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श्री राधा मोहन सिंह ने पिछले 30 महीनों के दौरान कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों की जानकारी दी

Shri Radha Mohan Singh in the last 30 months, the significant steps taken by the Ministry of Agriculture and Farmers' Welfare briefed
कृषि संबंधितदेश-विदेश

नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि एंव किसान कल्याण मंत्री, श्री राधा मोहन सिंह ने आज नई दिल्ली में उनके मंत्रालय द्वारा पिछले 30 महीनों में उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों और कामयाबी की जानकारी देने के लिए संवाददाता सम्मेलन कोसम्बोधित किया।  इस अवसर पर श्री राधा मोहन सिंह ने “30 महीने, नए कदम-प्रगतिशील कदम” नामकशीर्षक के साथ एक किताब जारी की। 

केंद्रीय कृषि एंव किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा पिछले 30 महीनों में उठाए गए महत्वपूर्ण कदम निम्नलिखितहैं :- 

  1. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना:

इस योजना के तहत खरीफ 2015-16 में 309 लाख (294 लाख ऋणी व 15 लाख गैर ऋणी) किसानों ने बीमाकराया जबकि 2016-17 के खरीफ में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 366.64 लाख (264.04 लाख ऋणीव 102.60 लाख गैर ऋणी) किसानों ने बीमा कराया।

  1. स्वायल हैल्थ कार्ड:

इस योजना के तहत मार्च 2017 तक 2.53 करोड़ स्‍वायल नमूना संग्रहण के लक्ष्य के सापेक्ष 27.12.2016 तक 2.33 करोड़ संग्रहित किये जा चुके हैं, जिनसे 12.82 करोड़ कार्ड बनाए जा रहे हैं। अभी तक 4.25 करोड़ कार्डवितरित किए जा चुके हैं। साथ ही 2014-16 के दौरान 460 प्रयोगशालाओं की स्थापना की जा चुकी है जबकि2014 से पहले केवल 15 स्‍वीकृत की गई थी। 460 प्रयोगशालाओं के अतिरिक्‍त  4000 मिनी लैब भी राज्‍यों कोस्‍वीकृत की गई हैं।

  1. परंपरागत कृषि विकास योजना:

इस योजना के तहत जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए 2014 से तीन वर्षों के लिए 597 करोड़ रु आवंटित किएगये जिनसे 10,000 क्लस्टर बनाए जाने थे। दिसम्‍बर, 2016 तक 9186 क्लस्टर बनाए जा चुके हैं।

  1. राष्ट्रीय कृषि बाजार:

इस योजना के तहत 10 राज्यों की 250 मंडियो को सितंबर 2016 तक ई नाम पोर्टल से जोड़ दिया गया है व 399 मंडियों के प्रस्तावों को स्वीकृति दी जा चुकी है। जिसके लिए 93 करोड़ रूपये निर्गत किये जा चुके हैं। 27.12.2016तक 7,131.21 करोड़ रूपये के 35,04,371.13 टन कृषि उत्‍पाद का कारोबार e-NAM पर हो चुका है। 27.12.2016तक 9,49,112 किसानों, 59,472 व्‍यापारियों और 31,317 कमीशन एजेंटों को e-NAM प्‍लेटफार्म पर पंजीकृतकिया जा चुका है।

  1. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना:

इस योजना के तहत सूक्ष्‍म सिंचाई योजना के तहत 2013-14 में 4.3 लाख हैक्टेयर सूक्ष्म सिंचाई के अधीन लायागया जबकि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत 2014-16 में 12.74 लाख हैक्टेयर सूक्ष्म सिंचाई के अधीनलाया गया है जो की 200 प्रतिशत की वृद्धि हैं। पीएमकेएसवाई स्‍कीम को कमान क्षेत्र विकास सहित दिसम्‍बर2019 तक चरणबद्ध तरीके से  76.03 लाख हैक्‍टेयर की क्षमता के साथ 99 वृहत और मध्‍यम सिंचाई परियोजनाको पूर्ण करने के उद्देश्‍य से मिशन मोड में कार्यान्‍वित किया जा रहा है जो रु. 77,595 करोड़ की लागत से पूराहोगा। वर्ष 2016-17 के लिए रु.12,517 करोड़ के माध्‍यम से 23 योजनाएं पूरी की जाएंगी।

