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राजस्‍व सचिव ने आयकर विभाग के ‘राष्‍ट्रीय ई-निर्धारण केन्‍द्र’ का उद्घाटन किया

देश-विदेश

नई दिल्ली: राजस्‍व सचिव श्री अजय भूषण पांडेय ने आज नई दिल्‍ली में राष्‍ट्रीय ई-निर्धारण योजना (एनईएसी) का शुभारंभ किया। इस अवसर पर सीबीडीटी के अध्‍यक्ष श्री पी.सी. मोदी और सदस्‍य श्री पी.के. दास, श्री अखिलेश रंजन और श्री प्रभाश शंकर भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

श्री पांडेय ने राष्‍ट्रीय ई-निर्धारण योजना का शुभारंभ करते हुए कहा कि यह आयकर विभाग के लिए बड़े ही गर्व एवं उपलब्धि की बात है कि उसने छोटी सी अवधि में ही एनईएसी को अस्तित्‍व में ला दिया है। वर्ष 2017 में एनईएसी की उत्‍पत्ति को रेखांकित करते हुए श्री पांडेय ने तेज गति के साथ पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु अथक प्रयास करने के लिए आयकर विभाग की सराहना की।

श्री पांडेय ने कहा कि राष्‍ट्रीय ई-निर्धारण केंद्र (एनईएसी) के शुभारंभ के साथ ही आयकर विभाग कर निर्धारण प्रक्रिया में और ज्‍यादा दक्षता, पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने हेतु ‘फेसलेस ई-निर्धारण’ की शुरुआत कर अपने कामकाज में उल्‍लेखनीय बदलाव लाएगा। उन्‍होंने कहा कि एनईएसी के शुभारंभ से करदाताओं और कर अधिकारियों का एक-दूसरे से आमना-सामना नहीं होगा।

आयकर विभाग के एनईएसी की स्‍थापना प्रधानमंत्री के ‘डिजिटल इंडिया’  विजन और ‘कारोबार में और ज्‍यादा सुगमता’ सुनिश्चित करने के मद्देनजर करदाताओं को बेहतर सेवाएं मुहैया कराने और करदाताओं की शिकायतों में कमी लाने के बड़े लक्ष्‍यों की दिशा में एक महत्‍वपूर्ण कदम है।

प्रथम चरण में आयकर विभाग ने ‘फेसलेस ई-निर्धारण योजना 2019’ के तहत जांच के लिए 58,322 मामलों की पहचान की है और निर्धारण वर्ष 2018-19 के मामलों के लिए 30 सितम्‍बर, 2019 से पहले ई-नोटिस भेज दिए गए हैं।

करदाताओं को अपने-अपने पंजीकृत ई-फाइलिंग खातों/ईमेल आईडी को चेक करने की सलाह दी गई है और इसके साथ ही उनसे 15 दिनों के अंदर जवाब देने का अनुरोध किया गया है। विभाग को उम्‍मीद है कि करदाताओं के लिए अनुपालन आसान हो जाने से संबंधित मामलों का निपटारा अत्‍यंत तेजी से किया जा सकेगा।

फेसलेस निर्धारण के लाभ

  • एनईएसी से निर्धारण अधिकारी और करदाता का आमना-सामना होने की जरूरत समाप्‍त हो जाएगी।
  • नई प्रणाली से संसाधनों का व्‍यापक इस्‍तेमाल संभव हो पाएगा।
  • एनईएसी ने गतिशील क्षेत्राधिकार के साथ टीम आधारित निर्धारण की शुरुआत की है।
  • करदाताओं के लिए अनुपालन आसान हो गया है।
  • पारदर्शिता एवं दक्षता सुनिश्चित हुई है, जिससे निर्धारण एवं निगरानी की गुणवत्‍ता बेहतर हुई है।
  • फेसलेस निर्धारण की जिम्‍मेदारी केवल एक ही एजेंसी को देने से कार्यरत विशेषज्ञता सुनिश्चित होगी।
  • मामलों का निपटारा तेजी से हो सकेगा।
  • मानकीकरण एवं गुणवत्‍ता प्रबंधन।

