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प्रधानमंत्री की पांच मध्‍य एशियाई देशों और रूस की आगामी यात्रा

देश-विदेश

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने पांच मध्‍य एशियाई देशों और रूस के अपने आगामी दौरे से संबंधित कुछ जानकारियां अपने फेसबुक पेज पर पोस्‍ट की हैं। प्रधानमंत्री के पोस्‍ट का अनुदित पाठ इस प्रकार है –

” 6 जुलाई से मैं पांच मध्‍य एशियाई देशों और रूस के दौरे का प्रारंभ करूंगा, जहां मैं ब्रिक्‍स और एससीओ शिखर सम्‍मेलन में भागीदारी करूंगा।

मेरी पहली यात्रा उज़बेकिस्‍तान की होगी, जो मध्‍य एशिया का सबसे अधिक जनसंख्‍या वाला देश है। भारत और उज़बेकिस्‍तान के बीच एक करीबी सामरिक साझेदारी है। उज़बेकिस्‍तान में मैं राष्‍ट्रपति कारिमोव से वार्तालाप करूंगा और हम अपने देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने के लिए महत्‍वपूर्ण समझौतों पर भी हस्‍ताक्षर करेंगे। हम उज़बेकिस्‍तान के साथ अपने आर्थिक संबंधों का विस्‍तार और व्‍यापारिक एवं आर्थिक संपर्कों को बढ़ाना चाहते हैं। मुझे यह भी उल्‍लेख करना चाहिए कि राष्‍ट्रपति कारिमोव ने पांच बार भारत की यात्रा की है, जिनमें से चार यात्राएं उनके राष्‍ट्रपति के तौर पर थीं, उनकी पिछली यात्रा 2011 में हुई थी।

यह सर्वविदित है कि उज़बेकिस्‍तान में भारतीय फिल्‍में, भाषा और संगीत बहुत लोकप्रिय है। वास्‍तव में, उज़बेक रेडियो ने 2012 में हिंदी प्रसारण के 50 वर्ष पूर्ण कर लिए थे। इस यात्रा के दौरान मैं भारतीय साहित्‍य को पढ़ने वाले और हिंदी सीखने वाले छात्रों तथा भारतीय समुदाय के सदस्‍यों से वार्तालाप करूंगा। उज़बेकिस्‍तान में 3000 से ज्‍यादा भारतीय हैं।

यह ताशकंद ही था, जहां हमने अपने सर्वाधिक लोकप्रिय और सम्‍मानित नेता श्री लालबहादुर शास्‍त्री जी को खो दिया था, जिन्‍होंने हमारे राष्‍ट्र को ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा देकर जोश से भर दिया था। मैं अपनी यात्रा के दौरान भारत के इस स्‍वाभिमानी पुत्र को अपने श्रद्धा सुमन भी अर्पित करूँगा।

मुझे विश्‍वास है कि यह यात्रा भारत- उज़बेकिस्‍तान संबंधों के आगामी विस्‍तार की दिशा में एक महत्‍वपूर्ण कदम होगी।

मैं 7 और 8 जुलाई को सबसे बड़े मध्‍य एशियाई देश कज़ाकिस्‍तान में रहूँगा। मध्‍य एशिया की यात्रा के दौरान ये मेरा दूसरा पड़ाव होगा। कज़ाकिस्‍तान मध्‍य एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्‍यापारिक साझेदार है और विभिन्‍न अंतर्राष्‍ट्रीय मंचों पर भारत का अहम मित्र है। भारत और कज़ाकिस्‍तान के बीच एक सामरिक साझेदारी है जो इस बात का संकेत करती है कि हम किस तरह से संबंधों में कज़ाकिस्‍तान से जुड़े हैं।

कज़ाकिस्‍तान में, मैं राष्‍ट्रपति नज़रबायेव से मुलाकात करूँगा, और उन्‍हें 6 जुलाई को 75 वर्ष का होने पर अपनी शुभकामनाएं व्‍यक्‍त करूँगा। मैं प्रधानमंत्री करीम मास्सिमोव से भी मुलाकात करूँगा, जिनके साथ इस वर्ष मार्च में सिंगापुर में बैठक करने का अवसर मिला था। वहां राष्‍ट्रपति नज़रबायेव के साथ एक प्रतिनिधि स्‍तर की वार्तालाप और इसके पश्‍चात दस्‍तावेजों पर हस्‍ताक्षर के साथ एक संयुक्‍त संवाददाता सम्‍मेलन भी होगा।

भारत और कज़ाकिस्‍तान ऊर्जा और अंतरिक्ष सहित व्‍यापक क्षेत्र में सहयोग कर रहे हैं। मैं अपने आर्थिक संबंधों में और विस्तार के व्‍यापक अवसर के प्रति आशान्वित हूँ। भारत और कज़ाकिस्‍तान कृषि के क्षेत्र में भी संबंधों को बढा सकते हैं।

