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सुपीम कोर्ट का फैसला बागी विधायक नहीं दे पाएंगे वोट

उत्तराखंड

देहरादून: उत्तराखंड में शक्ति परीक्षण से चौबीस घंटे पहले सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के उस फैसले पर मुहर लगा दी है, जिसमें कांग्रेस के 9 बागी विधायकों को मतदान से दूर रखा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों राहत देने से इनकार कर दिया है। उत्तराखंड मामले में अगली सुनवाई के लिए 12 जुलाई की तारीख तय की है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उत्तराखंड की 71 सदस्यों वाली विधानसभा में कुल 62 सदस्य रह जाते हैं, जिनमें से एक स्पीकर हैं यानी शक्ति परीक्षण 61 पर होगा। कांग्रेस को 31 की दरकार है। वो 27 पहले से हैं उन्हें 6 के साथ का पूरा भरोसा है जो यूकेडी, बीएसपी और निर्दलीय हैं।

वहीं दूसरी ओर भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि राज्य विधानसभा में भाजपा फ्लोर टेस्ट में जीत दर्ज करेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में जिस तरह आरोप लग रहे हैं और स्टिंग में नेता फंस रहे हैं उससे साफ है कि कांग्रेस में अच्छी छवि के नेता बीजेपी का साथ देंगे।

न्यायमूर्ति यू सी ध्यानी की एकल पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिका खारिज की जाती है और उन्होंने विधायकों से कहा कि यदि वे चाहते हैं तो वे अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल से अपने निर्णय की समीक्षा करने का अनुरोध करें। यह निर्णय रावत के लिए कल होने वाले विश्वास मत में भाजपा का काम मुश्किल बना देगा क्योंकि उसके पास मात्र 28 विधायक बचेंगे जिनमें से भीम लाल आर्य की पार्टी के प्रति वफादारी पर संदेह है। हालांकि भाजपा ने आर्य को निलंबित कर दिया है लेकिन वे अब भी सदन में पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हैं।

उच्च न्यायालय द्वारा आदेश सुनाए जाने के कुछ ही क्षणों बाद विधायकों ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। विधायकों के वकील सी ए सुंदरम ने प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर के समक्ष दिन में पहले सुनाए गए उच्च न्यायालय के फैसले का उल्लेख किया। प्रधान न्यायाधीश ने वकील को उस पीठ के पास जाने के लिए कहा जिसने शुक्रवार को शक्ति परीक्षण का आदेश दिया था।

उच्च न्यायालय के आज के आदेश से यह सुनिश्चित हो गया है कि ये विधायक अयोग्य बने रहेंगे और यदि शीर्ष न्यायालय यह आदेश बदलता नहीं है तो बागी विधायक कल रावत के लिए कराए जाने वाले विश्वास मत की कार्यवाही में भाग नहीं ले सकेंगे।

उच्चतम न्यायालय ने विधानसभा में 10 मई को शक्ति परीक्षण का आदेश देते हुए कहा था, अगर शक्ति परीक्षण के दौरान तक उनकी यही स्थिति बनी रहती है तो वे शक्ति परीक्षण में शामिल नहीं होंगे। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह की पीठ ने आदेश दिया था कि विशेष रूप से आहूत दो घंटे के सत्र के दौरान राष्ट्रपति शासन लागू नहीं रहेगा। पूर्वाहन 11 बजे से अपराहन एक बजे तक विधानसभा सत्र का आयोजन शक्ति परीक्षण के एकमात्र एजेंडे के लिए होगा।

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