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शिपिंग क्षेत्र तटीय राज्यों की अर्थव्यवस्था को नई गति प्रदान करेगा

देश-विदेश

नई दिल्ली: शिपिंग मंत्रालय में सचिव श्री राजीव कुमार ने आज चेन्नई में आयोजित क्षेत्रीय संपादकों के सम्मेलन में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले दो वर्ष बंदरगाहों समेत भारतीय समुद्री क्षेत्र के लिए अत्यंत उल्लेखनीय रहे हैं। शिपिंग मंत्रालय ने अपनी पहली वैश्विक निवेश बैठक ‘मैरीटाइम इंडिया समिट 2016’ आयोजित की थी, जिसमें 40 से भी अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने अत्यंत उत्साह के साथ शिरकत की थी। इस शिखर सम्मेलन के दौरान 82,905 करोड़ रुपये के 141 कारोबारी समझौते हुए थे। उन्होंने संपादकों को यह जानकारी दी कि बंदरगाह क्षेत्र ने वर्ष 2015-16 के दौरान एक अरब टन से भी ज्यादा कार्गो के संचालन की उपलब्धि हासिल की है। 12 प्रमुख बंदरगाहों ने पिछले वर्ष की तुलना में इस दौरान अपने परिचालन मुनाफे में लगभग 676 करोड़ रुपये की वृद्धि दर्ज की है।

सचिव ने कहा कि शिपिंग मंत्रालय दक्षता एवं बुनियादी ढांचे दोनों ही लिहाज से भारतीय बंदरगाहों को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विकसित करने को इच्छुक है। अंतर्राष्ट्रीय सलाहकारों ने 116 पहलों के बारे में बताया है, जिनमें से 50 को क्रियान्वित किया जा चुका है। शिपिंग मंत्रालय के साथ-साथ राज्य सरकारों द्वारा अनेक नए बंदरगाह विकसित किए जा रहे हैं। मंत्रालय पहली बार देश के बाहर ईरान स्थित चाबहार में बंदरगाह सुविधाएं विकसित कर रहा है। इसके अलावा, सभी बंदरगाह नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सौर अथवा पवन आधारित विद्युत प्रणाली स्थापित कर रहे हैं।

श्री राजीव कुमार ने उपस्थित लोगों को बताया कि कारोबार में और ज्यादा सुगमता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सभी प्रमुख बंदरगाहों पर गेट से जुड़े परिचालनों को स्वचालित करने के लिए आरएफआईडी प्रणालियां स्थापित की जा रही हैं। सीधी पोर्ट डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिहाज से सभी कंटेनर बंदरगाह पूरी तरह से लैस हैं, जिससे व्यापार के दौरान कंटेनर के ठहराव समय में कमी आएगी। नीतिगत मोर्चे पर एक नया प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक तैयार किया गया है, जो मौजूदा प्रमुख बंदरगाह न्यास अधिनियम, 1963 का स्थान लेगा। प्रमुख बंदरगाहों पर शुल्क नियमन करने वाले प्रमुख बंदरगाह शुल्क प्राधिकरण (टीएएमपी) को नए अधिनियम में समाप्त किया जाना प्रस्तावित है। प्रमुख बंदरगाह और पीपीपी ऑपरेटर बाजार स्थितियों के आधार पर अपनी शुल्क दरों का निर्धारण करने के लिए स्वतंत्र होंगे। पीपीपी बंदरगाह परियोजनाओं से जुड़े मॉडल रियायत समझौते (एमसीए) की समीक्षा की गई है और एक नए एमसीए को शीघ्र ही मंजूरी दी जाएगी।

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