  1. मधुमक्खी विकास:

मधुमक्खी विकास के तहत 2012-14 में 1,48,450 मीट्रिक टन का उत्पादन हुआ जबकि 2014-16 में 2,63,930 मीट्रिक टन का उत्पादन हुआ जो कि 78 प्रतिशत की वृद्धि है। नेशनल बी बोर्ड (एन बी बी) को मधुमक्खीपालनविकास के लिए पिछले तीन वर्षों (2011-12 to 2013-14)  में कुल  रुपये 5.94  करोड़ की वित्तीय सहायता के एवज में पिछले दो  वर्षों (2014-15  व्  2015-16) में कुल रुपये 7.15 करोड़ की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराईगयी। मधुमक्खीपालन विकास के लिए वर्ष 2016-17 में एन बी बी को रुपये 12.00 करोड़ की वित्तीय सहायतामंजूर की गयी।

  1. एफपीओ:

एफपीओ के तहत 2011-14 के दौरान (3 वर्षों में) 223 एफपीओ का पंजीकरण हुआ जबकि 2014-16 के दौरान (2 वर्षों में) 568 एफपीओ का पंजीकरण हुआ जो कि 155 प्रतिशत की वृद्धि है।

  1. ज्वाइंट लाएबिलिटी ग्रुप को वित्तीय सहायता

2007 से 2014 तक (7 वर्षों में) 6.7 लाख ज्वाइंट लाएबिलिटी समूहों की तुलना में 2014 से 2016 (2 ½ वर्षों में)18.21 लाख समूहों को वित्तीय सहायता प्रदान की गयी। 2007 से 2014 तक (7 वर्षों में) रु. 6630 करोड़ कीसंचित उपलब्धियों की तुलना में 2014 से सितम्‍बर 2016 (2 ½ वर्षों) तक रु. 18,006 करोड़ की राशि की वित्तीयसहायता संयुक्त देय समूहों को प्रदान की गयी।

  1. बागवानी:

पिछले दशक में बागवानी के तहत क्षेत्र प्रति वर्ष लगभग 2.7 प्रतिशत बढ़ा है और वार्षिक उत्‍पादन 5.5 प्रतिशतबढ़ा है। लगातार दो वर्ष 2014-15 व 2015-16 में सूखा पड़ने के बावजूद, बागवानी के उत्पादन में वृद्धि हुई है।

  1. नारियल विकास:

इस वित्तीय वर्ष 2016-17 की शुरुआत से ही भारत नारियल तेल का निर्यात मलेशिया, इंडोनेशिया और श्रीलंकाको करने लगा है, जबकि हम पिछले वर्ष तक इन्हीं देशों से नारियल तेल का आयात कर रहे थे। दुनिया में भारतनारियल उत्पादन में पहले स्थान पर आ गया है। नारियल क्षेत्र, उत्पादन और उत्पादकता में क्रमश: 1.97 करोड़हेक्टेयर, 20,439 बिलियन नट और 10,345 नट प्रति हेक्टेयर है। साथ ही नारियल विकास बोर्ड (सीडीबी) केपुनर्रोपण और क्षेत्र की कार्यकलापो में 2011-14 की तुलना में वर्ष 2014-16 के दौरान 33% की वृद्धि हुई हैं।

  1. राज्य आपदा अनुक्रिया कोष (SDRF):

राज्‍यों को 2010-15 के दौरान राज्य आपदा अनुक्रिया कोष (SDRF) में  रु. 33581 करोड़ निर्गत किये गये जबकि2015-20 के दौरान रू. 61219 करोड़ आवंटित किए गये हैं।

12                राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया कोष (NDRF):

राज्यों ने 2010-14 के दौरान राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया कोष (NDRF) से रु. 92044 करोड़ मांगे जिसके सापेक्ष रु. 12516 करोड़ निर्गत किए गये। जबकि राज्यों ने 2014-16 के दौरान रु 94787 करोड़ मांगे जिसके सापेक्ष रु. 24556 करोड़ निर्गत किए गये।

  1. नीम कोटेड यूरिया:

