38 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

रबी सम्‍मेलन 2016 में कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह का दिया गया उद्घाटन भाषण

कृषि संबंधितदेश-विदेश

नई दिल्ली: मंत्रालय के मेरे साथियों, श्री परषोत्‍तम रूपाला, श्री सुदर्शन भगत,केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय में सचिव श्री शोभना के. पटनायक, श्री देवेन्‍द्र चौधरी, डा. टी. महापात्रा, केंद्र सरकार के अन्‍य मंत्रालयों से आए वरिष्‍ठ अधिकारीगण; कृषि उत्‍पादन आयुक्‍तगण, प्रधान सचिवगण, सचिवगण, आयुक्‍तगण, निदेशकगण और सभी राज्‍यों/ संघ राज्‍य क्षेत्रों के कृषि एवं बागवानी विभागों के अन्‍य अधिकारीगण, कृषि मंत्रालय के सभी अधिकारीगण; अन्‍य सहभागीगण, मीडिया के मित्रों;

देवियों और सज्‍जनों,

2. मुझे इस बात की बेहद खुशी है कि आज की इस प्रात:काल की बेला में मैं आपके साथ हूं। हम सभी यहां देश के रबी फसल उत्‍पादन कार्यक्रम पर विचार करने के लिए इक्‍कठा हुए हैं। जैसा कि आप सभी को यह जानकारी होगी कि रबी अभियान का उद्देश्‍य खरीफ की समीक्षा करना;आगामी फसल उत्‍पादन रणनीति तैयार करना तथा राज्‍य सरकार के अधिकारियों के साथ परामर्श करके-

·         फसलवार लक्ष्‍य निर्धारित करना;

·         विभिन्‍न राज्‍यों के लिए आदान आपूर्ति व्‍यवस्‍था सुनिश्‍चित करना;तथा

·         कृषि में नई प्रौद्योगिकी और नवाचार को सामने लाना है।

मैं आशा करता हूं कि इस सम्‍मेलन से हमें आगामी रबी मौसम की तैयारी के लिए परिणामकारक विचार विमर्श, वार्ता तथा अनुभवों/कौशल को शेयर करने का प्‍लेटफॉर्म मिलेगा।

3.  भारत सरकार ने कृषि क्षेत्र को सर्वोच्‍च प्राथमिकता दी है और

·         वित्‍त मंत्रालय ने बजट 2016-17 में किसानों के कल्‍याणार्थ कृषि क्षेत्र को 35984 करोड़ रूपये के आवंटन की घोषणा की है।

·         सरकार ने 2022 तक किसानों की आय को दुगुना करने का लक्ष्‍य तय किया है। जो राज्‍यों के सहयोग से ही संभव हो सकेगा।

·         भारत में सभी प्रमुख फसलों की मौजूदा औसत उपज वैश्‍विक उपज औसत से कम है।

·         राज्‍यों के बीच भी उत्‍पादकता में काफी विविधता दृष्टिगोचर होती है।

अत: आज आवश्‍यकता इस बात की है कि केंद्र एवं राज्‍य सरकार के वैज्ञानिक एवं अधिकारीगण समर्पित भाव से किसान की आय दो गुना करने के उपायों चर्चा कर ठोस रणनीति   तैयार करें।

4. आप सभी भिज्ञ है कि विगत दो वर्षों में देश के अनेक हिस्‍सों में कृषि कार्य अल्‍पवृष्टि से प्रभावित रहा। इसके बावजूद यह हमारे किसानों की कर्मठता है कि

·         चौथे अग्रिम अनुमान के अनुसार वर्ष 2015-16 के दौरान खाद्य अनाजों का कुल उत्‍पादन न घटकर वर्ष 2014-15 के उत्‍पादन 252.02 मिलियन टन की तुलना में 252.22 मिलियन टन होने की आशा की जाती है।

