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रेलवे पैसेंजरों पर लग सकता है इंश्योरेंस सरचार्ज

देश-विदेश

नई दिल्ली: आने वाले वक्त में संभव है कि रेलवे पैसेंजरों पर इंश्योरेंस सरचार्ज लगाया जाए। यह सिफारिश विवेक देवराय कमिटी ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में की है। कमिटी ने कहा है कि रेलवे को इंश्योरेंस सरचार्ज शुरू करना चाहिए ताकि आपात स्थिति में पैसेंजरों को उसका फायदा मिल सके। अगर कोई रेल ऐक्सिडेंट भी होता है तो उस हालत में इंश्योरेंस की वजह से पैसेंजरों को प्राइवेट अस्पताल में इलाज की सुविधा मिल सकेगी। इस तरह से ऐक्सिडेंट या फिर किसी अन्य आपात स्थिति में जरूरत होने पर पैसेंजरों को रेलवे के अस्पतालों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।

स्टैंडर्ड तय हों : बुधवार को यह रिपोर्ट रेल मंत्रालय को सौंपी गई। पैसेंजरों के हितों में यह भी सिफारिश की है कि रेलवे को विभिन्न सेवाओं के लिए स्टैंडर्ड बनाकर उन्हें नोटिफाई करना चाहिए। इनमें रेल रिजर्वेशन से लेकर रिफंड, कैटरिंग, सफाई शामिल है। शिकायतों की सुनवाई और ऐक्सिडेंट मैनेजमेंट के मामले में भी एक तय स्टैंडर्ड होना चाहिए। यही नहीं, अगर रेलवे का किराया बढ़ाया जाता है तो उसके साथ ही पैसेंजरों को मिलने वाली सुविधाओं में भी बढ़ोतरी होनी चाहिए।

सुरक्षा बल : सूत्रों का कहना है कि कमिटी ने रेलवे सुरक्षा बल को भी रेलवे सिस्टम से अलग करने के लिए कहा है। उसका कहना है कि इसके लिए रेलवे सुरक्षा बल को खत्म करने की जरूरत नहीं है बल्कि जनरल मैनेजरों पर यह निर्णय छोड़ा जाना चाहिए कि वे चाहें तो जरूरत पड़ने पर प्राइवेट सुरक्षा गार्ड भी तैनात कर सकें।

रेगुलेटरी अथॉरिटी : कमिटी ने रेल रेगुलेटरी अथॉरिटी बनाने की वकालत की है। इस अथॉरिटी को रेलवे के मातहत नहीं बल्कि स्वतंत्र होना चाहिए ताकि वह जरूरत पड़ने पर रेल किरायों के बारे में खुद फैसला ले सके। एक अपीलीय ट्रिब्यूनल भी बनाया जाए, जो रेगुलेटरी अथॉरिटी के आदेशों के खिलाफ सुनवाई कर सके।

सब अर्बन अलग : कमिटी ने कहा है कि सब अर्बन ट्रेन सर्विस को अलग किया जाए और उसे राज्य सरकारों के साथ जॉइंट वेंचर के तहत चलाया जाए। इसका आशय है कि सब अर्बन ट्रेनों में अगर पैसेंजरों को किराए में सब्सिडी दी जाए तो उसे वहन करने में राज्य या लोकल सरकार की भी भूमिका होनी चाहिए। इस वक्त सब अर्बन सेगमेंट में भी रेलवे पैसेंजर किराए में भारी सब्सिडी देता है।

ट्रेन ऑपरेटर चलाएं : कमिटी ने यह भी कहा है कि रेलवे बोर्ड को नीति बनाने तक ही सीमित रहना चाहिए और ट्रेनें चलाने का जिम्मा ऑपरेटरों को देना चाहिए। इनमें प्राइवेट आपरेटर भी शामिल हैं। इसके लिए जरूरत पड़ने पर रेलवे एक्ट में संशोधन भी किया जा सकता है। कमिटी ने कहा है कि रेलवे को कायदे से दो स्वतंत्र विभागों की तरह काम करना चाहिए। एक के जिम्मे ट्रैक और इंफ्रास्ट्रक्चर की जिम्मेदारी होनी चाहिए और दूसरे के जिम्मे ट्रेनों का ऑपरेशन होना चाहिए। इंडियन रेलवे को सिर्फ कोर एक्टिवटी पर ही फोकस करना चाहिए। उसे नॉन कोर एक्टिविटीज से खुद को दूर रखना चाहिए। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को सीईओ की तरह ही काम करना चाहिए और उसके पास पूरे अधिकार होने चाहिए। फिलहाल रेलवे बोर्ड के सभी सदस्यों के पास अपने-अपने अधिकार हैं।

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