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Union Home Minister’s speech at Counter-Terrorism Conference

“एसडीआरएफ-2017 का क्षमता निर्माण” पर राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न
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New Delhi: Following is the text of the speech delivered by the Union Home Minister Shri Rajnath Singh at the Counter Terrorism Conference organized here today:

“मैं, देश के सामने उत्‍पन्‍न चुनौतियों और अवसरों पर अपने स्‍वतंत्र विश्‍लेषण के लिए India Foundation द्वारा 3rd Counter-Terrorism Conference-2017 के आयोजन पर आप सभी को हार्दिक बधाई देता हूँ ।

विश्‍व के ज्‍वलंत और समसामयिक मुद्दों पर देश में जागरूकता फैलाने का आपका यह कार्य सराहनीय है।

India Foundation ने हाल के कुछ वर्षों में देश ही नहीं अपितु समग्र विश्‍व के लिए खतरा बन चुके आतंकवाद जैसे गंभीर मुद्दे पर चर्चा की शुरूआत की। आपका यह सफर वर्ष 2015 में Pink City जयपुर से शुरू होकर आज 3rd Counter Terrorism Conference, दिल्‍ली तक पहुंच गया है। मैं, इस पहल के लिए आपका धन्‍यवाद करता हूँ।

इस Conference में चर्चा का विषय ‘TERRORISM IN THE INDIAN OCEAN REGION’ रहा है। इस महत्‍वपूर्ण विषय पर भारत ही नहीं बल्कि अन्‍य देशों से पधारे Counter Terror Strategy Specialists के बीच आपसी विचार-विमर्श हुआ। मेरा विश्‍वास है कि इस सेमिनार में शामिल policy makers और security experts द्वारा OCEAN BORDERS SECURITY से संबंधित विभिन्‍न विषयों पर  विचार-विमर्श से आतंकवाद जैसे गंभीर वैश्विक-संकट से निपटने के लिए बहुआयामी विधाओं का सृजन हुआ होगा।

भौगोलिक रूप से, भारत एक दिशा में हिमालय की पर्वत श्रेणियों और तीन दिशाओं में समुद्री क्षेत्र से घिरा है जिनमें Bay of Bengal, Indian Ocean और Arabian Sea सहित 7516.6 किलोमीटर लंबी Maritime Boundary है। इन तीनों समुद्री क्षेत्रों में Indian Ocean दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा समुद्रीय क्षेत्र है।

विश्‍व की आबादी का लगभग 1/3 भाग IOR में है, जिसमें 25% landmass, 40% energy resources हैं और यह विश्‍व के अति महत्‍वपूर्ण 50% Container traffic movement में support करता है।

 Indian Ocean के किनारे अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण तेल व गैस भंडारों और Global Trade में लगभग 30 प्रतिशत माल आवाजाही के कारण भारतीय महासागरीय क्षेत्र (IOR) का व्‍यापक global strategic महत्‍व है। Indian Ocean Region (IOR) में East-Western Maritime Trade Corridor मुख्‍यत: Hormuz, Bab-el-Mandeb (West) Straits, Malacca Straits (East) जैसे महत्‍वपूर्ण स्‍थलों से गुजरता है। इन स्‍थलों से विश्‍व के 60 प्रतिशत तेल का आवागमन होने के कारण, ये विशेष संवेदनशील हैं।

भारत के व्‍यापार का 90 प्रतिशत तथा ऊर्जा आवश्‍यकता का 70 प्रतिशत का परिवहन Indian Oceanके माध्‍यम से होता है, जिसके लिए कच्‍चे माल एवं तेल आपूर्ति जैसे महत्‍वपूर्ण सामानों को लाने ले जाने के लिए प्रतिवर्ष 40 हजार से अधिक जहाज आते-जाते हैं। इसलिए इस समुद्री मार्ग की safety एवं securityभारत के लिए सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण है।

पांच दशकों से अधिक समय से विश्‍व-भर में Anti-Castro rebels, पुर्तगाली, अंगोलियाई, फिलिस्तीनी, श्रीलंकाई तमिल, फिलिपिनों एवं आइरिश विद्रोहियों तथा अलकायदा व लश्‍कर-ए-तैय्यबा जैसे कई rebel और terrorist groups द्वारा किए गए विभिन्‍न प्रकार के Maritime Terrorism का प्रभाव देखा गया है।

वर्ष 2002 में फ्रांसीसी टैंकर पर हमला और अक्‍तूबर, 2007 में USS Cole पर अलकायदा का हमला जैसी अनेक प्रमुख आतंकवादी घटनाएं हाल ही के कुछ वर्षों में Indian Ocean Region में घटित हुई हैं।