·         इस वर्ष दक्षिण-पश्‍चिम मानसून काफी अच्‍छा रहा है।

·         कुछ राज्‍यों को छोड़कर अधिकांश राज्‍यों में वर्षा सामान्‍य अथवा सामान्‍य से अधिक रही है।

·         फसल की बुवाई भी संतोषजनक रही है।

·         फिर भी राज्‍य सरकारों को उन जिलों पर विशेष निगरानी रखने की जरूरत है जहाँ मानसून की वर्षा सामान्‍य से कम हुई है तथा

·         आवश्‍यकतानुसार प्रभावी कदम उठाने चाहिए

·         दूसरी ओर  कई राज्‍य जैसे असम, बिहार, पूर्वी उत्‍तर प्रदेश,छत्‍तीसगढ़, मध्‍य प्रदेश और राजस्‍थान बाढ़ की चपेट में आ गये हैं जिसके कारण फसलों का एक बड़ा क्षेत्र प्रभावित हुआ है।

मैं इस मंत्रालय तथा राज्‍य सरकार से जुड़े कृषि एवं सहकारिता विभागों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों का आह्वान करता हूँ कि आप अपने पूरे सामर्थ्‍य एवं निष्‍ठा से अल्‍पवृष्टि तथा अतिवृष्टि/ बाढ़ से प्रभावित किसानों को उनकी फसल की रक्षा में सहयोग प्रदान करें।

5. इस वर्ष देश भर में

·         खरीफ के दौरान सामान्‍य की तुलना में दिनांक 09.09.2016 तक  712.09 लाख हैक्‍टेयर क्षेत्रफल पर खाद्य फसलों की बुवाई हुई है जो कि वर्ष 2015-16 की तुलना में 53.52 लाख हेक्‍टेयर (8.13 प्रतिशत) अधिक है।

·         सर्वाधिक हर्ष का विषय यह है कि वर्ष 2016-17 में दलहन फसलों की बुआई का क्षेत्रफल 143.95 लाख हेक्‍टेयर तथा तिलहनी फसलों का क्षेत्रफल 186.95 लाख हेक्‍टेयर है जो कि पिछले वर्ष की तुलना में क्रमश: 32.49 लाख हेक्‍टेयर (29.14 प्रतिशत) तथा 5.25 लाख हेक्टेयर (2.89 प्रतिशत) अधिक है। ।

·         इसके अलावा उन क्षेत्रों में जहां अत्‍यधिक वर्षा दर्ज की गई है वहां नमी युक्‍त मृदा का उपयोग रबी दलहनों और तिलहनों की उपज में हो सकेगी

·         जहां कहीं वर्षा अधिक/सामान्‍य है वहां ऐसे प्रयास किए जा सकते हैं जिसके द्वारा रबी/ ग्रीष्‍म मौसमों के दौरान यथासंभव वर्षा जल का संचयन किया जा सके।

·         राज्‍यों को चाहिए कि वे वर्षा सिंचित क्षेत्रों में रबी दलहनों और तिलहनों की अधिक से अधिक कवरेज करने संबंधी कार्य योजना बनाएं।