मोदी सरकार ने एक वर्ष में पूरे देश में अब नीम कोटेड यूरिया 100 % उपलब्‍ध कराना शुरू कर दिया है। इससेयूरिया का अवैध रूप से रसायन उद्योग में दुरूपयोग समाप्‍त हो गया है। अब किसानों को यूरिया पर्याप्‍त   मात्रामें मिल रहा है। नीम लेपित यूरिया के उपयोग से उत्‍पादन लागत में 10-15 % की भी कमी हो रही है। इसकेउपयोग से उत्‍पादकता भी बढ़ेगी।

  1. कृषि वानिकी: 

हर खेत के “मेढ़ पर पेड़”, परती भूमि पर पेड़ तथा inter cropping में भी पेड़ लगाने के उद्देश्य से पहली बार कृषिवानिकी उप-मिशन क्रियान्वित किया गया है। इस योजना के अन्तर्गत “मेड़ पर पेड़” अभियान को गति मिलेगी।इसके अलावा खेत में फसलों / फसल तंत्र के साथ पट्टी एवं अंतरायिक रूप में पेड़ लगाए जाने का प्रावधान हैं।खेती योग्य बंजर भूमि में भी पेड़ लगाए जा सकते हैं। स्‍कीम का कार्यान्‍वयन उन्‍हीं राज्‍यों में किया जायेगाजिसमें इमारती लकड़ी के परिवहन हेतु उदारीकृत परिवहन विनियमन हो और अन्‍य राज्‍यों में तभी लागू कीजायेगी जब उनके द्वारा छूट अधिसूचित की जाती है। अभी तक 8 राज्‍यों में इस योजना का क्रियान्‍वयनप्रारम्‍भ हो चुका है।

  1. चमन परियोजना: बागवानी आकलन और प्रबंधन जियोइन्फारमैटिक्स के प्रयोग पर समन्वितकार्यक्रम (चमन):

इस कार्यक्रम का उद्देश्य “रिमोट सेंसिंग प्रौद्योगिकीऔर नमूना सर्वेक्षण पद्धति ” का उपयोग कर बागवानीफसलों के क्षेत्रफल और उत्पादन के आकलन के लिए कार्यप्रणाली को विकसित और मज़बूत करना है। सितंबर, 2014 के दौरान शुरू; 3 साल में पूरा किया जाना है।

  1. किसानों के लिए मोबाइल एप की शुरुआत: 

किसानों की सुविधा के लिए मोबाइल एप: किसान सुविधा, पूसा कृषि, एग्री मार्केट, फसल बीमा और फसल कटाईप्रयोग शुरु की गई है जो www.mkisan.gov.in के अलावा गूगल प्‍ले स्‍टोर से डाउनलोड किए जा सकते हैं। 

  1. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) / दलहन उत्पादन के लिए उठाए गए कदम:

Ø   वर्ष 2013-14 तक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के अंतर्गत केवल तीन फसलें – चावल, गेंहू, दलहन शामिलथीI मोदी सरकार द्वारा इस मिशन के अंतर्गत सात फसलें- चावल, गेंहू, दलहन, जूट, गन्ना, कपास व मोटेअनाज शामिल किये जा चुके हैं।

Ø   वर्ष 2013-14 तक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन दलहन में 16 राज्यों के 482 जिलें शामिल थे जो अब 8 उतरपूर्वी राज्यों, 3 पहाड़ी राज्य (जम्‍मु एवं कश्‍मीर, हिमाचल प्रदेश व उत्‍तराखण्‍ड) तथा गोवा एवं केरल को शामिलकरते हुए वर्ष 2016-17 में दलहन के तहत देश 29 राज्यों के सभी 638 जिले सम्मिलित है।

Ø   राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के लिए वर्ष 2016-17 के कुल आवंटन रू.1,700 करोड़ में से दलहनों के लिए रू. 1,100 करोड़ (केंद्रांश) आवंटित किए गए जो कुल आवंटन का 60% से अधिक है।

Ø   नई किस्मों के बीजो के प्रसार के लिए 7.85 लाख दलहन मिनिकिट राज्य सरकारों के माध्यम से किसानो कोवर्ष 2016-17 में मुफ्त वितरण किया जा रहा है।

Ø   भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एवं राज्य कृषि विश्वविधालयों के माध्यम से दालों के लिए 534 कृषि विज्ञानकेन्द्रो के द्वारा 31000 हेक्टर मे नई तकनीको के प्रदर्शन 2016-17 मे किए जा रहे हैं, जिसके लिए 25.29 करोड़रुपए का आवंटन किया गया ।

