39 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रडार को मात देने वाला भारतीय नौसेना का पहला युद्धपोत आईएनएस नीलगिरि को लॉन्च किया

देश-विदेश

नई दिल्ली: रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि सरकार भारत के समुद्री हितों के लिए किसी भी पारंपरिक और अपारंपरिक खतरों से निपटने के लिए नौसेना के आधुनिकीकरण और से बेहतरीन प्लेटफार्मों, हथियारों और सेंसर से लैस करने के लिए ठोस प्रयास कर रही है। श्री राजनाथ सिंह मुंबई में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड में नौसेना के सात नए स्टील्थ फ्रिगेट्स (रडार को मात देने वाला युद्धपोत) में से पहले युद्धपोत आईएनएस नीलगिरि के लॉन्च के अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि मूल्य के हिसाब से भारत का 70% और मात्रा के लिहाज से 95% व्यापार समुद्री मार्ग से हो रहा है। उन्होंने कहा कि समुद्री डकैती, आतंकवाद या संघर्ष के कारण समुद्री व्यापार में मामूली व्यवधान भी देश की आर्थिक वृद्धि एवं कल्याण पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत आगे बढ़ रहा है और इसके वाणिज्यिक हित दूर-दूर तक फैल रहे हैं लेकिन उसे पड़ोसी की दुश्मनी जैसी तमाम चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है। रक्षा मंत्री ने कहा, “राज्य द्वारा प्रायोजित आतंकवाद एक चुनौती बनी हुई है और मजबूत इच्छाशक्ति वाली सरकार देश हित में कड़े फैसले लेने से नहीं हिचकेगी। संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म करना भी ऐसा ही एक निर्णय है। हमें विश्वास है कि यह जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विकास एवं समृद्धि के एक नए युग की शुरुआत करेगा।

श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि किसी देश की विश्वसनीय रक्षा उसकी स्वदेशी रक्षा क्षमता पर आधारित होती है। उन्होंने रक्षा उपकरणों के संदर्भ में ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिजाइन एंड मेक इन इंडिया’ पर जोर दिया।

रक्षा मंत्री ने कहा कि नौसेना डिजाइन महानिदेशालय ने 19 से अधिक जहाजों का डिजाइन तैयार किया है जिनके आधार पर 90 से अधिक जहाजों का निर्माण किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत आज उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल है जो खुद अपने विमान वाहक एवं सामरिक युद्धपोत का निर्माण कर रहा है। उन्होंने कहा, “विभिन्न शिपयार्डों को अब तक मिले कुल 51 जहाजों एवं पनडुब्बियों के ऑर्डर में से 49 का निर्माण स्वदेशी तौर पर किया जा रहा है। यह 2025 तक पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने और 2027 तक 70% रक्षा स्वदेशीकरण के हमारे लक्ष्य में एक महत्वपूर्ण योगदान है।”

रक्षा मंत्री ने कहा कि जहाज निर्माण उद्योग में काफी श्रमबल की जरूरत होती है और इसमें न केवल अपने क्षेत्र बल्कि विभिन्न उपस्ट्रीम एवं डाउनस्ट्रीम उद्योगों के लिए रोजगार सृजन की अपार क्षमता मौजूद है। उन्होंने कहा, “एक जीवंत जहाज निर्माण उद्योग देश के समग्र आर्थिक विकास में प्रमुख भूमिका निभा सकता है।” उन्होंने कहा कि एक युद्धपोत के निर्माण से 8 साल की अवधि के लिए 4,800 कर्मियों को प्रत्यक्ष रोजगार और लगभग 27,000 कर्मियों को अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिलता है। कुल युद्धपोत लागत का लगभग 87% रकम भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेश की जाती है जो राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र तमाम गतिविधियों का केंद्र है और पूरी दुनिया भारतीय नौसेना को एक शुद्ध सुरक्षा प्रदाता के रूप में देखती है। उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक एवं भू-सामरिक आयाम में भारत के बढ़ते कद और हमारे ऊपर पड़ोसियों की बढ़ती निर्भरता के मद्देनजर भारतीय नौसेना की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह विश्वसनीय सुरक्षा और शांत एवं समृद्ध समुद्री मार्ग उपलब्ध कराए।

श्री राजनाथ सिंह ने कहा, “हालांकि नौसेना अपने अत्याधुनिक प्लेटफार्मों और बुनियादी ढांचे के जरिए भारत के समुद्री हितों की उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए लगातार विकसित हो रही है लेकिन हमारी सेनाओं की असली ताकत हमारे जवान हैं।”

रक्षा मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि नीलगिरि और इस परियोजना के अन्य छह युद्धपोत भारतीय ध्वज को गर्व के साथ महासागरों में लहराएंगे। साथ ही वे दुनिया भर में  भारत के जहाज निर्माण क्षमता को प्रदर्शित करते हुए भारत के शांति एवं शक्ति के संदेश को फैलायेंगे। उन्होंने शिपयार्ड के कर्मचारियों द्वारा किए गए कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि जहाज महज धातु और पेंट ही नहीं है बल्कि यह इस परियोजना से जुड़े लोगों की कड़ी मेहनत, पसीने और दृढ़ता की कहानी बयां करता है।

आईएनएस नीलगिरि परियोजना 17ए का पहला जहाज है। परियोजना 17ए के युद्धपोतों का डिजाइन शिवालिक श्रेणी के युद्धपोत जैसा है जो कहीं अधिक उन्नत तकनीक और स्वदेशी हथियार एवं सेंसर से लैस हैं। इन युद्धपोतों को एकीकृत निर्माण पद्धति के इस्तेमाल से बनाये जा रहे हैं। पी17ए युद्धपोत में बेहतर अस्तित्व क्षमता, समुद्र में मौजूद रहने, रडार से बचने और बेहतर गतिशीलता के लिए नई डिजाइन अवधारणाओं को शामिल किया गया है।

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने मुंबई के नेवल डॉकयार्ड में भारतीय नौसेना के सबसे बड़े ड्राई डॉक- द एयरक्राफ्ट कैरियर डॉक का भी उद्घाटन किया। उन्होंने इसे “आधुनिक भारत का महल” कहा।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More