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प्रधानमंत्री ने श्री स्वामीनारायण मंदिर द्वारा आयोजित ‘युवा शिविर’ को सम्बोधित किया

देश-विदेश

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये करेलीबाग, वडोदरा में आयोजित ‘युवा शिविर’ को सम्बोधित किया। श्री स्वामीनारायण मंदिर, कुलधाम और करेलीबाग, वडोदरा स्थित श्री स्वामी नारायण मंदिर ने शिविर का आयोजन किया।

उपस्थितजनों को सम्बोधित करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे ग्रंथ हमें सीख देते हैं कि हर पीढ़ी में निरंतर चरित्र-निर्माण करना ही हर समाज की बुनियाद है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस तरह का जो शिविर आज चलाया जा रहा है, वह न केवल हमारे युवाओं में अच्छे ‘संस्कार’ पैदा कर रहा है, बल्कि वह समाज, अस्मिता, गौरव और राष्ट्र के पुनर्जागरण के लिये पवित्र तथा नैसर्गिक अभियान भी है।

प्रधानमंत्री ने आग्रह किया कि नये भारत के निर्माण के लिये सामूहिक संकल्प किया जाये और मिलकर प्रयास किया जाये। उन्होंने कहा कि ऐसा नया भारत, जिसकी पहचान नई हो, जो दूरदर्शी हो और परंपरायें प्राचीन हों। एक ऐसा नया भारत, जो नई सोच और सदियों पुरानी संस्कृति, दोनों को एक साथ लेकर आगे बढ़े, पूरी मानवजाति को दिशा दे। प्रधानमंत्री ने कहा, “जहां भी चुनौतियां हैं, वहां आशा के साथ भारत मौजूद है, जहां भी समस्या है, वहां भारत समाधान देता है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोनाकाल के संकट के बीच दुनिया को वैक्सीन और दवाइयां पहुंचाने से लेकर बिखरी हुई आपूर्ति श्रृंखला के बीच आत्मनिर्भरता की उम्मीद तक, वैश्विक शांति और संघर्षों के बीच शांति के लिये एक सामर्थ्यवान राष्ट्र की भूमिका तक, भारत आज दुनिया की नई उम्मीद है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हम पूरी मानवता को योग का रास्ता दिखा रहे हैं, आयुर्वेद की ताकत से परिचित करवा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि आज, जनभागीदारी के बढ़ने के साथ सरकार के काम करने और समाज के सोचने का तरीका बदल गया है। आज, भारत के पास दुनिया की सबसे बड़ी स्टार्ट-अप प्रणाली है, जिसका नेतृत्व भारत के युवा कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “हम सॉफ्टवेयर से लेकर अंतरिक्ष तक, एक नये भविष्य के लिये तत्पर देश के रूप में उभर रहे हैं। हमारे लिये संस्कार का अर्थ है – शिक्षा, सेवा और संवेदनशीलता! हमारे लिये संस्कार का अर्थ है – समर्पण, संकल्प और सामर्थ्य! हम अपना उत्थान करें, लेकिन हमारा उत्थान दूसरों के कल्याण का भी माध्यम बने। यही भगवान स्वामीनारायण की शिक्षाओं का सार है और यही भारत की प्रकृति भी है।”

प्रधानमंत्री ने वडोदरा के साथ अपने लंबे जुड़ाव को याद किया और अपने निजी और राजनीतिक जीवन में इस स्थान के महत्त्व का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ के आधार पर वडोदरा विश्व आकर्षण का महत्त्वपूर्ण स्थान बन गया है, यानी स्टेच्यू ऑफ यूनिटी। इसी तरह, पावागढ़ मंदिर भी दुनिया में सबको आकर्षित कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘संस्कार नगरी’ वडोदरा भी पूरी दुनिया में जाना जा रहा है, क्योंकि वडोदरा निर्मित मेट्रो कोचों का इस्तेमाल विश्वभर में हो रहा है। उन्होंने कहा कि यही वडोदरा की शक्ति है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें देश के स्वतंत्रता संग्राम में मरने का अवसर तो नहीं मिला, लेकिन हम देश के लिये जी सकते हैं। उन्होंने सवाल किया, “क्या 15 अगस्त, 2023 तक, हम नकदी लेन-देन समाप्त कर सकते हैं और क्या डिजिटल भुगतान को अपना सकते हैं? आपका छोटा सा योगदान छोटे व्यापारों और विक्रेताओं के जीवन में भारी बदलाव ला सकता है।” इसी तरह, स्वच्छता, सिंगल-यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल और कुपोषण को रोकने के लिये भी संकल्प किया जा सकता है।

प्रधानमंत्री ने काशी के घाटों की सफाई के लिये नगालैंड की एक बालिका के अभियान का भी उल्लेख किया। उस बालिका ने अकेले अभियान शुरू किया था और बाद में कई लोग उससे जुड़ते गये। इससे संकल्प-शक्ति का परिचय मिलता है। प्रधानमंत्री ने आग्रह किया कि देश की सहायता करने के लिये बिजली बचाने या प्राकृतिक खेती को अपनाने जैसे छोटे उपाय किये जाने चाहिये।

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