6. आज देश का कृषिगत क्षेत्र रासायनिक उर्वरकों के निरंतर असंतुलित इस्‍तेमाल के कारण अपनी उर्वरता को खोता जा रहा है। इस तथ्‍य को दृष्‍टिगत रखते हुए वर्ष 2014-15 से मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड स्‍कीम शुरू की गई ताकि देश में सभी किसानों को मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड उपलब्‍ध कराने के लिए राज्‍यों सरकारों को मदद दी जा सके। मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्डों के द्वारा किसानों को अपनी मृदा के स्‍वास्‍थ्‍य और उर्वरकता में सुधार लाने के प्रयोजनार्थ पोषाहारीय तत्‍वों की यथोचित मात्रा की संस्‍तुति सहित मृदा की पोषाहारीय स्‍थिति के बारे में पता चलेगा। मृदा की स्‍थिति का जायजा प्रत्‍येक दो वर्षों के दौरान नियमित रूप से किया जाएगा ताकि पोषाहारीय कमियों को शिनाख्‍त करके उनमें अपेक्षित संशोधन किए जा सकें।  मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड पोर्टल को मृदा नमूनों के पंजीकरण, उर्वरक संबंधी संस्‍तुतियों के साथ मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड बनाने और मृदा नमूनों के परीक्षण निष्‍कर्षों को दर्ज करने के लिए बनाया गया है। दिनांक 12.09.2016 तक, वर्ष 2015-16 एवं 2016-17 के 253.42 लाख नमूनों के सामूहिक लक्ष्‍य में से 201.27 लाख मृदा नमूने एकत्र किए गए हैं जिनमें से 105.16 लाख नमूनों का परीक्षण किया गया है और 281.78 लाख मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड किसानों को बांटे गए हैं। मैं मानता हूँ कि यह एक राष्‍ट्रीय महत्‍व की योजना है जिसमें सभी राज्‍यों को तत्‍परता से भाग लेना होगा। जिन राज्‍यों में प्रयोगशालाएं स्‍थापित नहीं हुई हैं, उन्‍हें अविलंब इन्‍हें चालू करना होगा तथा युद्ध स्‍तर पर नमूनों का विश्‍लेषण कर कार्डों का वितरण करना होगा। आप सभी भिज्ञ है कि राज्‍यों से विचार विमर्श कर इस मंत्रालय ने मानकों में संशोधन कर नमूनों को इकट्ठा करने से कार्ड के वितरण करने तक के व्‍यय को 190 रूपये से बढ़ाकर 300 रूपये कर दिया गया है। इसी प्रकार आईसीएआर तकनीकी से निर्मित मिनी लैबों के क्रय की अनुमति भी राज्‍यों को दी गई है। गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष बड़े पैमाने पर मृदा परीक्षण लैब प्रारंभ हुए हैं। मुझे उम्‍मीद है कि हम मार्च 2017 तक लक्ष्‍य पूरा कर लेंगे।

7.    मृदा स्‍वास्‍थ्‍य के क्षरण के फलस्‍वरूप विभिन्‍न प्रकार के उर्वरकों का असंतुलित प्रयोग चिंता का दूसरा मामला है। मेरे मंत्रालय ने हमारे विभाग के दो महत्‍वपूर्ण स्‍कीमों को शुरू किया है जो जैविक कृषि को बढ़ावा देती हैं वे स्‍कीमें परंपरागत कृषि विकास योजना (पीएमवीवाई) और उत्‍तर पूर्व के लिए जैविक मूल्‍य श्रृंखला परियोजना है जो जैविक खेती को मिशन मोड में बढ़ावा देते और जैविक उत्‍पादों के लिए संभावित मंडी का विकास करती हैं। जैविक खेती में बदलने के लिए किसानों को 3 वर्षों के दौरान 20,000 रू. प्रति एकड़ दिए गए हैं। देश में 5 लाख एकड़ तक प्रमाणित जैविक खेती क्षेत्र बढ़ाने के लिए तीन वर्षों से 50 एकड़ के 10,000 क्‍लस्‍टर विकसित करने का लक्ष्‍य है। इससे मुख्‍य रूप से वर्षासिंचित और पहाड़ी क्षेत्रों में ध्‍यान देते हुए व्‍यापक जैविक खेती पद्धति को बढ़ावा मिलेगा। अनेक राज्‍यों ने अजैविक उर्वरकों के कम प्रयोग के लिए किसानों को प्रेरित किया है और 50 एकड़ के कलस्‍टर बनाने हेतु उन्‍हें एकजुट किया है। यदि क्षेत्र सघन है तो प्रमाणन और विपणन करना जैविक उत्‍पादों के लिए इसे अपनाना आसान हो जाएगा। हम प्रमाणन की एक सहभागिता प्रणाली अपना रहे हैं जिसमें किसान की स्‍वयं की जिम्‍मेवारी होगी। हमें जैविक खेती को वैज्ञानिक ढंग से संवर्धन करने की आवश्‍यकता है। हरेक को याद करने की आवश्‍यकता है कि जैविक खेती तभी सफल होगी जब उत्‍पाद प्रमाणित हो और जिसका संबंध मंडी से जुड़ा हो। इस प्रयोजन के लिए हमारे पास प्रमाणीकरण का पीजीएस मॉडल और पोर्टल है। राज्‍यों को राष्‍ट्रीय पोर्टल पर अपने किसानों का रजिस्‍ट्रेशन कराना चाहिए जिससे कि वे जैविक मंडी नेटवर्क का हिस्‍सा बनें।

8. भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) नामक एक अति महत्‍वाकांक्षी योजना प्रारंभ की गयी है जिसके अधीन आगामी 5 वर्षों 50,000 करोड़ रू. का निवेश कर संपूर्ण सिंचाई आपूर्ति श्रृंखला यथा जल संसाधन,  वितरण नेटवर्क और फार्म स्‍तरीय अनुप्रयोग समाधान उपलबध कराकर ‘’हर खेत को पानी’’ उपलबध कराया जाएगा। पीएमकेएसवाई का उद्देश्‍य न केवल सुनिश्‍चित सिंचाई हेतु स्रोतों का सृजन करना हैं बल्‍कि ‘जल संचय’ और ‘जल सिंचन’ के माध्‍यम से सूक्ष्‍म स्‍तर पर वर्षा जल का उपयोग करके संरक्षित सिंचाई का भी सृजन करना है। राज्‍य सरकारों से मेरा अनुरोध है कि भारत जैसे वर्षा आधारित देश में सिंचाई का महत्‍व को ध्‍यान में रखते हुए इस योजना को सफल बनाने में अपना पूर्ण योगदान दें।

9. पीएमकेएसवाई स्‍कीम को कमान क्षेत्र विकास सहित दिसम्‍बर 2019 तक चरणबद्ध तरीके से  76.03 लाख हैक्‍टेयर की क्षमता के साथ 99 वृहत और मध्‍यम सिंचाई परियोजना को पूर्ण करने के उद्देश्‍य से मिशन मोड में कार्यान्‍वित किया जा रहा है। इसके अलावा सूक्ष्‍म सिंचाई के लिए वित्‍तीय वर्ष 2015-16 के दौरान राज्‍यों को कुल 1556.23 करोड़ रू. निर्मुक्‍त किया गया और सूक्ष्‍म सिंचाई के अधीन 5.7 लाख हैक्‍टेयर क्षेत्र लाया गया था। इसके अलावा, 15,910 जल संचयन संरचना और 25,019 हैक्‍टेयर की सिंचाई क्षमता सृजित की गई थी। वर्ष 2016-17 के दौरान पीएमकेएसवाई को ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ के लिए 2340 करोड़ रू. आबंटित किए गए हैं जो गत वर्ष की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत अधिक है और सूक्ष्‍म सिंचाई के अधीन 8.0 लाख हैक्‍टेयर क्षेत्र लक्षित किए गए हैं।

