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राज्य भूवैज्ञानिक कार्यक्रयी परिषद की 41वीं बैठक सम्पन्न

उत्तर प्रदेश
लखनऊ: प्रदेश के भूतत्व एवं खनिकर्म प्रमुख सचिव डाॅ0 गुरदीप सिंह ने बताया कि औद्योगिक खनिजों की खोज के लिए प्रदेश में लगभग 50,000 वर्ग कि0मी0 पठारी क्षेत्र उपलब्ध है। प्रदेश के दक्षिणी भाग अर्थात बुन्देलखण्ड, मिर्जापुर, सोनभद्र, इलाहाबाद, बाँदा, चित्रकूट आदि जनपदों में खनिज की पर्याप्त मात्रा विद्यमान है, जबकि अन्य जनपदांे में बालू, मोरंग, बजरी आदि उपखनिज भी पाये जाते हैं।

उन्होंने बताया कि चट्टान युक्त क्षेत्र, खनिज अन्वेषण की दृष्टि से सम्भावनाओं से भरा हुआ है। इन क्षेत्रांे में अधात्विक तथा धात्विक खनिजांे के पाये जाने की सम्भावनाओं का आंकलन करने के लिए खनिज अन्वेषण कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। प्रदेश के खनिज अन्वेषण कार्यकलापों की रुपरेखा तय करने एवं आपसी विचार-विमर्श के लिए यह बैठक आयोजित की गई है।
प्रदेश के भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय में आज राज्य भूवैज्ञानिक कार्यक्रयी परिषद की 41वीं बैठक की अध्यक्षता प्रमुख सचिव, भूतत्व एवं खनिकर्म डाॅ0 गुरदीप सिंह ने की। बैठक में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग, उत्तरी क्षेत्र, लखनऊ, पर्यावरण विभाग उ0प्र0, रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेन्टर, लखनऊ, केन्द्रीय भूगर्भ जल सर्वेक्षण परिषद, लखनऊ, निदेशक, भूगर्भ जल सर्वेक्षण, लखनऊ, विभागाध्यक्ष (भू-विज्ञान विभाग), लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ एवं देश व प्रदेश के वरिष्ठ भूवैज्ञानिकों द्वारा भाग लिया गया।
इस मौके पर निदेशक श्री संतोष कुमार खनिज विभाग ने विगत वर्षों में किये गये अन्वेषण कार्यों की प्रगति एवं विभाग की उपलब्धियों की जानकारी देते हुए बताया कि अन्वेषण क्षेत्र के सभी कार्यक्रम तेजी से पूर्ण कराए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि जनपद सोनभद्र के हरदी क्षेत्र में लगभग 1200 मीटर लम्बी, 18 मीटर चैड़ी तथा 15.5 मीटर मोटी स्वर्णयुक्त क्वार्टज पेबल कांग्लोमिरेट की चट्टानों में स्वर्ण की उपस्थिति ज्ञात की गयी है, क्षेत्र में औसत 0.3 ग्राम प्रति टन स्वर्ण की उपस्थिति पायी गयी है। जनपद झांसी के बडागाँव-मऊरानीपुर क्षेत्र में प्रारम्भिक अन्वेषण कार्य पूर्ण कर लिया गया है प्रारम्भिक आकंलन के अनुसार इस क्षेत्र में लगभग 20 मिलियन टन लौह अयस्क के भण्डार उपलब्ध है।
निदेशक ने विभिन्न विभागों द्वारा रखे गए विचारों एवं सुझावों पर सहमति जताते हुए कहा कि विभाग द्वारा अन्वेषण क्षेत्र में गम्भीरता से कार्य किया जा रहा है। साथ ही, आवश्यकता इस बात की भी है कि सम्बन्धित विभागों से समन्वय स्थापित किया जाए, जिससे खनन कार्यांे में किसी प्रकार की तकनीकी समस्या न आने पाए।

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