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सुरेश प्रभु ने नवीकरणीय ऊर्जा वार्ता – 2018 को संबोधित किया

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नई दिल्ली: सुरेश प्रभु ने कहा कि भारत विश्व की सबसे बड़ी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता विस्तार की महत्वाकांक्षी योजना पर कार्य कर रहा है। क्षमता विस्तार की इस योजना के पूरे होने पर भारत अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन परियोजना के केंद्र में आ जाएगा। यह गठबंधन 120 देशों में सौर ऊर्जा के प्रोत्साहन और विकास के लिए कार्य कर रहा है।

आज नई दिल्ली में नवीकरणीय ऊर्जा वार्ता को संबोधित करते हुए श्री सुरेश प्रभु ने कहा कि भारत ने 2030 तक अपने कुल ऊर्जा उत्पादन का 40 प्रतिशत अजैविक ऊर्जा स्रोत से हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन सकारात्मक संदेश दे रहा है। इसलिए सभी देश नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश करना चाहते हैं। इसके लिए नई तकनीक को उपलब्ध कराया जाना चाहिए और वित्तीय निवेश को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

भारत सरकार ने 2022 तक 20 गीगावाट सौर ऊर्जा की स्थापित क्षमता का लक्ष्य निर्धारित किया था। इसे 4 वर्ष पहले ही 2018 में हासिल कर लिया गया है। अब 2022 तक 100 गीगावाट का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

वार्ता के माध्यम से देश और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के नवीकरणीय ऊर्जा से संबंधित हितधारक एक साथ आए हैं। इन्होंने भारत और विश्व के समक्ष इस क्षेत्र की चुनौतियों और सकारात्मक पहलुओं पर विचार-विमर्श किया है। वार्ता के दौरान छत पर सौर पैनल लगाने, स्वच्छ ऊर्जा निवेश, नवीकरणीय ऊर्जा कटौती को दूर करना तथा नवीकरणीय ऊर्जा बाजार के जोखिम जैसे विषयों पर किए गए अध्ययन पर विचार किया गया।

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई), अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए), अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी, शक्ति सतत ऊर्जा फाउंडेशन और आरईएन 21 के सहयोग से ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (सीईईडब्ल्यू) ने नवीकरणीय ऊर्जा वार्ता का आयोजन किया था। बाजार निर्माण और बाजार के रुझान, वार्ता के इस संस्करण के प्रमुख विषय थे।

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