Ø   नए किस्मों के बीजो की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए आईसीएआर संस्थान, राज्य कृषिविश्वविद्यालय एवं कृषि विज्ञान केन्द्रो पर बीज हब का सृजन किया जा रहा है। इसके लिए वर्ष 2016-17 से2017-18 के दौरान रू. 225.31 करोड़ के साथ 150 बीज केन्द्रो की स्थापना का अनुमोदन कर दिया गया है जिसमेरू. 131.74 करोड़ 2016-17 के लिए प्रस्तावित है। इससे कुल 1.50 लाख किवटल उन्नत बीजो की उपलब्धतासुनिश्चित होगी।

Ø   फलस्‍वरूप, वर्ष 2016-17 के लिए दालों का उत्पादन लक्ष्य 20.75 मिलियन मैट्रिक टन है। वर्ष 2016-17 मेंखरीफ दालों के 7.25 मिलियन टन के उत्‍पादन के लक्ष्‍य के सापेक्ष लगभग 8.70 मिलियन टन (प्रथम अग्रिमअनुमानों के अनुसार) होने की आशा है। 

  1. राष्ट्रीय गोकुल मिशन’:

देश में पहली बार राष्ट्रीय बोवाईन प्रजनन एवं डेयरी विकास कार्यक्रम के तहत देशी नस्लों के संरक्षण औरसंवर्धन के लिए एक नई पहल ‘राष्ट्रीय गोकुल मिशन’ की 500 करोड़ रूपये के आवंटन के साथ शुरुआत की गई। इस मिशन के तहत 14 गोकुल ग्रामों की स्थापना की जा रही है तथा सांड़ों के उन्नयन हेतु 35 पशु प्रक्षेत्र कोअधिक धन देकर आधुनिक बनाया गया है। इसके साथ 3,629 साड़ों को आनुवांशिक उन्‍नयन हेतु आवंटित करदिया  गया है। देसी नस्लों के विकास के लिए 2007-08 से 2013-14 तक केवल रु. 45 करोड़ इस कार्य के लिएखर्च किए गए थे, जबकि वर्तमान सरकार द्वारा दिसंबर 2015 तक केवल डेढ़ वर्षों में 27 राज्यों से आए 35प्रस्तावों के लिए रु. 582.09 करोड़ स्वीकृत किए जा चुके हैं। यह धन पिछले दो वर्षों के दौरान 13 गुणा बढ़ा दियागया है। दो नए राष्ट्रीय कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर (एक उत्तर भारत-मध्य प्रदेश औऱ एक दक्षिण भारत- आंध्र प्रदेशमें) भी स्थापित किए जा रहे हैं जिसके लिए रु 50 करोड़ आवंटित किए गए हैं। 

  1. दूध उत्पादन में वर्ष 2012-14 की अपेक्षा वर्ष 2014-16 में वृद्धि दर 11.7 प्रतिशत रही। 2015-16 में दुग्‍धउत्‍पादन में 6.3 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्ज हुई है।
  2. डेयरी के लिए अलग से चार नई परियोजनाएं प्रारम्:

(ए) पशुधन संजीवनीनकुल स्वास्थ् पत्र:

यह एक पशु स्वास्थ्य कार्यक्रम होगा जिसके तहत पशु स्वास्थ्य पत्र (नकुल स्वास्थ्य पत्र) साथ ही साथ पशुयूआईडी द्वारा पशुओ की पहचान और एक राष्ट्रीय डाटा बेस मे पशुओं की पहचान को शामिल करना इसयोजना के हिस्सा होंगें।

Ø    इस योजना के तहत 8.5 करोड़ दुधारु पशुओं का पहचान की जाएगी और उनका डाटा इनाफ (INAPH) डाटाबेस मे अपलोड कर दिया जाएगा।

Ø    यह पशु रोगो की राकथाम मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। साथ ही साथ दुग्ध एवं दुग्ध उत्पादों के व्यापार मेभी व्रद्धि होगी।

(बी)      उन्नत प्रजनन तकनीक:

Ø    अस्सीस्टेड प्रजनन प्रौद्योगिकी के द्वारा मादा बोवाइन की संख्या में वृद्धि करना योजना का उद्देश्य है।