10. भारत सरकार द्वारा खरीफ 2016 से पायलेट एकीकृत पैकेज बीमा स्‍कीम (यूपीआईएस) और पुनर्गठित जलवायु आधारित फसल बीमा स्‍कीम (डब्‍ल्‍यू वीसीआईएम) के साथ खरीफ 2016 से कार्यान्‍वयन के लिए इस वर्ष प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) प्रारंभ की गई है। पीएमएफबीवाई किसानों के कल्‍याण के लिए एक अति महत्‍वपूर्ण स्‍कीम है जो फसल हानियों के लिए पर्याप्‍त क्षतिपूर्ति, न्‍यूनतम प्रीमियम और किसानों को दावों की हाल का शीघ्र निपटान सुनिश्‍चित करने के लिए पूर्व की स्‍कीमों की कमियों को दूर करने के बाद पुनर्गठित किया गया है। किसानों द्वारा भुगतान किए जाने वाले प्रीमियम को रबी, खरीफ और वार्षिक वाणिज्‍यिक/बागवानी फसलों के लिए बीमित राशि क्रमश: 1.5 प्रतिशत, 2 प्रतिशत और 5 प्रतिशत तक कम किया गया है और शेष प्रीमियम केन्‍द्र और राज्‍य सरकारों द्वारा समान रूप से शेयर किया जाएगा। चालू वित्‍तीय वर्ष के दौरान इस कार्यक्रम के अन्‍तर्गत 5500 करोड़ रू. की राशि आबंटित की गई। इससे पूर्व प्रीमियम दरों की सीमा निर्धारण की सीमा निर्धारण का प्रावधान रखा गया था जिससे किसानों को भुगतान किया जा रहा दावा हुआ अब इस सीमा को हटा दिया गया है और किसान बिना किसी कटौती के पूरी बीमित राशि निर्धारण प्राप्‍त कर सकते हैं। प्रौद्योगिकियों के उपयोग का बड़े पैमाने पर बढावा दिया जाएगा। किसानों के दावों के भुगतान में विलम्‍ब को कम करने के लिए फसल की कटाई डाटा लेना और अपलोड के लिए स्‍मार्ट फोन का उपयोग किया जाएगा फसल कटाई अनुभवों की संख्‍या को कम करने के लिए दूर संवेदी तंत्र का उपयोग किया जाएगा। सभी राज्‍य सरकारों को नई स्‍कीम (पीएमएफबीवाई) को कार्यान्‍वित करने की कोशिश करनी चाहिए जो किसानों के लिए लाभदायक है।

11. भारत विश्‍व में खाद्य तेलों का प्रमुख उपभोक्‍ता है। कुल खाद्य तेलों का घरेलू मांग लगभग 23 मिलियन टन है जबकि देश में कुल उत्‍पादन आवश्‍यकता का लगभग आधा ही है। इसी कारण प्रत्‍येक वर्ष 12 मिलियन टन खाद्य तेलों का आयात किया जाता है। इस स्‍थिति को देखते हुए भारत सरकार ने अप्रैल, 2014 से राष्‍ट्रीय तिलहन और आयल पाम मिशन (एनएमओओपी) शुरू किया है। खाद्य तेलों का उत्‍पादन बढ़ाने के लिए स्‍कीम के तहत, तिलहन के उन्‍नत बीजों के उत्‍पादन तथा आयलपाम की रोपण सामग्री, सूक्ष्‍म सिंचाई, यंत्रीकरण जैसे उपायों को बढ़ावा दिया गया है। किसानों द्वारा तिलहन की खेती को प्रोत्‍साहित करने हेतु वर्तमान सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए है, (i) बीजों की उपलब्‍धता सुनिश्चित करने के लिए  तिलहन बीजों की किस्‍मों की आयु सीमा में 10 से 15 वर्षों तक छूट; (ii) विभिन्‍न किस्‍मों के लिए 1200 से 2500 रूपये प्रति क्‍विंटल तथा संकर बीजों के लिए 2500 रू. से 5000 रू. प्रति क्‍विंटल बीज राजसहायता में बढ़ोत्‍तरी जिससे किसानों को उनकी फसल की पुन: बुआई के कारण क्षति की क्षतिपूर्ति की जा सके,(iii) जलवाहक पाइपों पर सब्‍सिडी बढ़ाई गई है जो एचडीपीई पाइपों के लिए 25 रू. प्रति  मीटर से बढ़ाकर 50 रू. प्रति मीटर, पीवीसी पाइपों के लिए 35 रू. के फ्लैट ट्यूबों के लिए 20 रू. प्रति मीटर है जो 50%लागत और खरीफ 2016 से अधिकतम सीमा 1500 रू. प्रति किसान/लाभार्थी है।

