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अभियोजन के सुधार हेतु महानगर में एक दिवसीय सेमिनार सम्पन्न

उत्तर प्रदेश
लखनऊः अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 के अन्तर्गत इस वर्ष पहली जनवरी से 30 जून तक की अवधि में अपराधियों को अधिक सजा कराने एवं सजा का अच्छा प्रतिशत देने वाले जनपदों में अमरोहा, बस्ती, उन्नाव, मिर्जापुर तथा बरेली रहे है।

    इसी प्रकार इस वर्ष विगत 13 जुलाई से अब तक ललितपुर, गाजियाबाद, हाथरस, शाहजहॉपुर तथा उन्नाव जिलें 10 वर्ष अथवा उससे अधिक की सजायाबी दिलाने में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले जनपद पाये गये है। हापुड़, महाराजगंज, फर्रूखाबाद, सोनभद्र तथा फैजाबाद जिलें टॉप-10 के अच्छे सजा के प्रतिशत वाले जनपद पाये गये है। इन सभी जनपद के प्रभारियों को उत्साहवद्र्धन हेतु सम्मनित किया जायेगा।
यह जानकारी आज रेडियो मुख्यालय, महानगर स्थित सभागार में सम्पन्न एक दिवसीय सेमिनार में दी गई। समाज में शांति व्यवस्था बनाये रखने व अभियोजन के सुधार हेतु इस सेमिनार का आयोजन अभियोजन निदेशालय द्वारा किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में गृह सचिव श्रीमती नीना शर्मा तथा विशेष अतिथि के रूप में श्री जगमोहन यादव, पुलिस महानिदेशक ने भाग लिया। पुलिस महानिदेशक, अभियोजन डा0 सूर्य कुमार ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
इस अवसर पर अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 के अन्तर्गत अपराधियों को सजा दिलाने के कार्य की गहन समीक्षा भी की गई।    पिछले छः माह में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के मुकदमों में कुशल पैरवी करके 50 वादों में अभियुक्तांे को आजीवन कारावास, 16 वादों में 10 वर्ष से अधिक, 232 वादों में 10 वर्ष से कम अवधि की सजा से न्यायालयों द्वारा दण्डित कराया गया।
ऐसे गवाह, जो मुल्जिमों से मिल गये और उनके द्वारा गवाही नहीं दी गई ऐसे 410 गवाहों के विरूद्ध धारा 344 दं0प्र0सं0 के अन्र्तगत कार्यवाही की गई। ऐसे 2 वादों में, जिनमें अभियुक्तों द्वारा साक्षीगण को धमकाया गया उन अभियुक्तों की जमानत निरस्तीकरण की कार्यवाही की गई। असंगत दोषमुक्त हुये 52 वादों में अपील प्रस्तावित की गई।

पुलिस महानिदेशक अभियोजन ने कहा कि समाज में शांति व्यवस्था बनाये रखने में पुलिस/न्यायालय के साथ-साथ अभियोजन की भी अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि अधिकारी अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक होकर तथा कठोर परिश्रम के साथ अभियोगों की पैरवी सुनिश्चित करें तो निश्चित रूप से सजा के प्रतिशत में वृद्धि होगी और अभियुक्त जेल में होंगे तथा समाज में शान्ति-व्यवस्था कायम होगी।
महानिदेशक अभियोजन द्वारा सभी अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि वह समाज के कमजोर, निर्बल वर्ग, महिलाओं के प्रति हो रहे अपराधों तथा भ्रूण हत्या से सम्बन्धित मुकदमों की कुशल पैरवी कर अधिक से अधिक अभियुक्तों को सजा करायें जिसका कानून एवं व्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा तथा समाज में शान्ति एवं कानून व्यवस्था स्थापित होगी।
इस कार्यक्रम में अभियोजन निदेशालय के अन्य अधिकारियों के साथ-साथ प्रदेश के समस्त परिक्षेत्रीय अपर निदेशक अभियोजन/मण्डलीय संयुक्त निदेशक अभियोजन तथा जनपदीय वरिष्ठ अभियोजन अधिकारियों व शासकीय अधिवक्ता (फौ0)/अपर शासकीय अधिवक्ता(फौ0) द्वारा भाग लिया गया।                          

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