Ø    यह लिंग सोरटेड बोवाइन वीर्य के उयोग से देश मे किया जाएगा। यह तकनीक अभी केवल उन्नत डेयरी देशोमे ही उपयोग मे लायी जाती है। इससे केवल मादा बछड़ियों का ही उत्पादन होगा।

Ø    इस के अंतर्गत 50 भ्रूण स्थानांतरण प्रौद्योगिकी के केंद्र/ इन विट्रो निषेचन (आईवीएफ़) केंद्र भी खोलेजाएंगे। जिससे दुग्ध उत्पादन मे तेजी से व्रद्धि की जा सके।

(सी) राष्ट्रीय बोवाइन जेनॉमिक केंद्रदेशी नस्लों के लिए: 

Ø    विकसित डेयरी देशों मे जेनॉमिक तकनीक का प्रयोग दुग्ध उत्पादन एवं उत्पादकता मे वृद्धि के लिए कियाजाता है।

Ø    देश मे देशी नस्लों के उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए देश राष्ट्रीय जीनोमिक केंद्र की स्थापना कीजाएगी।

Ø    जेनॉमिक तकनीक के द्वारा कुछ ही वर्षो मे देशी नसलों को viable बनाया जा सकता है।

Ø    जेनॉमिक केंद्र रोग मुक्त उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले सांडों पहचान मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। 

(डी) पशुधन हाट पोर्टल:

Ø    वर्तमान में देश मे उच्च गुणवत्ता-रोग मुक्त वाले जर्मप्लाज्म जैसे वीर्य; भ्रूण; बछड़े, बछड़ी और वयस्कपशुओ का कोई भी प्रामाणिक बाजार नहीं है। अच्छी नस्ल के पशुओं की खरीद के लिए किसानो को बिचौलियोंपर निर्भर होना पड़ता है।

Ø    पशुओं की नस्ल वार सूचना भी किसानो को उपलब्ध नहीं होती। जो की देशी नस्लों के संरक्षण एवं संवर्धन मेमहत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

Ø    देश मे पहली बार राष्ट्रीय  बोवाइन उत्पादकता मिशन के अंतर्गत पशुधन  हाट पोर्टल स्थापित किया गयाहै।  यह पोर्टल देशी नस्लों के लिए प्रजनकों और किसानों को जोड़ने मे एक महतवापूर्ण भूमिका निभाएगा।

Ø    इस पोर्टल के द्वारा किसानो को देशी नस्लों की नस्ल वार सूचना प्राप्त होगी। इससे किसान एवं प्रजनक  देशी नस्ल की गाय एवं भैंसो को खरीद एवं बेच सकेंगे। देश मे उपलब्ध जर्मप्लाज्म की सारी सूचना पोर्टल परअपलोड कर दी गयी है। जिससे किसान इसका तुरंत लाभ उठा सके। इस तरह का पोर्टल विकसित डेयरी देशों मेभी उपलब्ध नहीं है।

Ø    इस पोर्टल के द्वारा देशी नस्लों के संरक्षण एवं संवर्धन को एक नई दिशा मिलेगी। क्योकि वर्तमान मेकिसाननो के पास कोई नस्ल वार सूचना उपलब्ध नहीं है।

Ø    पोर्टल के माध्यम से जानवरों की खरीद और बिक्री में बिचौलियों की कोई भागीदारी नहीं होगी। जर्मप्लाज्म केसभी रूपों में बिक्री और खरीद के लिए इस तरह का पोर्टल विकसित डेयरी देशों में भी उपलब्ध नहीं है।

  1. मछली उत्पादन में वर्ष 2012-14 के दौरान 186.12 लाख टन का उत्पादन हुआ जबकि 2014-16 केदौरान 209.59 लाख टन का उत्पादन हुआ जो कि 12.61 प्रतिशत की वृद्धि है। वर्ष 2015-16 में मछली उत्‍पादनमें वार्षिक वृद्धि दर 6.21 प्रतिशत रही।
  2. अंडा उत्पादन में 2014-15 के दौरान 78484 मिलियन अंडों का उत्पादन हुआ व 2015-16 में 82930मिलियन अंडों का उत्पादन हुआ जो कि 5.66 प्रतिशत की वृद्धि है। वर्ष (2012-14) की अपेक्षा वर्ष (2014-16) मेंवृद्धि दर 10.99 प्रतिशत रही। अंडा उत्‍पादन की वार्षिक वृद्धि दर 5 प्रतिशत है। प्रति व्‍यक्‍ति उपलब्‍धता प्रतिवर्ष 66 अंडे तक पहुंच गई है।
  3. पशु चिकत्सा शिक्षा:

