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देहरादून 27 अपै्रल 2015, जिला सेक्टर, राज्य सेक्टर, केन्द्रपोषित एवं वाह्य सहायतित योजनाओं के सम्बन्ध आयोजित कार्यशाला में उपस्थित विभागीय अधिकारियों को निर्देशित करतेः अपर सचिव नियोजन रंजीत कुमार सिन्हा

उत्तराखंड

देहरादून: जिला सेक्टर, राज्य सेक्टर, केन्द्रपोषित एवं वाह्य सहायतित योजनाओं की प्रासंगिकता जांचने एवं आवश्यक नई योजनाओं के प्रस्ताव तैयार करने विषयक 2 दिवसीय कार्यशाला विकासभवन सभाकक्ष में अपर सचिव नियोजन, रंजीत कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में आयोजित हुई जिसमें प्रथम दिन 18 विभागों द्वारा संचालित योजनाओं का पावर प्रेजेंन्टेशन किया गया।

जिसमें लोक निर्माण विभाग, जल निगम, जल संस्थान, वन विभाग, बैकल्पिक ऊर्जा, लघु सिंचाई, राजकीय सिंचाई, अवस्थापना, नलकूप, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, माध्यमिक शिक्षा, अनुसूचित जनजाति कल्याण, पिछड़ी जाति कल्याण, वृद्धावस्था पेंशन, कृषि, पशुपालन , पर्यटन एवं युवा कल्याण विभाग शामिल थे।
इस अवसर पर अपर सचिव नियोजन रंजीत कुमार सिन्हा ने उपस्थित अधिकारियों को निर्देश दिये कि उक्त योजनाओं के अन्तर्गत ऐसी योजना प्रस्तावित की जाये जो अधिक उपयोगी एवं रोजगारपरक हों। उन्होने कहा कि योजनाएं ठोस एवं गुणवत्ता पूर्वक बनाई जाएं तथा योजना दीर्घगामी हो जिससे आम जनता को लाभ लम्बे समय तक प्राप्त हो तथा जिनका दीर्घकाल में अच्छा परिणाम प्राप्त हो सके। उन्होने निर्देश दिये की ऐसी योजनाएं प्रस्तावित न की जाएं जो आम आदमी के लिए उपयोगी न हों। उन्होने कहा कि योजना ससमय तैयार की जाय जिसका त्वरित लाभ आम जन मानस को प्राप्त हो सके। उन्होने यह भी कहा कि योजना चयन करने से पूर्व भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित कर ली जाय ताकि धनराशि आंवटित होते ही कार्य प्रारम्भ किया जा सके एवं योजना प्रस्तावित लागत से ही पूर्ण की जा सके।
उन्होने यह भी कहा है कि जनपद में जिला योजना का आकार सीमित होने के कारण समग्र विकास हेतु राज्य सैक्टर एवं केन्द्र पोषित मदों से अधिक योजनाओं का डबटेलिंग किया जाय। उन्होने यह भी कहा कि कृषि, उद्यान, पशुपालन, लघु सिंचाई तथा सिचांई विभाग आपस में समन्वय स्थापित कर विकास योजनाएं बनाये। उन्होने कहा कि प्राय यह देखा गया है कि विभागों का आपस में सामंजस्य न होने के कारण कभी-2 एक ही प्रकार की योजनाएं दो विभागों द्वारा प्रस्तावित कर दी जाती है। योजनाएं तैयार करते हुए आधारभूत आकंड़ों का उपयोग किया जाना चाहिए ताकि पिछड़े विकासखण्डों हेतु प्राथमिकता आधार पर योजना तैयार कर विकास कार्य किया जा सके।
मुख्य विकास अधिकारी आलोक कुमार पाण्डेय ने अवगत कराया है कि कार्यशाला के अन्तिम दिन 28 अपै्रल को आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक, जिला विकास विभाग, सैनिक कल्याण, उद्यान, भेषज, मत्स्य, दुग्ध विकास, सहकारिता, गन्ना विकास, ग्रामीण एवं लघु उद्योग, खादी एवं ग्रामोद्योग, रेशम विभाग, सूचना विभाग एवं सेवायोजन विभाग की योजनाओं का प्रस्तुतीकरण किया जायेगा।
कार्यशाला में निदेशक अर्थ एवं सख्या वाई.एस पांगती, संयुक्त निदेशक अर्थ एवं संख्या मनोज पंत, वरिष्ठ शोध अधिकारी राज्य योजना आयोग दीवानी राम, मण्डलीय अर्थ एवं संख्याधिकारी निर्मल कुमार शाह, अर्थ एवं संख्याधिकारी मुख्यालय मनीष राणा, अपर जिला संख्याधिकारी पी.एस तोमर सहित सम्बन्धित विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।

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