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मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता में सुधार कर जैविक कृषि के माध्यम से सतत उत्पादन के लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं: राधा मोहन सिंह

कृषि संबंधितदेश-विदेश

नई दिल्ली: केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि जैविक कृषि  किसानों को जीविका प्रदान कर सकती है और ग्रामीण व शहरी लोगों के लिए रोजगार सृजन के अवसर पैदा कर सकती है। मथुरा स्थित पंडित दीन दयाल धाम में राष्ट्रीय जैविक कृषि केन्द्र द्वारा आयोजित जैविक कृषि सम्मेलन को संबोधित करते हुए कल राधा मोहन सिंह ने कहा कि मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता में सुधार कर जैविक कृषि के माध्यम से लंबी अवधि तक उत्पादन किया जा सकता है। मंत्री महोदय ने बताया कि वर्ष 2015-16 में मोदी सरकार ने पहल करते हुए परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) शुरू की। 2015-2016 से 2018-19 की अवधि के दौरान किसान-समूह द्वारा जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए 1307 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया। पीकेवीवाई, आर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट मिशन (एमओवीसीडी) और वाणिज्य मंत्रालय के अधीनस्थ कृषि प्रसंस्करण एवं निर्यात प्राधिकरण (एपीईडीए) के सफल कार्यान्वयन के साथ, देश में अब तक 23.02 लाख हेक्टेयर क्षेत्र प्रमाणित जैविक खेती के तहत लाया जा चुका है।

उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक बाजार में भारतीय जैविक उत्पादों की काफी मांग है। 2016-17 के दौरान, भारत ने 15 लाख टन जैविक उत्पादों का उत्पादन किया है जिसमें 3.64 लाख टन उत्पादों का निर्यात किया गया है, जिसका मूल्य 2478 करोड़ रुपये है जबकि घरेलू बाजार 2000 करोड़ के आस-पास है जोकि अगले तीन वर्षों में 10000 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है।

मंत्री महोदय ने जैविक कृषि को अपनाने और रासायनिक खाद एवं कीटनाशक की निर्भरता को कम करने को कहा। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए पर्यावरण, मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता को संरक्षित करने व वैश्विक तापमान को कम करने के साथ पोषण की सुरक्षा हासिल करने हेतु जैविक खेती को अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि एनसीओएफ ने किसानों के लिए मल्टी-एक्शन कचरा अपघटक (Waste Decomposer) प्रौद्योगिकी विकसित की है।

माननीय सिंह ने कहा कि मोदी सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है और देश में जैविक खेती के विकास के लिए किसानों को हर संभव मदद उपलब्ध करवाई जा रही है। जैविक खेती क्रांति को देश के कोने-कोने तक पहुंचाने हेतु उन्होंने सभी किसान समूह व गैर-सरकारी संगठनों को मिट्टी व पर्यावरण को घातक रसायनों के उपयोग से बचाने के लिए जैविक खेती को अपनाने की दिशा में पहल करने का आह्वान किया।

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