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केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल निशंक ने अन्तर विश्वविद्यालयीय अध्यापक शिक्षा केंद्र के दृष्टि आलेख का विमोचन किया

देश-विदेश

नई दिल्ली: केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल निशंक ने नई दिल्ली में अन्तर विश्वविद्यालयीय अध्यापक शिक्षा केंद्र (आई.यू.सी.टी.ई.) के दृष्टि आलेख (विजन डॉक्यूमेंट) का विमोचन किया। श्री निशंक ने कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यू.जी.सी.) के नियमों के तहत उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षक एवं शिक्षण की गुणवत्ता की आवश्यकता को महत्व देते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार, द्वारा अन्तर विश्वविद्यालयीय अध्यापक शिक्षा केंद्र को एक स्वायत्त संस्थान के रूप में स्थापित किया गया है।

श्री निशंक ने कहा कि आज शिक्षा और शिक्षण के क्षेत्र में अनेक उपलब्धियों में से अध्यापक शिक्षा को एक गम्भीर सरोकार के रूप में देखा जा रहा है। अन्तर विश्वविद्यालयीय अध्यापक शिक्षा केन्द्र जैसी संस्थाओं को इस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अध्यापक ही सभी शैक्षिक प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं इसलिए उनके सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए उनमें शिक्षण सामर्थ्य, प्रतिबद्धता और दृढ़ संकल्प से संपोषित होने के साथ दक्षता-सशक्तीकरण अत्यंत प्राथमिकता का विषय है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दुनिया को आज राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए समर्पित, कुशल और दक्ष अध्यापकों की आवश्यकता है।

श्री निशंक ने कहा कि उच्च शिक्षा में विभिन्न विषयों के शिक्षण-प्रशिक्षण हेतु अध्यापकों की दक्षता एक बहुत बड़ी चुनौती है। इसके लिए उच्च शिक्षा के विस्तार का नया स्वरूप, अधिगम मूल्यांकन के नये आयाम, नई शिक्षण विधियों का प्रयोग, प्रौद्योगिकी संपोषित शिक्षण, सर्वमान्य नई शिक्षण प्रणालियों एवं नये मानकों आदि में दक्षता हेतु नये अवसरों का सृजन अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों से यह भी अपेक्षा की जाती है कि वे पाठ्यक्रम के डिजाइन, प्रोजेक्ट आधारित-शिक्षण, सहकर्मी और समूह मूल्यांकन, निधि संग्रह और संस्थागत नेटवर्किंग क्षमता बढ़ाने आदि से पूर्णतया भिज्ञ और उनके प्रयोग में कुशल हों।

गुणवत्तापरक अध्यापकों और शिक्षण को विकसित करने में, आईयूसीटीई के अपने मूलभूत मूल्य  (1) भारतीय विरासत, (2) ज्ञान की खोज (3) उत्कृष्टता, (4) नवाचार, (5) सहयोग, (6) सहशासन,(7) उत्तरदायित्व और (8) निरन्तरता हैं। यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यूनेस्को द्वारा स्थापित और अनुशंसित धारणीय विकास लक्ष्यों (एस.डी.जी.) 2030 की संकल्पना के समतुल्य है।  इस दृष्टिकोण को आई.यू.सी.टी.ई. की गतिविधियों के केंद्र में रखते हुए इस विजन डॉक्यूमेंट को गुणवत्तापरक  अध्यापकों के निर्माण के उद्देश्य से बनाया गया है जो भारतीय ज्ञान की महिमा को वैश्विक स्तर पर स्थापित करेंगे।

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