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राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय प्रोद्योगिकी संस्थान, नई दिल्ली के पहले दीक्षांत समारोह को संबोधित किया

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नई दिल्ली: राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय प्रोद्योगिकी संस्थान, नई दिल्ली के पहले दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने सभी स्नातक छात्रों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि एनआईटी के लिए यह पहला दीक्षांत समारोह मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि अलग-अलग परिसरों से चलने के बावजूद इस संस्थान ने शिक्षा के स्तर को बनाए रखा है और साथ ही शैक्षणिक गतिविधियों के लिए बेहतर ढांचागत सुविधाएं भी उपलब्ध कराई है। इस संस्था ने बहुत कम समय मे अपनी अलग जगह बनाई है। राष्ट्रपति ने दुरदृष्टी के लिए प्रबंधन समिति, ईमानदारी, समर्पण के लिए संकाय सदस्यों और कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता के लिए कर्मचारियों की प्रशंसा की। उन्होंने सभी से समर्पण और गर्व के साथ आगे बढ़ने का आह्वान किया। राष्ट्रपति ने कहा कि आने वाले समय में राष्ट्र निर्माण के वाहक बनने वाले युवकों को निखारने में हमारे उच्च शिक्षण संस्थानों की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। इन संस्थानों को छात्रों को विद्वान बनाने और उनमें क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। साथ ही इन्हें सतत विकास और सीख को लगातार बढ़ावा देना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था के जरिए छात्रों में विशेष क्षमताओं को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उन्होंने इन क्षमताओं को तीन महत्वपूर्ण वर्गों में बांटा- 1. तकनीक के इस्तेमाल को आसान बनानाः- संस्थानों को ज्ञान नेटवर्क और विश्व स्तरीय उपकरणों से सृजित होना चाहिए। इससे छात्रों को आगे बढ़ने में सहायता मिलेगी और साथ ही वो आधुनिक उपकरणों से वाकिफ भी हो सकेंगे। साथ ही फैक्लिटी को भी नई तकनीक से खुद को परिचित रखना चाहिए। जिसके बाद ही छात्रों में उच्च स्तर का ज्ञान आ सकेगा। 2. शोध और नवाचार को प्राथमिकताः- सुदृढ़ शोध कार्यशाला हमारे इंजीनियरिंग छात्रों को विनिर्माण और डिजाइन में नया सीखने में बहुत सहायक साबित हो सकती है। इस क्षेत्र में इंटरनेट पर आपार जानकारी मौजूद है। छात्रों को संस्थान के बाहर से भी ज्ञान अर्जित के लिए अग्रसर रहना चाहिए और नवीन डिजाइन और मॉडल विकसित करने के लिए खुद रूपरेखा तैयार करनी चाहिए। इंजीनियर्स और वैज्ञानिकों को बदलते हुए समाज की जरूरत से हर समय परिचित रहना चाहिए और मानवीय पहलुओं को ध्यान में रखते हुए समस्याओं का निर्धारण करना चाहिए। 3. व्यक्तित्व के संपूर्ण विकास पर जोरः- सामाजिक विकास के लिए उघमिता को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए जिस के लिए छात्रों मे मानव जीवन को बेहतर बनाने की सोच पैदा की जानी चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में भविष्य में तकनीकी शिक्षा की दिशा आईआईटी और एनआईटी जैसे इंजीनियरिंग संस्थान तय करेंगे। इन संस्थानों की स्थापना विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में उच्च स्तर की शिक्षा देने के लिए किया गया था। उत्कृष्ट शोध और शैक्षणिक ढांचागत सुविधाएं और समर्पित फैकल्टी किसी भी संस्थान को शीर्ष पर ले जाने में अहम भूमिका अदा करते है। छात्रों को वैश्विक स्तर के लिए प्रशिक्षित करने के लिए एक मजबूत संकाय की जरूरत होती है साथ ही अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में और कार्यशालाओं में भागीदारी और जर्नल्स में शोधपत्रों के प्रकाशन को भी प्राथिकता देनी चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि स्किल इंडिया, स्टार्ट इंडिया जैसी पहलों में अपनी विशेषज्ञता का इस्तेमाल हमारे उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्र अहम रोल अदा कर सकते है। साथ ही संस्थानों को जमीनी स्तर की समस्याओं के समाधान के लिए भी अपनी छात्रों की पहचान करनी चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत एक पुरानी भूमि है, लेकिन यह एक युवा राष्ट्र है। आजादी के बाद इस देश ने जबरदस्त तरीके से विकास किया है। उद्योग से लेकर कृषि और सेवा क्षेत्र सहित सभी क्षेत्रों में हमने विकास किया है और साथ ही हम जल्द ही दुनिया के विकसित देशों में खुद को खड़ा देख सकते है। हमारी आशाएं ज्यादा है लेकिन इनकों हासिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि योग्यता, कौशल किसी भी व्यक्ति का विश्वास बढ़ाता है और यह सारी विशेषताएं हमारे इंजीनियर्स, वैज्ञानिकों, प्राशसनिक अधिकारियों, नीति निर्माताओं, डॉक्टरों, अधिवक्ताओं, शोधकर्ताओं और विद्वानों में मौजूद है। इन सभी पर हमारे देश के विकास की जिम्मेदारी है। राष्ट्रपति ने सभी छात्रों को आने वाले जीवन के लिए शुभकामनाएं दी और साथ ही कहा कि समाज में बदलाव का वाहक बनने के लिए सबकी नजरे उन पर रहेगी।

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