मौजूदा स्नातक पशु चिकित्सा पाठ्यक्रम  और मानकों को  वैश्विक स्तर पर स्वीकृत मानकों अनुरूप के बनानेके लिए,  पशु चिकित्सा न्यूनतम मानक  विनियम, 2008 (Minimum Standards for Veterinary Education Regulations, 2008 ) में व्यापक संशोधन। साथ ही पशु चिकित्सा शिक्षा प्रशिक्षित पशु चिकित्सों  की कमी कोपूरा करने के लिए विभिन्न  पशु चिकित्सा् कॉलेजों की संख्या् 36 से 46 की गई है तथा कॉलेजों में भर्ती होने वालेविदयार्थियों की संख्या को 60 से बढ़ाकर 100 तक किया गया था। 17 पशु चिकित्सा  कॉलेजों में सीटों की कुलसंख्या को 914 से बढ़ाकर 1,334 किया गया है। पशु चिकित्सा स्नात्तकोत्तर छात्रों में डेढ़ गुना की वृद्धि हासिलकी गयी। पशु चिकित्सा विद्यालय में भी डेढ़ गुना सीटें बढ़ायी गयीं।

  1. कृषि वैज्ञानिकों की भर्ती को बढ़ावा:

वर्ष 2013-14 में 66% भर्ती के मुकाबले 2014-15 व 2015-16 में लगातार 81% भर्ती, खुली प्रतियोगिता से भर्तीप्रक्रिया को तेज किया गया व कृषि शिक्षा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ायी गयी। 

  1. अनुभवजन्य लर्निंग इकाई:

वर्ष 2007 से 2013 तक 6 वर्षों के दौरान कृषि विश्वविद्यालयों में अनुभवजन्य लर्निंग इकाइयों की संख्या 264 थी जबकि वर्ष 2014 से 2016, दो वर्षों के दौरान 416 की गयी है जो कि 58 प्रतिशत की वृद्धि है। पिछले दो वर्षों(2014-15 एवं 2015-16) के शिक्षा बजट में भी 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

  1. कृषि विज्ञान केन्द्रों का सुदृढ़ीकरण:

कृषि विज्ञान केन्द्रों को पहली बार सुदृढ़ करने का कार्य प्रारंभ किया गया जिसके तहत प्रत्येक कृषि विज्ञान केन्द्रमें कार्मिकों की संख्या 16 से बढ़ाकर 22 की गई है।

  1. कृषि में युवाओं, छात्रों को आकर्षित करना वैज्ञानिकों और किसानों के इंटरफेस को बढ़ावा देने के लिएनई पहलें:
  • आर्या:

आर्या परियोजना में ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को कृषि के विभिन्‍न कृषि उद्यमों, स्‍थायी आय, समृद्ध सेवा क्षेत्रऔर लाभकारी रोजगार के लिए सशक्‍त और आकर्षित किया जाएगा। यह परियोजना कृषि विज्ञान केन्‍द्रों केमाध्‍यम से 25 राज्‍यों के 25 जिलों में चलाई जा रही है।

  • फार्मर फस्:

फार्मर फस्‍ट का उद्देश्‍य किसान-वैज्ञानिक इंटरफेस, प्रौद्योगिकी एकीकरण अनुप्रयोग और प्रतिक्रिया, साझेदारीऔर संस्‍थागत निर्माण तथा पाठ्य सामग्री सम्‍भरण को समृद्ध करना है। यह किसान और वैज्ञानिक के मध्‍यसंबंध, क्षमता निर्माण, वैज्ञानिक अनुकूलन तथा अनुप्रयोग, ऑन साइट इनपुट प्रबंधन, संस्‍थागत निर्माण औरप्रतिक्रिया के लिए मंच प्रदान करता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषदके 100 संस्‍थानों/विश्‍वविद्यालयोंद्वारा 1 लाख किसानों के साथ सीधे तौर पर कार्य करने के लक्ष्य के साथ शुरुआत कर दी गई है।