राष्‍ट्रीय ई-निर्धारण केंद्र (एनईएसी):

एनईएसी एक स्‍वतंत्र कार्यालय होगा, जो ई-निर्धारण योजना के कामकाज पर नजर रखेगा, जिसे हाल ही में आयकरदाताओं के लिए फेसलेस ई-निर्धारण हेतु अधिसूचित किया गया है। दिल्‍ली में एक एनईएसी होगा, जिसके प्रमुख प्रधान आयकर मुख्‍य आयुक्‍त होंगे। इसी तरह दिल्‍ली, मुंबई, चेन्‍नई, कोलकाता, अहमदाबाद, पुणे, बेंगलुरू और हैदराबाद में 8 क्षेत्रीय ई-निर्धारण केंद्र (आरईएसी) हैं, जहां निर्धारण इकाई, समीक्षा इकाई, तकनीकी इकाई और सत्‍यापन इकाई होंगी। प्रत्‍येक आरईएसी के प्रमुख आयकर मुख्‍य आयुक्‍त होंगे। एनईएसी विशिष्‍ट कार्य से जुड़े मामलों को स्‍वत: आवंटन प्रणालियों के जरिए विभिन्‍न इकाइयों या यूनिटों को सौंप देगा। एनईएसी और आरईएसी के सभी अधिकारियों के गतिशील एवं अखिल भारतीय क्षेत्राधिकार के मद्देनजर अधिकारियों के इस तरह के सहयोगात्‍मक प्रयासों से बेहतर एवं गुणवत्‍तापूर्ण निर्धारण संभव हो पाएगा।

फेसलेस ई-निर्धारण के बारे में      

केन्‍द्र सरकार ने कर अधिकारियों और करदाताओं के बीच पूर्णत: इलेक्‍ट्रॉनिक संचार के जरिए आयकर रिटर्न के फेसलेस निर्धारण को सुगम बनाने के लिए हाल ही में ई-निर्धारण योजना अधिसूचित की थी।

     फेसलेस ई-निर्धारण की नई प्रणाली के तहत करदाताओं को उनकी पंजीकृत ई-मेल आईडी के साथ-साथ वेब पोर्टल www.incometaxindiaefiling.gov.in से जुड़े पंजीकृत खातों पर नोटिस प्राप्‍त होंगे और इसके साथ ही संबंधित करदाताओं के पंजीकृत मोबाइल नंबर पर एसएमएस के जरिए वास्‍तविक समय पर अलर्ट प्राप्‍त होगा। इन नोटिसों में उन मुद्दों की ओर ध्‍यान दिलाया जाएगा, जिनकी वजह से उनके मामलों का चयन जांच के लिए किया गया है। करदाता इन नोटिसों का जवाब अपनी सुविधा के मुताबिक अपने घर या कार्यालय में ही तैयार कर सकते हैं और इसे निर्दिष्‍ट वेब पोर्टल पर अपलोड करके इसे  राष्‍ट्रीय ई-निर्धारण केंद्र को ई-मेल के जरिए भेज सकते हैं।

   फेसलेस निर्धारण की इस नई पहल से करदाताओं की ओर से अनुपालन बढ़ जाने की आशा है, क्‍योंकि इससे करदाताओं की परेशानी और खर्च काफी कम हो जाने की उम्‍मीद है। विभाग के साथ करदाताओं का कोई आमना-सामना न होना एक गेम चेंजर कदम साबित होगा। यह देश के करदाताओं के लिए आसान अनुपालन के क्षेत्र में केन्‍द्रीय प्रत्‍यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की एक और अहम पहल है।

लिंक: विस्‍तृत जानकारी के लिए पीपीटी प्रस्‍तुति अंग्रेजी में यहां देखें

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