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आई एम एस यूनिसन यूनिवर्सिटी देहरादून द्वारा राष्ट्र नीति 2019 युवा संसद का शुभारंभ कर सम्बोधित करते हुएः विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल

उत्तराखंड

देहरादून: आई एम एस यूनिसन यूनिवर्सिटी देहरादून द्वारा राष्ट्र नीति 2019 युवा संसद का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष श्री प्रेम चंद अग्रवाल ने किया l इस अवसर पर श्री अग्रवाल ने कहा है कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है,  एक ऐसा देश जो व्यक्ति-व्यक्ति में भेद नहीं देखता, बल्कि हर वर्ग, हर जाति, हर समाज के व्यक्ति को एक समान मंच पर ला कर अपने विचारों की अभिव्यक्ति का शुभ अवसर प्रदान करता है।

       श्री अग्रवाल ने कहा कि आस्था से भरे इस देश में ऐसे मंदिर भी है जहां एक आम आदमी उन भव्य धर्मों के चिंतन का मूल विषय बन जाता है। संसद हो या विधानसभा यह सभी लोकतंत्र के मंदिर है तथा इनसे जुड़ा प्रत्येक सदस्य एक ऐसे अनुष्ठान के दायित्व को निभा रहा है जिसका उद्देश्य जनकल्याण और भारतवर्ष की उन्नति है।

यह बहुत ही सकारात्मक विषय है कि एक अच्छी शुरुआत हुई है और राष्ट्रनीति जैसे कार्यक्रम यहां आयोजित किये जा रहे हैं। इस प्रकार के कार्यक्रमों से देश का युवा जोशीला ही नहीं, बल्कि भविष्य की जिम्मेवारी  उठाने के लिए भी तैयार होता है। अपने करियर बनाने के साथ साथ, इस इस युवा अवस्था में वह देश बनाने का भी सामर्थ्य रखता है।

इस भव्य आयोजन में कई मुद्दों पर विचार विमर्श हो रहे हैं। जहां लोकसभा मे केंद्र की एनडीए सरकार के वर्तमान कार्यकाल पर चर्चा होनी है, वहीं विभिन्न विषयों पर अनेक प्रतिनिधिगण अपने-अपने विचार भी यहां पर प्रस्तुत करेंगे ।

         कार्यक्रम में अपने संबोधन में श्री अग्रवाल ने कहा कि  हर सरकार अपने साथ एक विचार और कुछ नीतियां लेकर चलती है तथा एक लंबे समय के बाद देश में एक भारतीय चिंतन युक्त  तथा नई उर्जा के साथ कार्य करने वाली सरकार को अनुभव किया है। ऐसे में मेरी आपसे आशा है कि हम राजनीतिक विषयों में न फंसकर एक सकारात्मक सोच के साथ नीतियों की पारदर्शिता और वर्तमान सरकार की उपलब्धियां तथा आकांक्षाओं, अपेक्षा पर विचार-विमर्श करें। इसके सकारात्मक परिणाम अवश्य ही मिलेंगे तथा इस राष्ट्र को दूर तक ले जाने का सामर्थ्य भी रखेंगे।

       श्री अग्रवाल ने कहा कि आज बेटियां आसमान छू रही है देश के दो महत्वपूर्ण दायित्व विदेश और रक्षा मंत्रालय मातृशक्ति निभा रही है। वह जननी ही नहीं, जानने वाली भी है। इसी तरह हमारे उत्तराखंड की माननीय राज्यपाल महोदया भी महिला हैं। यह महिला सशक्तिकरण का प्रमाण है। परन्तु उन्नति के इस मार्ग में हम महिलाओं के 50% जनसंख्या को पीछे छोड़ आए हैं तो सपनों का भारत बनाना कठिन ही नहीं, असंभव भी होगा ।

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