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Text of PM’s address to the Indian Community in Kobe, Japan

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New Delhi: कोबे में मुझे पहले भी आप लोगों के बीच आने का सौभाग्‍य मिला है। तब तो पता भी नहीं था कि ऐसा कोई इंसान प्रधानमंत्री बन जाएगा। उस समय भी आप लोगों ने मुझे इतना प्‍यार दिया था, जो मैं कभी भूल नहीं सकता हूं। कोबे में आएं और आपको मिले बिना चले जाएं, इसकी मैं कल्‍पना भी नहीं कर सकता।

मैं, कल प्रधानमंत्री अबे से बात कर रहा था। कोबे से मेरे संबंधों के संबंध में। मैंने उनसे कहा कि 2001 में जब गुजरात में भंयकर भूकंप आया, तो कोबे सबसे पहला था जिसने आ करके गुजरात के लोगों की मदद की थी और उससे पहले भी यहां भूकंप आया था। उसके बावजूद भी और जब सुख में कोई आए न आए कहता है कि आए होता तो अच्‍छा होता, लेकिन दुख में कोई न आए तो याद रह जाता है और जो दुख में पहुंच जाए, वो जीवनभर पूज्‍य लगता है। कोबे उस रूप में दु:ख की स्थिति में हाथ बंटाने वालों में सबसे पहले था, तो उसका स्‍मरण रहना, उसके प्रति आदर भाव रहना, बहुत स्‍वाभाविक है। आप सब इस बात से गर्व करते होंगे कि हिन्‍दुस्‍तान की हर खबर आपका माथा ऊंचा करती होगी, करती है कि नहीं करती ? सीना तान करके, आंख में आंख में मिला करके बड़े हौसले के साथ आप बात कर पाते होंगे। और उसका कारण, उसका कारण, उसका कारण मोदी नहीं …। उसका कारण सवा सौ करोड़ हिन्‍दुस्‍तानी हैं। जिस लगन से देश को आगे बढ़ाने के लिए और विशेषकर के भारत की युवा पीढ़ी ने जो मन में ठान ली है और जिस प्रकार से पुरूषार्थ कर रहे हैं। किसी को भी गर्व है।

दो साल भंयकर अकाल के रहे। बारिश बहुत कम हुई थी और भारत की अर्थव्‍यवस्‍था ऐसी है कि अकाल में सब कुछ चरमरा जाता है, लेकिन उसके बावजूद भी दो साल के भंयकर अकाल के बावजूद भी, scarcity के बावजूद भी सारा विश्‍व एक आवाज से कह रहा है कि बड़ी economy में सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली अगर कोई economy है, तो उसका नाम है हिन्‍दुस्‍तान है। IMF हो, World Bank हो, सब लोग एक स्‍वर से कह रहे हैं। IMF ने कह दिया कि भारत एक चमकता सितारा है ।

विश्‍व भर के अर्थशास्‍त्री मानते हैं कि भारत बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। FDI, Foreign Direct Investment, मेरी अपनी एक अलग परिभाषा भी है। पहली परिभाषा है मेरी – FDI, First Develop India और दूसरी है Foreign Direct Investments और इन दिनों भारत के इतिहास में, सबसे ज्‍यादा FDI भारत को प्राप्त हो रहा है। और FDI प्राप्‍त करने का Growth rate भी है वो Historically Highest है। तो ये चीजें इस बात को उजागर कर रही हैं कि देश आर्थिक विकास पर बहुत तेज गति से आगे बढ़ रहा है।