अपनी इस यात्रा के दौरान, मैं कज़ाकिस्‍तान स्थित नज़रबायेव विश्‍वविद़्यालय के युवाओं से वार्तालाप को लेकर आशान्वित हूँ। मैं एनएन गुमिलेव यूरेसियन नेशनल यूनिवर्सिटी में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी में विशिष्‍ठता के भारत-कज़ाकिस्‍तान केन्‍द्र का भी उद्घाटन करूँगा। मैं मातृभूमि के रक्षकों के स्‍मारक पर पुष्‍पांजलि अर्पित करने के साथ एक पौधा भी लगाऊंगा।

कज़ाकिस्‍तान के साथ हमारे सांस्‍कृतिक संबंधों की जड़े काफी गहरी हैं। हमारी फिल्‍में, टीवी सीरियल और नृत्‍य यहां काफी लोकप्रिय हैं। योग भी लोकप्रियता हासिल कर रहा है। जिस उत्‍साह के साथ कज़ाकिस्‍तान ने 21 जून को आयोजित हुए योग दिवस समारोहों में हिस्‍सा लिया, उसके लिए मुझे उनकी प्रशंसा करनी चाहिए।

ईश्‍वर करे, यह यात्रा एक अहम मित्र के साथ हमारे मूल्‍यवान संबंधों के मामले में एक ऐतिहासिक अध्‍याय लिखे।

मैं रूस के उफा में साथ में ब्रिक्‍स और एससीओ शिखर सम्‍मेलन में भागीदारी करूंगा। पिछले एक वर्ष में मुझे ब्राजील में हुए शिखर सम्‍मेलन में और अन्‍य अंतर्राष्‍ट्रीय मंचों के दौरान ब्रिक्‍स नेताओं से मुलाकात के अवसर मिले हैं। पिछले वर्ष का शिखर सम्‍मेलन रचनात्‍मक था और मुझे विश्‍वास है कि पिछले शिखर सम्‍मेलन के दौरान निकले सकारात्‍मक परिणामों को हम अपना आधार बनाएंगे। मैं ब्रिक्‍स देशों के बीच आर्थिक सहयोग और सांस्‍कृतिक संबंधों में सकारात्‍मक परिणामों की आशा रखता हूं।

मैं नेताओं से व्‍यक्तिगत रूप से मुलाकात करूंगा और ब्रिक्‍स नेताओं के साथ-साथ उद्योग प्रमुखों तथा अन्‍य आमंत्रित देशों के नेताओं से भी विभिन्‍न वार्तालापों का हिस्‍सा बनूंगा।

भारत ब्रिक्‍स के साथ उच्‍च महत्‍व के साथ जुड़ा है। यह एक महत्‍वपूर्ण मंच है, जो वैश्विक चुनौतियों से निपटने में प्रभावी रूप से सहयोग कर सकता है। ब्रिक्‍स भविष्‍य में विश्‍व शांति और सुरक्षा के मामले में भी महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा रहा है तथा यह सुनिश्चित कर रहा है कि हम अपनी आगामी पीढि़यों को एक बेहतर वातावरण देकर जाएंगे।

ब्रिक्‍स शिखर सम्‍मेलन के बाद मैं 11 जुलाई को तुर्कमेनिस्‍तान में रहूंगा। 1995 में श्री पी वी नरसिम्‍हा राव की यात्रा के बाद यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा होगी। मैं इस यात्रा को विभिन्‍न क्षेत्रों में भारत- तुर्कमेनिस्‍तान के बीच मजबूत संबंधों के शानदार अवसर के तौर पर देखता हूं।

यह यात्रा राष्‍ट्रपति गुरूबनगुली वर्दीमुहेमेदोव के साथ मुलाकात से प्रारंभ होगी। इस यात्रा के दौरान बैठकों के अलावा समझौतों पर हस्‍तक्षर और प्रेस के साथ एक वार्ता होगी। तुर्कमेनिस्‍तान के साथ बेहतर संबंधों के मामले में जिन क्षेत्रों में मैं व्‍यापक संभावनाएं देखता हूं, उनमें पर्यटन, उर्वरक, अंतरिक्ष, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा रक्षा शामिल हैं। हमारा द्विपक्षीय व्‍यापार हमारी क्षमताओं से कम है और मुझे विश्‍वास है कि हम इसमें सुधार ला सकते हैं।

