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कैन प्रोटेक्ट फाउंडेशन द्वारा स्तनपान जागरूकता सप्ताह का आयोजन

उत्तराखंडसेहत

देहरादून: कैन प्रोटेक्ट फाउंडेशन द्वारा वार्षिक विश्व स्तनपान जागरूकता सप्ताह 1 से 7 अगस्त तक मनाया जायेगा जिसमे बच्चे और मां दोनों के लिए स्तनपान के लाभों पर प्रकाश डाला जायेगा। स्तनपान से बच्चों को जीवन में सबसे अच्छी शुरुआत मिलती है, लेकिन उचित समर्थन और जागरूकता के बिना यह मुश्किल हो सकता है।

कैन प्रोटेक्ट फाउंडेशन स्तनपान जागरूकता के लिए फोगसी, इंडियन अकादमी ऑफ़ पीडियाट्रिक्स और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, देहरादून के साथ सयुंक्त तत्वाधान में नई माताओं की सहायता के लिए; महिलाओं, विशेषकर उन लड़कियों को जिन्होंने आगे चलकर मात्र्तव का अनुभव करना है और नर्सों के लिए सी एम आई अस्पताल में दिनांक 1 अगस्त 2018 को सुबह 11 बजे विशेष सेमिनार का आयोजन कर रहा है जिसमे स्तनपान से जुडी किसी भी समस्या या प्रश्नों का उचित उत्तर एवं सहायता प्रदान की जाएगी और सुनिश्चित किया जायेगा कि मां और बच्चे खुश और स्वस्थ हैं।

कैन प्रोटेक्ट फाउंडेशन द्वारा स्तनपान के प्रति जागरूकता बढाने के लिए देहरादून शहर में कई हॉस्पिटल्स और क्लीनिक में स्तनपान से सम्बंधित विशेष पोस्टर्स लगवाए गए है। जिसमे माँ और शिशु के के लिए स्तनपान के फायदों पर प्रकाश डाला गया है। शहर के अलग अलग हॉस्पिटल्स में विशेष गोष्ठियों का आयोजन किया जा रहा है जिसमे स्तनपान से सम्बंधित प्रशन उत्तर, मानसिक और शारीरिक समस्याओं का समाधान किया जायेगा ।

कैन प्रोटेक्ट फाउंडेशन की अध्यक्षा डॉ सुमिता प्रभाकर ने बताया कि, “माँ का दूध माँ और बच्चे दोनों के आजीवन अच्छे स्वस्थ्य की नींव है”  स्तनपान बच्चे के जीवन को स्वस्थ शुरुआत देता है। लेकिन यह एकमात्र स्वास्थ्य लाभ नहीं है। यह महिलाओं में होने वाले स्तन कैंसर के जोखिम को भी कम कर सकता है। डॉ प्रभाकर बताती है की ऐसा अनुभव किया जा रहा है की शहरी रहन सहन एवं जीवनशैली में आयें बदलाव के कारण महिलाएं द्वारा स्तनपान में कमी आया रही है जिसके कारन शिशु को बहुत सी बीमारियों का खतरा बना रहता है, सही स्तनपान से शिशु को बहुत सी एलर्जी से बचने में भी सहायता मिलती है और महिलाओं के अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी स्तनपान एक मुख्य कारक है ।

शिशु को कई बीमारियों और और माताओं को स्तन कैंसर से बचाता है स्तनपान 

अमेरिकन कैंसर रिसर्च इंस्टिट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार स्तनपान करवाने वाली महिलाओं में रजोनिवृत्ति के पूर्व और बाद होने वाले स्तन कैंसर का खतरा कम हुआ है और, छह महीने से अधिक स्तनपान कराने से अतिरिक्त सुरक्षा मिल सकती है।

रिपोर्ट के अनुसार स्तनपान करवाने वाली ज़्यादातर महिलाओं में स्तनपान के दौरान हार्मोनल परिवर्तनों का अनुभव किया गया है, जो मासिक धर्म काल में देरी करते हैं। यह महिलाओं में एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन में कमी लाता है, जो स्तन कैंसर कोशिका के विकास को बढ़ावा दे सकता है। इसके अलावा, गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान, स्तन ऊतक में कमी आती है। डॉ सुमिता प्रभाकर बताती है कि, “यह कमी संभावित डीएनए क्षति के साथ कोशिकाओं को हटाने में मदद कर सकती है, इस प्रकार स्तन कैंसर के विकास की संभावनाओं को कम करने में मदद मिलती है।”

मां का दूध सक्रिय रूप से नवजात शिशुओं को विभिन्न तरीकों से बीमारी से बचने में मदद करता है। इस तरह की सहायता जीवन के पहले कुछ महीनों के दौरान विशेष रूप से फायदेमंद होती है, जब एक शिशु में स्वयं की संक्रमण के खिलाफ प्रभावी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पूरी तरह नहीं होती है। यूनिसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन दोनों स्तनपान को “दो साल और उससे आगे” की सलाह देते हैं। दरअसल, एक बच्चे की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया लगभग पांच वर्ष की उम्र तक पूरी ताकत तक नहीं पहुंचती है।

एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में, सिर्फ 50% से कम बच्चे जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान कर पाते हैं, जबकि पहले छह महीनों में स्तनपान कराने की दर 55% हैं। बच्चे के जन्म के तुरंत बाद स्तनपान की शुरुवात, दस्त और निमोनिया के कारण प्रति वर्ष लगभग 99,499 बच्चों की मौत को रोक सकती है।

वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ, डॉ सुमिता प्रभाकर के अनुसार, “हम पहले छह महीनों के लिए विशेष रूप से स्तनपान कराने की सलाह देते हैं। यह न केवल कई बीमारियों के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रदान करके बच्चों की रक्षा करता है, बल्कि माताओं को वजन घटाने और स्तन कैंसर की संभावनाओं को कम करने में भी मदद करता है।”

ग्लोबल ब्रेस्टफीडिंग कलेक्टिव के सहयोग से यूनिसेफ और डब्ल्यूएचओ की एक साझा रिपोर्ट में कैंसर के कारण भारत में महिलाओं की मौतों की बढ़ती संख्या पर भी प्रकाश डाला गया है, जबकि अपर्याप्त स्तनपान टाइप II मधुमेह के लिए भी जिम्मेदार है।

भारत के चौथे राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण से पता चलता है कि अर्द्ध ठोस भोजन प्राप्त करने के बाद 6-8 महीने की उम्र के बच्चों में स्तनपान में लगभग 10 प्रतिशत की कमी आई है, जो चिंता का विषय है ।

डॉ सुमिता प्रभाकर ने बताया की कैन प्रोटेक्ट फाउंडेशन द्वारा स्तनपान जागरूकता सप्ताह इसलिए भी आयोजित किया जा रहा है क्योंकि सभी स्वास्थ्य सुविधाओ के बावजूद, जानकारी और सुविधा के अभाव में सही तरीके से स्तनपान करवाना आसान नहीं है। यह आयोजन उन सभी महिलाओं के लिए हैं जो स्तनपान के दौरान किसी भी तरह की मानसिक या शारीरिक परेशानी महसूस कर रही हैं, यह सभी महिलाएं शहर के विभिन्न हॉस्पिटल्स में हमारी स्तनपान सलाहकार से निशुल्क सहायता प्राप्त कर सकती है ।

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