12.   भारत विश्‍व में दलहन का सबसे बड़ा उत्‍पादक है जिसने वर्ष 2014-15 में 17.15 मिलियन टन से अधिक का उत्‍पादन किया। यह दलहन का सबसे बड़ा उपभोक्‍ता भी है जहां लगभग 22 मिलियन टन प्रति वर्ष की घरेलू खपत होती है। देश को लगभग 3 से 4 मिलियन टन की वार्षिक कमी की भरपाई आमतौर पर आयात से की जाती है। अत: भारत सरकार क्षेत्र विस्‍तार और उत्‍पादकता वृद्धि के माध्‍यम से रबी दलहन को बढ़ावा देने पर ध्‍यान दे रही है। एनएफएसएम- दलहन के अंतर्गत वर्ष 2013-14 के दौरान 16 राज्‍यों के 468 जिलों में यह कार्यक्रम कार्यान्‍वित किया जा रहा था जिसका विस्‍तार कर अब सभी 29 राज्‍यों में 638 जिलों का आच्‍छादन किया गया है। उत्‍तर-पूर्व के राज्‍यों,पहाड़ी राज्‍य (जम्‍मू एवं कश्‍मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्‍तराखंड) केरल और गोवा जिन्‍हें पहले कवर नहीं किया गया था अब शामिल किए गए है। इस मिशन के अंतर्गत वर्ष 2016-17 के दौरान दलहन के लिए 1700 करोड़ रू. के आवंटन में से केंद्रीय अंश के रूप में 1100 करोड़ रू. आवंटित किए गए हैं। हमारी सरकार ने दलहन के उत्‍पादन बढ़ाने के लिए अनेक उपाय किए हैं जिसमें एमएसपी और बोनस बढ़ाना शामिल है तथा व्‍यापक पैमाने पर प्रदर्शन आयोजित करने और बीज और जैव-उर्वरक हब तैयार करने में केवीके को शामिल करना है।

13.   पिछले दशक में बागवानी के तहत क्षेत्र प्रति वर्ष लगभग 2.7 प्रतिशत बढ़ा है और वार्षिक उत्‍पादन 7.0 प्रतिशत बढ़ा है। वर्ष 2014-15 में 23.41 मिलियन हैक्‍टेयर क्षेत्र से 280.99 मिलियन मीट्रिक टन बागवानी उत्‍पादन हुआ जो वर्ष 2015-16 में 283.36 मिलियन मीट्रिक टन होने की संभावना है। कृषि के प्रतिशत के रूप में बागवानी उत्‍पादन का अंश 30 प्रतिशत है जो आगे और भी बढ़ने की संभावना है। भारत की विविध और अनुकूल कृषि जलवायु स्‍थिति को देखते हुए किसान समशीतोष्‍ण, उष्‍ण कटिबंधीय, उपोष्‍ण कटिबंधीय और अर्द्ध शुष्‍क बागवानी फसलें उगा सकते हैं। भारत इस क्षेत्र में 6 श्रेणियों का घर है जिसमें फल, सब्‍जी, पुष्‍प, सुगंधित पौधे, मसाले और बागानी फसलें शामिल हैं। मैं राज्‍य बागवानी विभागों के सभी सचिवों और उनके साथियों को सलाह दूंगा कि वे समेकित बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) स्‍कीम का पूरा लाभ उठाएं। आपके लिए 5-10 वर्षों की परिपेक्ष्‍य योजना बनाने और तदनुसार इसे वार्षिक कार्य योजना में बदलने तथा कार्य करने की जरूरत है। बागवानी उत्‍पाद अपेक्षाकृत जल्‍द खराब होने वाले होते हैं। अत: भंडारण, खाद्य प्रसंस्‍करण और विपणन उतना ही महत्‍वपूर्ण है जितना कि उत्‍पादन।