हमारे देश में गरीबी की चर्चा हमेशा हुई है। ऐसा नहीं कि कोई मैंने आ करके शुरू की है, पहले भी हुई है, लेकिन ज्‍यादातर चुनाव के समय हुई है। बाद में सब भुला दिया जाता है। मैंने चुनाव के बाद शुरू कर दी है और बहुत तेज गति से इस बात को आगे बढ़ा रहा हूं कि देश को गरीबी से मुक्‍त करना चाहिए। कर सकते हैं अब हमारे देश में 40 प्रतिशत लोग ऐसे थे उनके नसीब में बैंक का दरवाजा भी नहीं था। वो सोच ही नहीं सकता कि इतनी बड़ी बिल्डिंग में, जहां इतने शीशे लगे हों, मैं अन्‍दर जा सकता हूं कि नहीं जा सकता हूं। हमने आकर के अभियान चलाया कि सबसे पहले, सबके बैंक के खाते खोल देंगे। अब पैसे तो थे नहीं। स्‍टेशनरी का भी खर्चा होता है। फार्म का खर्चा भी आठ-आने रूपया होता ही होता है। हमने सरकार में कहा कि नहीं एक पैसा लेना नहीं मुफ्त में खाता खोलो। तो कुछ दिन तो आप जानते हो कि क्‍या हुआ होगा। लेकिन साथ में सरकार में सब लोग मान गये। और हमने गरीबों से कहा कि आपके पास एक नया पैसा नहीं होगा तो भी आपका बैंक का खाता खुलेगा। और देश में करीब-करीब सभी गरीब परिवारों के बैंक के खाते खुल गए हैं। और हमने तो गरीबों को कहा था कि एक रूपया भी नहीं होगा तो भी खुलेगा। लेकिन हमारे देश की विशेषता है देश के गरीबों में अमीरी दिखाई दी है। बहुत बार हम अमीरों की गरीबी तो देखते हैं, लेकिन गरीबों की अमीरी देखने का सौभाग्‍य मिला है। उनको कहा था कि आप एक रूपया भी नहीं दोगे तो चलेगा। उसके बावजूद भी जिसका जीवन में कभी खाता नहीं खुला था, बैंक का दरवाजा नहीं देखा था। इस एक शब्द पर, इन गरीबों ने बैंक में करीब-करीब 45 हजार करोड़ रूपये जमा किया 45000 crore Rupees । ये गरीबों की अमीरी और यही है हमारे देश की सबसे बड़ी ताकत। जो देश हम जैसा चाहते हैं। वैसा बनाने का सामर्थ्‍य रखती है।

2011 में जापान में बड़ी प्राकृतिक आपदा आई। आपके यहां भूकंप आया, सुनामी आई। उसी समय आपके यहां फुकुशिमा की दुर्घटना हुई। 2011 के वो दिन याद करेंगे, बिजली में कटौती, पानी भी अगर चार बोतल जरूरत है तो एक बोतल से चलाना। दही लाना है तो और भई मत लाओ कम ला दे। और सिर्फ वहां नहीं जहां पर आपत्ति आई थी। पूरे जापान में सरकार ने इच्‍छा व्‍यक्‍त की, सरकारी दफ्तरों के लिए लेकिन इस देश की जनता ने इसे अपनी जिम्‍मेवारी माना, और हर कोई कोट-पैंट- टाई बंद करो, तो बंद किया, AC बंद करो तो बंद किया। पानी जरूरत से ज्‍यादा मत लो तो, नहीं लिया। कम चीजों से घर खाने में चलाकर तीन सब्‍जी बनाते हो तो एक सब्‍जी से चलता है। आप लोगों ने किया है जापान के लोगों ने किया। जब मैं पढ़ रहा था सारी चीजें और जब मैं बाद में आया तो सुन रहा था लोगों से, तो मुझे भी कभी होता था कि कैसे महान लोग है देश के लिए क्‍या कुछ कष्‍ट झेलते हैं। नहीं कभी-कभी मन में आता था कि हमारे देश में कभी ऐसा हो सकता है क्‍या? क्या ये संभव है क्या? लेकिन मैं आज बड़े विश्‍वास से यह कह सकता हूं कि हिन्‍दुस्‍तान का सामान्‍य मानवीय भी अगर उसे अवसर मिले, मौका मिले, जिम्‍मेवारी की बात आ जाए तो जैसा आपने करके दिखाया वो भी पीछे रहने वालों में से नहीं है। मैं ये अनुभव से कहता हूं।