Ø    स्टूडेंट रेडी:

वर्ष 2016-17 से अभ्‍येतावृत्‍ति के रूप में सभी छात्रों के लिए स्‍टूडेंट रेडी के दौरान 6 माह के लिए रू. 3000 प्रतिमाह मानदेय की शुरूआत जो पहले रू. 1000 प्रति माह थी। इसके अंग इस प्रकार हैं-

  1. अनुभवजन्‍य अधिगम (ईएल)
  2. ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव (आरएडब्‍ल्‍यूई)

iii.                पौधा प्रशिक्षण/औद्योगिक जुड़ाव/प्रशिक्षण

  1. कौशल विकास प्रशिक्षण
  2. छात्र परियोजना

Ø    मेरा गांव मेरा गौरव योजना को गांव तक वैज्ञानिक कृषि की प्रभावी तथा व्यापक पहुंच सुनिश्चित करने केलिए कृषि विश्वविद्यालय एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषि वैज्ञानिकों को शामिल कर प्रारंभ कियागया है। इस उद्देश्य के लिए चार-चार वैज्ञानिकों के 5,000 समूह एक वर्ष में 25,000 गांव से समपर्क करेंगे। अभीतक 15,000 ग्रामों में कृषिवैज्ञानिक सम्‍पर्क कर नयी तकनीकी जानकारी देने का कार्य कर रहे हैं।

  1. जलवायु सहिष्ण किस्में (सूखा प्रतिरोधी एवं बाढ़ सहनशील):

वर्ष 2014 से 2016 तक अनाज 127, दलहन 70 एवं तिलहन 58 तथा अन्य 37 (कुल 292 नयी किस्में) विकसितकी गई।

  1. कृषि शिक्षा:

Ø    पूर्वोत्तर भारत की अपार क्षमताओं को पहचानते हुए मोदी सरकार द्वारा केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, इम्फाल के अंतर्गत छः नए कॉलेज खोले गये। इससे पूर्वोत्तर भारत में कृषि कॉलेजों की संख्या में पिछले दोवर्षोंमें लगभग 85 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोत्तरी हुई।

Ø    इसी प्रकार उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी तथा बिहारके राजेन्‍द्र कृषि विश्वविद्यालय को केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में स्थापित किए गये हैं।

Ø    कृषि स्‍नातक पाठ्यक्रमों को व्‍यावसायिक बनाने के लिए, सरकार ने पाँचवी डीन्स कमेटी रिपोर्ट परआधारित समिति के निर्देशों को अनुमोदित कर दिया है। डीन्स कमेटी रिपोर्ट को इसी वर्ष शिक्षा सत्र 2016-17 सेलागू किया जाएगा। इस नये पाठ्यक्रम के माध्‍यम से कृषि आधारित समस्‍त स्‍नातक कोर्स प्रोफेशनल कोर्स कीश्रेणी में तब्‍दील हो जाएंगे तथा कृषि स्‍नातकों को भविष्‍य में प्रोफेशनल कार्य से आजीविका पूर्ण करने मेंसहायक रहेंगे।

  1. विशेष पहल­:

Ø    दो वर्ष में चार नए आईसीएआर पुरस्कार – आईसीएआर प्रशासनिक पुरस्कार, हलधर आर्गेनिक किसानपुरस्कार, पं० दीनदयाल अंत्योदय कृषि पुरस्कार व पं० दीनदयाल राष्ट्रीय कृषि विज्ञान प्रोत्साहन पुरस्कार।

Ø    पं० दीनदयाल उपाध्याय उन्नत कृषि शिक्षा योजना – देश के 32 राज्य कृषि विश्वविद्यालयों में जैविक कृषि/ प्राकृतिक कृषि और गाय आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने हेतु प्रारम्भ की गयी है।

Ø    देश के प्रथम कृषि मंत्री डा० राजेन्द्र प्रसाद की स्मृति में 3 दिसम्बर को राष्ट्रीय कृषि शिक्षा दिवस घोषितकिया गया है।

Ø    23 से 29 दिसम्बर तक सम्पूर्ण देश में श्री चौधरी चरण सिंह और श्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिवसके अवसर पर जय किसानजय विज्ञान सप्ताह वर्ष 2015 से प्रतिवर्ष मनाया जा रहा है।

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