14.   भारत के पूर्वी राज्‍यों को पूर्वी भारत में हरित क्रांति लाना(बीजीआरइआई) संबंधी मिशन के जरिए चावल उत्‍पादन बढ़ाने के लिए विशेष रूप से लक्षित किया गया है। ऐसे राज्‍यों में जहां चावल की परति भूमि उपलब्‍ध है, वहां आईसीएआर के केवीके की भागीदारी के जरिए दलहन और तिलहन के प्रदर्शनों पर जोर दिया जाता है।

15.   सतत उत्‍पादन पर जोर देने के अलावा किसानों को जो लाभ मिलता है, उस पर भी ध्‍यान देने की जरूरत है। हमारी सरकार ने अधिक से अधिक लाभ प्राप्‍त करने के लिए किसानों को मदद करने के लिए एकीकृत राष्‍ट्रीय बाजार का सृजन शुरू किया है। फिलहाल भारत का कृषि बाजार एपीएमसी द्वारा बिखरा हुआ है। बाजार अपर्याप्‍त हैं जिसके कारण किसानों को लाभ नहीं मिलता है। इस संबंध में सरकार ने राष्‍ट्रीय कृषि बाजार नामक एक नई स्‍कीम शुरू की है जिसे 14 अप्रैल, 2016 को ई-ट्रेडिंग प्‍लेटफार्म के रूप में भारत के प्रधान मंत्री द्वारा शुरू किया गया था। इस स्‍कीम के अनुसार मार्च, 2018 तक सामान्‍य ई-प्‍लेटफार्म अंतत: 585 एपीएमसी मंडियों को जोडेगा जिसे कृषि विपणन क्षेत्र में अपेक्षित सुधार के समाधान के रूप में परिकल्‍पित किया गया है। आरंभ में यह संपूर्ण राज्‍य व अन्‍य राज्‍यों में भी किसानों को मंडी तक पहुंच प्रदान करेगा। इससे विपणन प्रक्रिया संबंधित एकरूपता, तुलनात्‍मक मूल्‍य प्राप्‍त करने की प्रक्रिया को व्‍यवस्‍थित करके और क्रेता व विक्रेता के बीच सूचना की विषमता को हटाकर मंडी सुधार होंगे। राज्‍यों की भूमिका एनएएम की सफलता सुनिश्‍चित करने में महत्‍वपूर्ण होती है और मैं राज्‍यों से यह अनुरोध करता हूं कि वे सीएमसी अधिनियम में आवश्‍यक विनियामक सुधारों में तेजी लाए ताकि उनके बाजारों को इस राष्‍ट्रीय प्‍लेटफार्म से जोड़ा जा सके।

16.   चूंकि रबी 2016-17 मौसम शुरू होने वाला है, राज्‍य सरकारों को फसलों की किस्‍मों के गुणवत्‍ताप्रद बीजों की पर्याप्‍त मात्रा की खरीद करने और किसानों के लिए उर्वरकों की पर्याप्‍त मात्रा का स्‍टॉक करने के लिए योजना बनानी चाहिए और यह सुनिश्‍चित करना होगा कि बुवाई मौसम के दौरान इनपुट की कोई कमी न हो। राज्‍य सरकारें नहर में सिंचाई के पानी की पर्याप्‍त मात्रा छोड़ने व बिजली की निरंतर आपूर्ति के लिए प्रयास करें जहां समय पर बुवाई करने की सुविधा प्रदान करने व रबी फसलों के क्षेत्र कवरेज में कृषि के लिए ट्यूब वैल सिंचाई प्रचलित है। क्रेडिट लिंकेज अन्‍य ऐसा महत्‍वपूर्ण लिंकेज है जिस पर हमें ध्‍यान देना होगा। आज क्षमता सुनिश्‍चित करने के लिए समय पर बुवाई करना,समय-समय पर किसानों के साथ उत्‍पादन प्रौद्योगिकी शेयर करने के लिए विस्‍तार कर्मियों की संख्‍या बढ़ानी होगी। हमें किसानों तक प्रासंगिक सूचना का शीघ्र व समय पर प्रसार करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करना होगा। हमारे मंत्रालय ने इस उद्देश्‍य के लिए सॉफ्टवेयर तैयार किए हैं। कृपया एडवाइजरी/परामर्शसूची भेजने के लिए एसएमएस सुविधा व किसान कॉल केंद्रों का उपयोग करें। इस वर्ष हमने किसान चैनल की शुरूआत की जो कृषि क्षेत्र के लिए समर्पित हैं। राज्‍य सरकारों को प्रभावी ढ़ंग से इसका उपयोग करना चाहिए।

