नई दिल्ली: भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली के जनपथ स्थित आईजीएनसीए में आयोजित प्रथम राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव आज यहां संपन्न हो गया। आठ दिन तक चले इस विविधता भरे और अपनी तरह के पहले राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव का उद्घाटन एक नवंबर, 2015 को हुआ था। समापन समारोह की मेजबानी संस्कृति सचिव श्री एन. के. सिन्हा ने की। इस अवसर पर अन्य प्रख्यात गणमान्य लोग व विदेशी प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। यह महोत्सव एक सांस्कृतिक संगम था। इसमें विभिन्न आंगनों में सुबह 10 बजे से शाम साढ़े छह बजे तक और मुख्य मंच पर शाम साढ़े छह बजे से रात साढ़े नौ बजे तक प्रतिदिन अनेकों सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं। इस दौरान 150 कला रूपों (आर्ट फार्म) का प्रदर्शन किया गया। महोत्सव के दौरान 1500 से अधिक कलाकारों की प्रस्तुतियां, पेंटिंग्स की 32 से अधिक विधाओं, दृश्य कलाओं (विजुअल आर्ट्स), 400 मास्टर कारीगरों और पारंपरिक मास्टर शेफ द्वारा पाक कला का प्रदर्शन हुआ।
क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों के सात आंगनों में आगंतुकों के समक्ष विभिन्न कलाकृतियों, मसलन, पंजाब के हवेली चित्रों, गुजरात की रोगन कलाकृतियों, बनारसी सिल्क, कलमकारी (हाथ से पेंट या ब्लॉक मुद्रित सूती कपड़ा), तंजौर पेंटिंग समेत कई दूसरे हस्तशिल्प की एक श्रृंखला प्रस्तुत की गई।
महोत्सव के दौरान फूड कोर्ट में आगंतुकों को देश के विभिन्न हिस्सों के पारंपरिक भोजन के जायके से रू-ब-रू करवाया गया। इनमें हैदराबाद का कीमा की लुखमी और दम का चिकन, कश्मीर का नरगिसी कोफ्ता, मुर्ग यखनी, रिस्ता और गोस्तबा, महाराष्ट्र का थालीपीठ, मिसल पाव, बटाटा वड़ा और मसाला भात, तेलंगाना में एक मोटे पत्थर की पटिया पर पकाया जाने वाला पत्थर का गोस्त-मसालेदार मटन एवं मटका रोटी, शाकाहारी मारवाड़ी थाली समेत कई व्यंजन शामिल थे।
स्कूली बच्चों के लिए पोस्टर बनाने की प्रतियोगिता, सांस्कृतिक पोशाक- फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता, फेस पेंटिंग, लोक प्रस्तुतियां (गायन/नृत्य/वाद्ययंत्र) और स्पॉट फोटोग्राफी जैसे कार्यक्रम हुए। इसके अलावा ऑरिगामी, ब्लॉक पेंटिंग, कठपुतली, मास्क मेकिंग, मिट्टी के बर्तनों की ढलाई की कार्यशाला भी इस महोत्सव का हिस्सा रहे।
असम के बीहू, अरुणाचल प्रदेश के अजी लमू, मिजोरम का सरलमकाई, मेघालय का वांगला, गुजरात का डांग, गोवा का ढेकनी अथवा घोडे मोडनी, डमी हार्स एवं न्यांदीमेलम, छत्तीसगढ़ के पंथी नृत्य समेत कई नृत्य कलाओं का भी प्रदर्शन किया गया। इससे अलावा यह महोत्सव पटियाला, उदयपुर, तंजावुर, कोलकाता, नागपुर, दीमापुर और इलाहाबाद जैसे सात क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों के मैदानी कलाकारों एवं आर्टिस्टों की ऊर्जा और तेजी से भरी प्रस्तृतियों का गवाह बना।
यह आठ दिवसीय महोत्सव गुरदास मान, शारदा सिन्हा, संदीप महावीर, रूप कुमार राठौर एवं सुनाली राठौर, मालिनी अवस्थी और तौफीक कुरैशी जैसे कई प्रख्यात कलाकारों की सजीव प्रस्तुतियों का भी गवाह बना। समापन समारोह में प्रख्यात सूफी गायक वडाली बंधुओं ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी।