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मुख्यमंत्री के निर्देश पर भूकम्प पीडि़तों की सहायता के लिए राज्य सरकार लगातार राहत एवं बचाव कार्य में सक्रिय

उत्तर प्रदेश
लखनऊ: मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के निर्देशों के क्रम में नेपाल में आए विनाशकारी भूकम्प पीडि़तों की सहायता के लिए राज्य सरकार द्वारा लगातार राहत व बचाव कार्य किए जा रहे हैं। नेपाल में फंसे लोगों को निकालने के लिए लगातार बसें भेजकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को सकुशल वापस लाने एवं प्रदेश सरकार की ओर से नेपाल को अधिक से अधिक सहायता मुहैया कराने के निर्देश मुख्यमंत्री द्वारा भूकम्प की घटना की सूचना प्राप्त होते ही दे दिए गए थे।

यह जानकारी देते हुए राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि अभी तक राज्य सड़क परिवहन निगम की 149 बसों एवं अन्य साधनों से सोनौली बार्डर कुल 17 हजार 500 भूकम्प पीडि़तों को वापस लाया गया है। इसके अतिरिक्त 66 बसें काठमाण्डू से सोनौली के रास्ते में हैं तथा 54 वाहन भूकम्प पीडि़त जरूरतमन्दों के लिए काठमाण्डू में उपलब्ध हैं।
प्रवक्ता ने बताया कि राज्य से नेपाल के लिए बड़ी मात्रा में चावल, दाल, आटा, कम्बल, बिस्कुट, क्लोरीन टैबलेट, टेण्ट, प्लास्टिक तिरपाल, ब्लीचिंग पाउडर, सैनिटरी पैड, तौलिये, नमकीन, ड्राई लन्च पैकेट, मिनरल वाटर की बोतलें, चीनी, ग्लूकोज, मिल्क पाउडर इत्यादि भेजे गए हैं। अभी तक 81 ट्रक खाद्य सामग्री, 20 ट्रक मिनरल वाटर, 4 ट्रक मेडिसिन व क्लिनिकल सामग्री, 4600 कम्बल, 1500 तिरपाल तथा 700 तौलिये सहित कुल 105 ट्रक सामग्री भेजी गयी है।
प्रवक्ता ने यह भी बताया कि डाॅ0 शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय लखनऊ ने नेपाल में भूकम्प के कारण विकलांग हुए विद्यार्थियों को भी इस विश्वविद्यालय में अध्ययनरत विद्याार्थियों की भांति निःशुल्क शिक्षा, भोजन एवं छात्रावास की सुविधा प्रदान करने का निर्णय लिया है। भूकम्प पीडि़तों की पुनर्वास में सहायता करने के लिए विश्वविद्यालय के शिक्षकों तथा छात्र-छात्राओं का एक दल साइन लैंग्वेज इण्टरप्रेटर के साथ नेपाल की यात्रा करेगा। इस दल में विश्वविद्यालय में अध्ययनरत 02 नेपाली विद्यार्थी भी शामिल होंगे। विश्वविद्यालय के कुलपति सहित समस्त शिक्षकों और अधिकारियों ने अपना एक दिन का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में देने का निर्णय भी लिया है।
इसके अलावा, राज्य सरकार से भूकम्प पीडि़तों के सहायतार्थ अनेक निजी एवं स्वयंसेवी संस्थाओं तथा सामान्य नागरिकों ने राशन, खाद्य सामग्री, कपड़े, दवाइयां, अन्य आवश्यक वस्तुएं एवं श्रमदान करने हेतु सम्पर्क किया है, जिसे नेपाल सरकार से समन्वय स्थापित कर हस्तान्तरित कराया जा रहा है।
प्रवक्ता ने कहा कि नेपाल से आ रहे भूकम्प पीडि़त शरणार्थियों के लिए मुख्य राहत शिविर गोरखपुर विश्वविद्यालय में स्थापित कर दिया गया है। इसके अलावा, कैम्पियरगंज जनपद गोरखपुर में कन्ट्रोल रूम/सहायता केन्द्र स्थापित है, जो भूकम्प पीडि़तों को गोरखपुर विश्वविद्यालय स्थित मुख्य राहत शिविर तक पहुंचने में सहायता प्रदान कर रहा है। कैम्पियरगंज कन्ट्रोल रूम का नं0-05512201004, 9454416232 है। राज्य सरकार द्वारा सीमावर्ती जनपदों में स्थित सीमा चैकियों पर राहत शिविर स्थापित किए गए हैं। इन राहत शिविरों में खान-पान की उचित व्यवस्था के साथ-साथ जीवनरक्षक दवाइयां व स्थानीय चिकित्सकों की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। नेपाल बार्डर कोयला बासा के समीप, एस0एस0बी0 कैम्प के पास भूकम्प पीडि़तों को भोजन, जल एवं चिकित्सा प्रदान करने के लिए राहत शिविर स्थापित किया गया है।
प्रवक्ता ने बताया कि नेपाल में भूकम्प पीडि़तों को चिकित्सीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश के चिकित्सकों की टीमें एम्बुलेंस एवं आवश्यक सामग्री के साथ विभिन्न स्थलों पर तैनात हैं। बिहार से लगी हुई नेपाल की सीमा पर किंग जाॅर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ के 45 चिकित्सक एवं 05 एम्बुलेन्स तैनात हैं। इनकी 3 टीमें तीन स्थानों खेलते, सिलेंटर तथा धाडिंग में क्रियाशील हैं। इसके अलावा, इण्डियन मेडिकल ऐसोसिएशन बनारस द्वारा चिकित्सकों की टीम के साथ 2 एम्बुलेन्स तथा 400 यूनिट ब्लड एवं रक्त अवयव, आॅर्थोपेडिक इम्प्लाण्ट एवं डेªसिंग मैटीरियल तथा हेरिटेंज हाॅस्पिटल बनारस द्वारा 3 एम्बुलेन्स तथा 110 यूनिट ब्लड नेपाल भेजा गया है।

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