33 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

देश में कृषि की प्रधानता आगे भी रहेगी और विस्तार होगा: श्री तोमर

कृषि संबंधितदेश-विदेश

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने स्कूली शिक्षा में कृषि पाठ्यक्रम को मुख्यधारा में लाने के संबंध में आज विचार-मंथन सत्र का आयोजन किया। इसका शुभारंभ केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किया। इस अवसर पर श्री तोमर ने कहा कि देश में कृषि क्षेत्र का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है और बड़ी आबादी की आजीविका कृषि पर निर्भर है।  कृषि भारत की ताकत है और इसकी प्रधानता है जो आगे भी रहने वाली है, बल्कि इसका विस्तार भी होगा। इसके मद्देनजर नई शिक्षा नीति के साथ कृषि जगत को जोड़ने का प्रयत्न आईसीएआर ने किया है।

इस आयोजन का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 के तहत बेहतर शिक्षा प्रदान करने के लिए कृषि विज्ञान सहित व्यावसायिक पाठ्यक्रम विकसित करने की दिशा में कृषि शिक्षा प्रणाली को डिजाइन करने पर केंद्रित है। इसलिए, प्राथमिक, मध्य और माध्यमिक विद्यालय स्तर पर एक नया प्रतिमान पेश किया जाएगा, जिसमें कृषि और संबद्ध विज्ञान में छात्रों और युवाओं के विकास के लिए उच्च स्तर पर व्यावसायिक पाठ्यक्रम शामिल हैं। परिणाम स्वरूप, यह विचार-मंथन सत्र कृषि को पाठ्यक्रम में एक विषय के रूप में शामिल करने के लिए नीति एवं विकास में योगदान देगा और विद्यार्थियों को कृषि के विभिन्न क्षेत्रों में करियर तलाशने का विकल्प प्रदान करेगा।

श्री तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र ने प्रतिकूल परिस्थितियों में भी मेरूदंड की तरह देश का साथ दिया है। हाल ही में कोविड के संकट काल में भी हमारे कृषि क्षेत्र ने सकारात्मक प्रदर्शन किया है। इस क्षेत्र में निरंतर सुधार, निवेश बढ़ाने व तकनीक का समर्थन करने की आवश्यकता रहती है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भी यहीं चाहते हैं कि इन माध्यमों से किसान समृद्धता की ओर बढ़े और इसी अनुरूप सरकार ने अनेक ठोस कदम उठाए हैं। खेती में अनेक आयाम हैं, जिन पर एक साथ काम करना आवश्यक है, वहीं चुनौतियों का भी रफ्तार से समाधान किया जाता रहा है। इसी कड़ी में स्कूली शिक्षा में कृषि पाठ्यक्रम भी स्थान पाएं तथा कृषि में निरंतरता रहे एवं प्रत्येक भारतवासी का इससे जुड़ाव रहें, यह जरूरी है। श्री तोमर ने कहा कि बच्चों में कृषि के प्रति रूझान स्कूलों से ही रहेगा तो वे आगे चलकर कालेज की पढ़ाई के बाद खेती की ओर उन्मुख हो सकेंगे। हमारे किसान स्वाभाविक रूप से स्किल्ड वर्कर है। वर्तमान परिस्थितियों में, आने वाले कल में कृषि का क्षेत्र रोजगार के बहुत सारे अवसर सृजित करने वाला है। उन्होंने इस संबंध में केंद्र सरकार द्वारा कृषि को टेक्नालाजी से जोड़ने एवं एक लाख करोड़ रुपये का कृषि अवसंरचना कोष स्थापित करने का उल्लेख किया।

डेयर के सचिव व आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र भी मौजूद थे। आईसीएआर के उप महानिदेशक (कृषि शिक्षा) डॉ. आर.सी. अग्रवाल ने देश में कृषि शिक्षा की वर्तमान स्थिति व कृषि शिक्षा को स्कूल स्तर पर लाने की आवश्यकता के बारे में प्रेजेन्टेशन के माध्यम से जानकारी दी। विभिन्न सत्रों में आईसीएआर, एनसीईआरटी और सीबीएसई के अधिकारियों सहित स्कूलों के प्राचार्य, वरिष्ठ शिक्षक व अन्य विशेषज्ञ शामिल हुए, जिन्होंने स्कूली पाठ्यक्रम में कृषि को एक विषय के रूप में शामिल करने की आवश्यकता व प्रक्रिया पर विचार-विमर्श किया। प्रतिनिधियों ने राज्य-केंद्र स्तर पर आवश्यक नीति स्तर के हस्तक्षेप, मौजूदा पाठ्यक्रम पर पुनर्विचार के लिए शिक्षकों के संयुक्त कार्य समूह के विकास व स्कूल स्तर पर कृषि में विषय ज्ञान,शिक्षण कौशल बढ़ाने के लिए आवश्यक परिवर्तनों पर विचार किया। स्कूली शिक्षा विशेषज्ञ, पैनलिस्ट, पेशेवरों व आईसीएआर के विशेषज्ञों के विमर्श के आधार पर उम्मीद है कि अपनी तरह की यह अनूठी पहल छात्रों व युवाओं को बेहतर कृषि विकास के लिए तैयार करने हेतु स्कूली पाठ्यक्रम में बहुत आवश्यक बदलाव की भावना पैदा करेगी। हमारे कृषि प्रधान देश के लिए, आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में यह एक आवश्यक कदम है।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More