक्ज़िम बैंक ने देहरादून, उत्तराखंड की हैंडीक्राफ्ट महिला कारीगरों के लिए डिजाइन विकास कार्यशाला हेतु मदद की

उत्तराखंड

देहरादून: एक्ज़िम बैंक द्वारा पुरकल स्‍त्री शक्ति समिति (पी एस एस एस), के साथ मिलकर पुरकल, उत्तराखंड के आस पास के गांवों की 25 चुनिंदा महिला मास्‍टर कारीगरों को सृजनशील तथा आधुनिक डिजाइन जैसे पैचवर्क, एप्‍लीक, कढ़ाई तथा रजाई बनाना (क्विल्टिंग) वस्‍तुओं आदि के लिए प्रशिक्षण प्रदान करने के उद्देश्‍य से एक छह मास की कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस क्षेत्र के लिए इस प्रकार की यह पहली कार्यशाला है जिसका उद्घाटन 6  अप्रैल, 2015 को उत्तराखंड के मुख्‍य सचिव, श्री एन. रवि शंकर द्वारा किया गया.

पी एस एस एस एक गैर-सरकारी फेयर ट्रेड संस्‍था है जो देहरादून के एक गांव पुरकल की महिलाओं के सशक्‍तीकरण के उद्देश्‍य से कार्य कर रही है. प्रारम्‍भ से ही यह संस्‍था आय अर्जन तथा ग्रामीण समुदाय की निर्बल एवं वंचित महिलाओं के कल्‍याण के लिए कार्य कर रही है. पी एस एस एस लगभग 50 स्‍वयं सहायता समूहों के साथ मि‍लकर कार्य कर रही है तथा 500 महिला कारीगरों को मदद प्रदान कर रही है.

अच्‍छी डिजाइन एवं पैकेजिंग के जरिए पी एस एस एस को घरेलू बाजारों के साथ-साथ विदेशी बाजारों में भी अपनी पहुंच बनाने के उद्देश्‍य से बैंक ने पी एस एस एस के साथ मिलकर पुरकल, उत्तराखंड में 25 चुनिंदा महिला मास्‍टर कारीगरों के लिए एक 6 माह की कार्यशाला का आयोजन कर रहा है. प्रस्‍तावित कार्यशाला में दो क्षेत्रों पर ध्‍यान दिया जाएगा जैसे (क) आधुनिक शिल्‍प डिजाइनों का प्रयोग कर उत्‍पाद तैयार करना तथा (ख) महिला कारीगरों को आधुनिक मशीनों के उपयोग करने हेतु तकनीकी ज्ञान देना ताकि उत्‍पादन की गुणवता एवं मात्रात्‍मकता दोनों में सुधार किया जा सके.उम्‍मीद है कि इस कार्यशाला में प्रशिक्षण के बाद कारीगर घरेलू तथा निर्यात बाजार में गुणवतायुक्‍त उत्‍पादों की डिजाइन करने में सक्षम हो सकेंगें, जिससे इनके आय स्‍तर में सुधार होगा.

इस अवसर पर एक्जिम बैंक के उप प्रबंध निदेशक श्री देबाशिस मल्लि‍क ने कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्‍य निर्यात बाजार के लिए उत्‍पाद गुणवता में सुधार लाना है जिससे कारीगारों को न केवल अच्‍छी आय प्राप्‍त करने में मदद मिलेगी बल्कि रोजगार अवसर भी बढ़ेंगें. उन्‍होंने कहा कि एक्ज़िम बैंक ग्रासरूट स्‍तर के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए निरन्‍तर प्रयासरत है. उन्‍होंने यह भी कहा कि कलर कॉम्‍बीनेशन, पैकेजिंग एवं डिजाइन विकास के जरिए देश की पारंपरिक कलाओं को संजोए रखकर उनके हस्‍तशिल्‍प निर्यात मूल्‍य में महत्‍वपूर्ण वृद्धि की जा सकती है. इससे नए उत्‍पादों के जरिए निर्यात को बढ़ाने में मदद मिलेगी तथा विदेशी बाजार में अच्‍छे मूल्‍य प्राप्‍त होंगें. हालांकि इस उद्देश्‍य को प्राप्‍त करने के लिए समान विचारधारा वाले निजी क्षेत्र तथा सरकारी कंपनियों,सोसायटी, ट्रस्‍ट तथा क्‍लस्‍टर को साथ मिलकर काम करने की नितांत आवश्‍यकता है.

यह कार्यशाला निर्यात विकास एवं गरीबी कम करने हेतु मजबूत संस्‍थागत ढांचे के विकास हेतु एक्ज़िम बैंक की एक पहल है जिसे बैंक के विशिष्‍ट समूह ग्रासरूट पहल एवं विकास (ग्रिड) के जरिए परिचालित किया जा रहा है. इस समूह का लक्ष्‍य विभिन्‍न ग्रासरूट संस्‍थाओं/ उद्यमों की मदद कर उन्‍हें विदेशी क्रेताओं तक अपनी पहुंच बनाने में मदद करना है. बैंक द्वारा अपनी इस पहल के जरिए ग्रामीण शिल्‍प उत्‍पादों जैसे नारियल शेल (छिलका) उत्‍पादों, प्राकृतिक फाइबर आधारित क्राफ्ट, हस्‍तशिल्‍प एवं हैंडलूम उत्‍पादों, औषधीय उत्‍पादों, अगरबत्ती रोलिंग, बिदरीवेयर, वुड कार्विंग, कलमकरी पेंटिंग आदि के लिए कौशल निर्माण में राष्‍ट्रीय स्‍तर पर विभिन्‍न ग्रासरूट उद्यमों की मदद की गई है.

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