इसके अलावा हमने भी sea-routes से किए जा रहे terrorist attacks को झेला है फिर चाहे वह 12 मार्च, 1993 को मुंबई में श्रृंखलाबद्ध बम-धमाकों की बात हो जिसमें उपयोग किया जाने वाला explosives एवं ammunition को गुजरात एवं महाराष्‍ट्र तक Sea-routes से ही भेजा गया था या 26/11/2008 की घटना हो जिसे मुंबई में पाकिस्‍तान  प्रशिक्षित आतंकवादियों ने अंजाम दिया।

समु्द्री मार्गों का प्रयोग कर LeT द्वारा अपने कॉडरों की घुसपैठ कराने के संबंध में लगातार इनपुट मिलते रहे हैं। Extremist terror group Islamic State of Iraq और Syria (ISIS) के बढ़ते हुए प्रभाव के कारण West Asia और North Africa (WANA) के निकटवर्ती जल-क्षेत्रों में maritime terrorism की संभावना से इन्‍कार नहीं किया जा सकता।

Horn of Africa के पास से organized piracy activities प्राथमिक रूप से सोमालिया एवं Gulf of Aden के आस-पास के क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं और Arabian Peninsula में Al-Qaeda (AQ-AP) की गतिविधियों से प्रेरित होकर ISIS अपने गढ़ यमन में maritime risk बन सकते हैं। International Targetsपर हमला करने के उद्देश्‍य से AQ-AP Gulf of Aden के उस पार अल-सह-बाब जैसे संगठनों से अपने संपर्क बढ़ाने का प्रयास कर सकता है। 

मैं आपको बताना चाहता हूँ कि Coastal security के संबंध में भारत बिलकुल सतर्क है एवं भारत सरकार ने देश की Coastal security को और अधिक सुदृढ़ करने और खतरों व खामियों के continuously review के लिए effective mechanism की स्‍थापना के साथ-साथ अन्‍य  Comprehensive Measures किए हैं।

Indian Ocean से भारत सहित 36 देशों की तटीय सीमाएं लगी हुई है। समुद्री रास्‍तों से व्‍यापार व अन्‍य आर्थिक गतिविधियों को सुरक्षित और सुविधाजनक बनाने तथा maritime domains की safety औरprotection सुनिश्चित करने के लिए भारत सहित इस क्षेत्र के देशों को एक साथ मिलकर काम करने की आवश्‍यकता है:-

इसके लिए सबसे पहले United Nations Organization द्वारा आतंकवाद की comprehensivedefinition को स्‍वीकार करने की आवश्‍यकता है और ऐसे देश, जो इस परिभाषा की परिधि का उल्‍लंघन करते हैं, को यदि आवश्‍यक हो तो दंडित किया जाए और ostracized भी किया जाए।

आतंकवाद की Comprehensive definition में State Support Groups को भी शामिल किया जाए। ऐसे देश जो लगातार सक्रिय रूप से ऐसे समूहों को समर्थन दे रहे हैं, एवं प्रायोजित कर रहे हैं उन्‍हेंUnited Nations द्वारा स्‍वीकार किए गए इस Comprehensive definition की परिधि में लाया जाए।

‘State Sponsored Terrorism’ की पहचान एवं उसे अलग-थलग करने में असफल रहना निश्‍चय ही ऐसे समूहों के लिए सबसे महत्‍वपूर्ण encouraging factor होंगे जो ऐसे राज्‍यों से समर्थन प्राप्‍त करते रहे हैं।

Ocean Region में आतंकवाद पर सहयोग को केवल सम्‍मेलन तथा अन्‍य कार्यक्रम का आयोजन अथवा इस पर केवल बयानबाजी तक ही सीमित नहीं होना चाहिए।

इसके बजाय, concrete measures किए जाने एवं strong mechanism स्‍थापित करने की आवश्‍यकता है, जिसके माध्‍यम से सहयोगी देशों एवं क्षेत्रों के बीच information का constant flow संभव हो सके।