अभी अभी को मेरा ताजा अनुभव है – कौन से वाला ? आपको भी पता है कि अचानक आठ तारीख को रात आठ बजे पांच सौ और हजार के नोट ठप्‍प …। मैं सवा सौ करोड़ देशवासियों को नमन करता हूं, सलाम करता हूं। घर में शादी है, पैसे नहीं हैं, मां बीमार है, लेकिन नोटों का थब्बा है, लेकिन मुश्किल है। इन सबके बावजूद भी तकलीफ है ये पता है, खुद है ये पता है। अड़ोस –पड़ोस है पता है उसके बावजूद भी लोग मुंह में उगली डाल-डाल कर पुछवाते थे कि मोदी को कुछ बोलो। कुछ मोदी के खिलाफ बोलो। ऐसा भी चल रहा है। लेकिन मैं देश के लोगों को सौ–सौ सलाम करता हूं कि चार घंटे लाइन में खड़ा रहा, कोई छह घंटे लाइन में खड़ा रहा। लेकिन तकलीफ झेली लेकिन देश के हित में इस निर्णय को वैसे ही स्‍वीकार और स्‍वागत किया है। जैसे 2011 में जापान के हर नागरिक ने कर के दिखाया था। कुछ स्‍थान पर तो लोग पांच-पांच घंटे खड़े थे और अचानक ATM ने काम करना बंद कर दिया, तो भी चलो कल ठीक हो जाएगा। ये अपने आप में देश के उज्‍ज्‍वल भविष्‍य की निशानी है, उज्‍ज्‍वल की निशानी है। ये ठीक है पाप करने वालों की संख्‍या कुछ ज्‍यादा नहीं होगी। लाख दो लाख पांच लाख लोग होंगे। मुसीबत सवा सौ करोड़ को हो रही है। लेकिन फिर भी सवा सौ करोड़ को लगता है अगर इतना-सा झेलने के बाद, अगर आपने देखा होगा, अब तो Watsapp पर सब आता होगा। पहले गंगा में कोई चवन्‍नी नहीं डालता था अब नोट बह रहे हैं गंगा में।

आप मुझे बताइये, चोरी का माल निकलना चाहिए कि नहीं निकलना चाहिए? सामान्‍य मानवीय को शिकायत यह रहती है कि एक को फायदा हो और एक को नुकसान हो। उसको लगता है कानून सबको पांच सौ के नोट दे, सबके हजार के नोट दे। मोदी के भी हजार के नोट अब बाजार में चलने वाले नहीं हैं। लोग कहते हैं कि वाह ये बढि़या हुआ। ऐसा होना चाहिए। हरेक के लिए सामान उसका असर है और इस कारण इस निर्णय का मुझे भी पता नहीं था कि मुझे ऐसे आर्शीवाद मिलेंगे कि जिस आर्शीवाद को मैं जब सोच रहा था। ये करूंगा तो क्‍या-क्‍या तकलीफ होंगी। क्‍या–क्‍या फायदा होगा वो तो मैंने सोचा ही नहीं था। मैं दीमाग खपा रहा था कैसे करूं, कैसे करूं और ये काम ऐसा था कि लोगों से बता भी नहीं सकता था। अचानक करना पड़े, वरना तो खेल खत्‍म। जो लोग इतना जमा कर सकते हैं। वो अपनी जगह भी कर सकते हैं, तो इसलिए इसको Secret रखना भी जरूरी था। तो मैं सोच रहा था कि ये तकलीफ होगी, ये तकलीफ होगी, ये मुश्किल होगा। तो हमारी एक छोटी सी टीम थी तो बैठकर के रास्‍ते खोज रहे थे। लेकिन मैंने यह नहीं सोचा था उसमें से कोई आर्शीवाद भी मिलेंगे। जब लोगों को पता चला कि इसी गृहणी के, हर महिला सब्‍जी लेने जाती है तो थोड़ा बचा लेती है और साड़ी के पल्‍लू में बांध करके रख लेती है ताकि घर में सब खाली हुए, मुसीबत आए तो वो निकाल करके देगी। हमारे देश में महिला कुछ न कुछ बचा करके रखती है और ईमानदारी का होता है कोई बेइमानी का पैसा नहीं होता है। जब हमने कह दिया कि अगर किसी गृहणी का ढाई लाख रूपया अगर वो बैंक में जमा कर देगी तो सरकार उसको नहीं पूछेगी कि ढाई लाख रूपये कहां से आए थे। उसका परिणाम क्‍या हुआ मालूम है – कई बेटे और बहुएं भी जो वृद्धाश्रम में मां को रख कर आए थे उन्‍होंने ढाई-ढाई लाख रूपये जमा करा दिया मां के खाते में। अब मुझे बताइये वो मां मुझे आर्शीवाद देगी, कि नहीं देगी। ऐसी वृद्ध मां मुझे आर्शीवाद दें तो फिर कोई योजना सफल होने में आशंका रहती है क्‍या।