17.   अंत में मैं आपको व किसानों को कृषि क्षेत्र में हुई प्रगति के लिए पुन: धन्‍यवाद देना चाहता हूं। हमारे किसानों की मेहनत से ही हमारा देश खाद्य सुरक्षा का लक्ष्‍य पूरा कर पाया है। किसान विभिन्‍न प्रकार की अन्‍य वस्‍तुओं का भी उत्‍पादन कर रहे हैं जो कृषि प्रसंस्‍करण उद्योगों की सहायता करती है व खेत से बाहर भी नौकरियां प्रदान करती हैं। मुझे पक्‍का विश्‍वास है कि हमारे ठोस प्रयासों से हम 12वीं पंचवर्षीय योजना अवधि के दौरान परिकल्‍पित 25 मिलियन टन खाद्यान्‍न का अतिरिक्‍त उत्‍पादन लक्ष्‍य प्राप्‍त कर सकेंगे।

18.   कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्‍याण विभाग, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग से प्रशासक और वैज्ञानिक हमारे बीच हैं। हमारे साथ आज आईसीएआर वैज्ञानिक भी हैं। सभी किसानों की सेवा के लिए तत्‍पर है। भारतीय किसान समुदाय के हित में केंद्र और राज्‍य दोनों सरकारों को साथ मिलकर कार्य करना होगा और मैं आपसे इस संबंध में समर्पित तरीके से कार्य करने की अपील करता हूं।

19.   इस समारोह में मैं इस बात पर जोर दूंगा कि लाभार्थियों को अग्रिम रूप से समय पर निधियों के सरल प्रवाह हेतु राज्‍य सरकार विशिष्‍ट प्रसाय करें ताकि प्रस्‍तावित कार्यक्रम शुरू किए जा सकें और व्‍यवस्‍था में पारदर्शिता लाई जा सके। जिसके लिए डी.बी. टी. पर जोर देना आवश्‍यक है तथा सरकार द्वारा विभिन्‍न कार्यों के लिए पोर्टल बनाए गये है जिनके उपयोग से पारदर्शिता लायी जा सकती है। राज्‍य सरकारों को यह भी सुनिश्‍चित करना चाहिए कि केंद्रीय अंश के पूर्ण उपयोग के लिए राज्‍य अंश समय पर उपलब्‍ध करवा दिया जाए। कुछ कार्यक्रमों जिसमें राज्‍यों द्वारा प्रोत्‍साहन की आवश्‍यकता है के लिए कुछ राज्‍यों द्वारा इस पद्धति को अपनाया गया है।

20.   अंत में मैं यह आशा करता हूं कि राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों और अन्‍य विशिष्‍ट सहभागियों के साथ दो-दिवसीय विचार-विमर्श से नई रणनीतियों को तैयार करने में मदद मिलेगी जिससे आगामी रबी मौसम में वांछित परिणामों को प्राप्‍त करने में देश को मदद मिलेगी और देश के किसानों का कल्‍याण होगा समग्र आर्थिक विकास होगा।

      मैं इस समारोह की सफलता की कामना करता हूं।

 

Related posts

6 comments

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More