मैं महत्‍मा गांधी की एक प्रतिमा का अनावरण और एक पारंपरिक औषधि एवं योग केन्‍द्र का शुभारंभ करूंगा। तुर्कमेनिस्‍तान में योग के प्रति बढ़ते हुए उत्‍साह को देखकर मुझे बहुत प्रसन्‍नता है। मैं प्रथम राष्‍ट्रपति के मकबरे पर भी अपने श्रद्धासुमन अर्पित करूंगा।

यह मेरा दृढ़ विश्‍वास है कि मेरी इस यात्रा से भारत और तुर्कमेनिस्‍तान के संबंधों को आगामी स्‍तर और हमारे नागरिकों के लाभ तक ले जाया जाएगा।

मेरी यात्रा का चौथा मध्‍य एशियाई देश किर्गिस्‍तान होगा। पिछले 20 वर्षों में प्रधानमंत्री का यह पहला दौरा होगा। मैं 12 जुलाई को वहां रहूंगा। राष्‍ट्रपति अलमाज़बेक अतामबायेव के साथ होने वाली मेरी वार्ता में जहां तक संभव हो, विभिन्‍न क्षेत्रों में किर्गिस्‍तान के साथ मजबूत साझेदारी बनाने के तरीकों पर ध्‍यान केन्द्रित रहेगा। भारत और किर्गिस्‍तान के बीच मजबूत आर्थिक संबंध दीर्घकालिक दृष्टि से बहुत सहायक होंगे। मैं प्रधानमंत्री सेमिर तारियेव और संसद के अध्‍यक्ष श्री एसयेलबेक जीनबीकोव से मुलाकात करने की भी इच्‍छा रखता हूं।

हम किर्ग फील्‍ड हॉस्पिटल को चिकित्‍सा उपकरण उपहार में देकर प्रसन्‍नता का अनुभव करेंगे। मुझे विश्‍वास है कि इससे किर्गिस्‍तान के अनेकों बहनों और भाईयों के जीवन को लाभ मिलेगा। मैं दूरसंचार-औषधि संपर्कों का भी उद्घाटन करूंगा, जिससे किर्गिस्‍तान से भारत के लिए चिकित्‍सा पर्यटन को प्रोत्‍साहन मिलेगा। महात्‍मा गांधी की एक प्रतिमा का अनावरण करूंगा। मुझे किर्ग-भारत पर्वतीय जैव चिकित्‍सा अनुसंधान केन्‍द्र का दौरा करने और बिशकेक में विजय स्‍मारक में श्रद्धासुमन अर्पित करने के समारोह में शामिल होने का अवसर मिलेगा।

ईश्‍वर करे, इस यात्रा से भारत- किर्गिस्‍तान के बीच मजबूत संबंधों का एक नया अध्‍याय प्रारंभ हो।

12 और 13 जुलाई को मैं ताजिकिस्‍तान में रहूंगा। नवम्‍बर, 2003 में अटलजी के द्वारा प्रधानमंत्री के तौर पर ताजिकिस्‍तान की यात्रा की गई थी।

हम ताजिकिस्‍तान के साथ एक सामरिक साझेदारी और बेहद मजबूत रक्षा सहयोग रखते हैं। हालांकि हमारे आर्थिक सहयोग सीमित हैं और इनमें वृद्धि की अपार संभावनाएं हैं। द्विपक्षीय व्‍यापार में भी व्‍यापक संभावनाएं हैं।

मेरी यह यात्रा वर्तमान मजबूत राजनयिक और रक्षा संबंधों को और मजबूत बनाएगी और हमारे आर्थिक संबंधों में एक नवीन अध्‍याय जोड़ेगी। मैं राष्‍ट्रपति इमोमाली रहमौन से मुलाकात को लेकर भी आशान्वित हूं। हमारी मुलाकात के बाद प्रमुख समझौतों पर हस्‍ताक्षर भी किये जाएंगे। मैं भारत- ताजिकिस्‍तान मित्रता अस्‍पताल के लिए औषधियों का उपहार भी प्रदान करूंगा।

आपको यह जानकार खुशी होगी कि भारतीय फिल्‍में ताजिक टेलीविजन पर दिखाई जाती हैं। दुशानबे में भारतीय सांस्‍कृतिक केन्‍द्र लोगों के बीच लोकप्रिय है, जहां वे तबला, कथक, योग और हिन्‍दी के आलवा अन्‍य गतिविधियां सिखने जाते हैं। अत्‍यंत लोकप्रिय और व्‍यापक रूप से विख्‍यात गुरुदेव रबिन्‍द्रनाथ टैगोर की एक प्रतिमा का दुशानबे में अनावरण भी किया जाएगा।

मैं आशा करता हूं कि इस यात्रा से निकलने वाले परिणाम बहुत सकारात्‍मक होंगे और भविष्‍य में भारत और ताजिकिस्‍तान के बीच संबंधों को और मजबूत बनाएंगे।

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