भाइयों और बहनों ये बहुत बड़ा स्‍वच्‍छता का अभियान है। ये किसी को परेशान करने के लिए नहीं है। तकलीफ हुई है, मुझे भी अंदाज है, मैंने पहले दिन भी कहा था जब मैंने आठ तारीख को राष्‍ट्र के नाम संबोधन किया था तब भी कहा था कि इतना बड़ा देश है। पचास दिन दिए हैं जल्‍दबाजी करने जरूरत नहीं है। पचास दिन दिए हैं जा करके अपने जो ईमानदारी, हक के पैसे हैं वो जमा कराएं बदले में उनको खाते में पैसे आ जाएंगे। लेकिन मैं इस बात को स्‍पष्‍ट मानता हूं कि बिना हिसाब का अगर कुछ आया हाथ, तो उसका देश आजाद हुआ तब से आज तक का हिसाब चैक करने वाला हूं। जितने लोगों को नये लाना पड़ेगा ला करके इस काम में लगाऊंगा। हक, ईमानदारी का है उसका जय-जयकार होगा उसका कोई Problem नहीं है। लेकिन इस प्रकार से किसी ने जमा किया और वो सोचता होगा, आज बैंक में रख लूंगा, फिर देख लूंगा। कोई बचने वाला नहीं है और जो लोग मुझे जानते हैं वो कुछ समझदार भी हैं। तो उनको लगता है बैंक में जाने के बजाय गंगा जी में जाना अच्‍छा है। पैसे मिले या ना मिले पुण्‍य तो मिल जाएगा और इसलिए देश को तो मैं फिर एक बार, आज पहुंचते ही लोगों को बार बार कहने वाला हूं कि ईमानदार लोगों की रक्षा करने के लिए मेरी सरकार सब कुछ करेगी और बेइमानों का हिसाब चुकता हो के ही रहेगा।

अब ऐसा नहीं है कि ये हमने रातों रात किया हैं हमने पहले एक Scheme निकाली कि आप इतना दंड दे करके जितना दे सकते हो दे दीजिए। तो करीब 67 Thousand crore rupees आए। तब भी कुछ लोग तो कहते थे मोदी फेल हो जाएगा। मोदी का कुछ नहीं हुआ। लेकिन आखिर व्‍याकरण आया तो वो बोलते ही नहीं।

और पिछले दो साल में इस प्रकार के जो अलग –अलग प्रयास किए गए। करीब-करीब सवा लाख करोड़ रूपया वापस आया, सवा लाख करोड़ रूपया। तो मौका दिया था, ऐसा नही है कि नहीं दिया था। लेकिन फिर भी अगर आपको लगता है कि वैसे ही है, पहले जैसे थे तो गलती मेरी नहीं है। और इसलिए और जो लोग अब 30 दिसंबर तक उनके पास समय है। अब 30 दिसंबर तक कोई तकलीफ के बिना सारा कारोबार हां, जल्‍दबाजी करेंगे तो थोड़ी तकलीफ हो सकती है। 30 दिसंबर तक कोई मुश्किल नहीं होगा सवा सौ करोड़ देशवासियों का। उनके हक की चीजें मिल जाएगी। लेकिन कुछ लोग सोचते होगे कि 30 दिसंबर के बाद… तो मैं आज फिर से ये ऐलान करना चाहूंगा कि ये स्‍कीम पूरी होने के बाद दूसरा कुछ आपको ठिकाने लगाने के लिए नहीं आएगा इसकी गांरटी नहीं है।

अब दुनिया इतनी बदल चुकी है, हमने मुख्‍यधारा में, आप ठीक है पहले कर लिया कर लिया भई। मैंने मौका दिया, अपने नसीब की चिंता करो। लेकिन मेरे प्‍यारे देशवासियों, आप लोग जहां कड़ी मेहनत करके भारत का नाम रोशन करने में लगे हैं। आपके पुरूषार्थ से देश का गौरव भी बढ़ता है। दुनिया में जहां भी जाते हैं भारतीय समुदाय के व्‍यवहार की बहुत की सकारात्‍मक चर्चा, विश्‍व में जहां-जहां भारतीय समुदाय रहता है उनसे मिलती है सुनने के लिए और उसके कारण भारत साख भी बढ़ती है भारत की प्रतिष्‍ठा भी बढ़ती है तो ये आप लोगों का बहुत बड़ा यागदान है।

मैं फिर एक बार, आप सबको मिलने का मुझे अवसर मिला। मैं आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद करता हूं और मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं कि अब हिन्‍दुस्‍तान निरंतर आगे बढ़ने वाला है, विकास की नई ऊंचाइयों को पार करने वाला है। जो सपने आप दुनिया में जाकर दुनिया में रह कर देखते हो, और जो अच्‍छी चीजें आप हिन्‍दुस्‍तान में चाहते हो। वो सभी अच्‍छी चीजें हिन्‍दुस्‍तान में होना संभव हो चुका है। हो के रहेगा बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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