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राज्य सरकार के प्रयासों के चलते राजकीय चिकित्सालयों में इलाज के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है: मुख्यमंत्री

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में राज्य की समाजवादी सरकार द्वारा बेहतर काम करने केे कारण स्वास्थ्य संकेतक बेहतर हुए हैं। उन्होंने कहा कि रजिस्ट्रार जनरल आॅफ इण्डिया द्वारा जारी किए गए ताजा आकड़ों के अनुसार प्रारम्भिक नवजात शिशु (ई0एन0एम0आर0), नवजात शिशु (एन0एम0आर0) और 5 वर्ष की आयु के शिशुओं (यू05एम0आर0) की मृत्यु दर में उत्तर प्रदेश में कमी आई है।

रजिस्ट्रार जनरल आॅफ इण्डिया द्वारा जारी किए गए एस0आर0एस0 2014 (एस0आर0एस0-2013) के आकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में प्रति एक हजार जन्म पर प्रारम्भिक नवजात शिशु मृत्यु दर वर्ष 2014 में 25 हो गई, जबकि यह वर्ष 2013 में 27 थी। इसी प्रकार नवजात शिशु मृत्यु दर वर्ष 2014 में घटकर 32 हो गई, जो वर्ष 2013 में 35 थी। इसके अलावा, 5 वर्ष की आयु के शिशुओं की मृत्यु दर जो वर्ष 2013 में 64 थी, वह वर्ष 2014 में घटकर 57 हो गई। उल्लेखनीय है कि पूर्व के वर्षों के मुकाबले वर्ष 2013 में भी शिशु मृत्यु दर में गिरावट दर्ज की गई थी।
इस प्रकार ई0एन0एम0आर0 में 2 अंकों की तथा एन0एम0आर0 में 3 अंकों की तथा यू05एम0आर0 में 7 अंकों की कमी दर्ज की गई है। तीनों प्रकार की शिशु मृत्यु दर में यह गिरावट अन्य राज्यों के मुकाबले उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक है। ये आकड़े इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि राज्य में शिशु मृत्यु दर में तेजी से गिरावट आयी है। भारत में ई0एन0एम0आर0 व एन0एम0आर0 में 2-2 अंकों की तथा यू05एम0आर0 में 4 अंकों की कमी आई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार के प्रयासों के चलते राजकीय चिकित्सालयों में इलाज के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है। इसके लिए उन्हांेने राज्य सरकार द्वारा स्वास्थ्य के क्षेत्र में लिए गए विभिन्न फैसलों जैसे निःशुल्क जांच, एक्स-रे एवं मुफ्त दवा आदि सहित ‘108’ समाजवादी स्वास्थ्य सेवा तथा ‘102’ नेशनल एम्बुलेन्स सर्विस को महत्वपूर्ण कारक बताया। उन्होंने कहा कि शिशुओं को लगने वाले प्रतिरक्षण टीकों के प्रतिशत में भी तेजी से वृद्धि हुई है।
श्री यादव ने कहा कि चिकित्सकों, ए0एन0एम0 तथा आशा बहुओं को लोगों को अधिक से अधिक सुविधा प्रदान करनी होगी। उन्हांेने कहा कि उत्तर प्रदेश की आबादी कई देशों से अधिक है। गांव में रहने वाली जनता और महिलाओं को विभिन्न रोगों के सम्बन्ध में कई तथ्यों की जानकारी नहीं है, इसलिए यदि स्वास्थ्य कार्यकर्ता इन तक पहुंचकर विभिन्न रोगों से बचाव एवं स्वास्थ्य के रख-रखाव के सम्बन्ध में सामान्य जानकारी उपलब्ध करा दें तो इन्हें कई रोगों से आसानी से बचाया जा सकता है। इसके लिए किसी विशिष्ट तकनीक एवं ज्ञान की आवश्यकता नहीं है।
श्री यादव ने कहा कि बच्चे भविष्य के नागरिक हैं। उनके स्वस्थ रहने से ही देश स्वस्थ रहेगा और प्रगति करेगा। उन्होंने डायरिया एवं निमोनिया से बच्चों की होने वाली मृत्यु का उल्लेख करते हुए कहा कि थोड़ी सावधानी बरतकर इस समस्या से निजात पायी जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं में साक्षरता दर बढ़ाने के लिए काम करना चाहिए, जिससे वे स्वतः भी नवजात शिशुओं की बेहतर ढंग से देखभाल कर सकें।

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