जैसा कि आप सभी अवगत होंगे इस दिशा में आगे बढ़ते हुए Indian Ocean क्षेत्र में आतंकवाद से लड़ने के लिए Indian Ocean Rim Association (IORA) द्वारा कुछ दिनों पहले जकार्ता में प्रथम शिखर सम्‍मेलन का आयोजन किया गया। Indian Ocean क्षेत्र के सभी    36 देशों में से 21 देश इस Association में शामिल हुए है। अमेरिका, चीन, जापान, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और मिस्र इस संघ के वार्ता साझेदार है। इस शिखर सम्‍मेलन में भारत की ओर से हमारे देश के उप-राष्‍ट्रपति महोदय ने भाग लिया,जिसमें उन्‍होंने स्‍पष्‍ट किया कि State Sponsored Terrorism को किसी भी रूप स्‍वीकार नहीं किया जाना चाहिए तथा आतंकवाद को बढ़ावा देने और उसे आर्थिक प्रश्रय प्रदान करने वाले राष्‍ट्रों को अलग-थलग किए जाने की आवश्‍यकता है।

Indian Ocean Region बहुत व्‍यापक है। Aerial Satellite तथा Communication monitoringद्वारा technical competence को बढ़ाए जाने की आवश्‍यकता है। किसी जहाज या Craft, जिसको Hijackकिया गया या आतंकवादी समूहों द्वारा उपयोग किया जा रहा है, की सैटेलाइट के माध्‍यम से निगरानी की जा सकती है और उसके सही ठिकाने को ढूंढा जा सकता है।

Indian Ocean region में piracy की स्थिति के कारण आतंकवाद का मुद्दा जटिल हो सकता है। Piracy activities को कुछ हद तक नियंत्रित किया गया है, फिर भी ये उन कारणों से सिर उठा सकते हैं, जिनका समाधान नहीं किया जा सका है।

यहाँ यह उल्‍लेख करना महत्‍वपूर्ण है कि विगत समय में कुछ आतंकवादी संगठनों द्वारा आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने के लिए pirates के इस्‍तेमाल की कोशिश भी की जा चुकी है।

Sea robbers को नियंत्रित करने में एक और महत्‍वपूर्ण उपाय ‘Floating Armories’ का उपयोग किया जाना है। इन ‘’Floating Armories’’ को मुख्‍य रूप से सोमा‍लिया तट पर marine naval crafts की sea pirates से रक्षा के लिए तैयार किया गया है।

विश्‍व के लगभग 90% सामान का आवागमन Cargo Containers के माध्‍यम से किया जाता है। इन Containers को आतंकवादियों द्वारा use किए जाने की संभावना है। इसलिए international shipping की संवेदनशीलता जाँच के दायरे में आ गई है। अकेले भारत में ही हमारे Containers  बन्‍दरगाहों द्वारा वर्ष 2015-16 में लगभग 12 मिलियन Ton Equivalent Units की handling की गई है।

Container Security की परिकल्‍पना multi-phased परियोजना के रूप में की गई है। जो USA  कीcontainer security initiative पर आधारित है।

      इन तथ्‍यों को ध्‍यान में रखते हुए हमें thoroughly debate एवं discussion करना है तथा अपने लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करने के लिए time-bound implementation हेतु कार्य-योजना बनानी है।

मैं अपने देश की विभिन्‍न सुरक्षा एजेंसियों से भी कहना चाहूँगा कि एक-दूसरे के साथ synergy औरbetter inter operability कायम करना सबसे ज्‍़यादा महत्‍वपूर्ण है। हमारी यह भी कोशिश बनी रहेगी कि हम उन स्थितियों से कारगर ढ़ंग से निपटें, जो आतंक को फैलाने में मदद करती हैं। आज हमें आतंकवादियों के इन परिस्थितियों का इस्तेमाल करने से रोकने और उनका डटकर मुकाबला करने की भी जरूरत है। हमें आतंकवाद का कारगर ढ़ंग से मुकाबला करने के लिए first responders की Anti-Terrorism Capacity को और सशक्‍त करने की जरूरत है।

एक बार फिर India Foundation को इस कार्यक्रम का आयोजन करने के लिए बधाई देता हूँ। इस conference में Indian Ocean को सुरक्षित बनाने के लिए राष्‍ट्र-प्रमुखों, बुद्ध‍जीवियों और विचारकों, सेना और पुलिस के सुरक्षा‍ विशेषज्ञों द्वारा अपने अनुभव और ज्ञान को साझा किया गया। मुझे यह विश्‍वास है कि नीति-निर्माताओं और सुरक्षा एजेन्सियों द्वारा इनके अनुभव और ज्ञान का समुचित रूप से उपयोग किया जाएगा। हम मैत्रीपूर्ण देशों के प्रतिभागियों और विभिन्‍न गणमान्‍य व्‍यक्तियों को भी यह भरोसा दिलाना चाहेंगे कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत अंतर्राष्‍ट्रीय समुदाय के साथ दृढ़ता से खड़ा है।”

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