24 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

नितिन गडकरी ने बिहार में महात्मा गांधी सेतु के पुनर्निर्मित अपस्ट्रीम कैरिजवे (नदी के ऊपर पैदल चलने वाले रास्ते) को आम लोगों को समर्पित किया

देश-विदेश

नई दिल्ली: केन्द्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री श्री नितिन गडकरी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बिहार में गंगा नदी पर महात्मा गांधी सेतु के अपस्ट्रीम कैरिजवे (नदी के ऊपर पैदल चलने वाले रास्ते) का उद्घाटन किया। इस समारोह की अध्यक्षता बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने की। केंद्रीय मंत्री श्री राम विलास पासवान और श्री रविशंकर प्रसाद, केन्द्रीय राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वी. के सिंह, श्री अश्विनी चौबे और श्री नित्यानंद राय, उप-मुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी, राज्य के पथ निर्माण मंत्रीश्री नंदकिशोर यादव, संसद सदस्य श्री राजीव प्रताप रूडी, श्री राम कृपाल यादव, श्री पशुपति कुमार पारस और श्रीमती वीणा देवी, केंद्र सरकार और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी इस समारोह में शामिल हुए।

      यह 5.5 किलोमीटर चार लेन पटना और हाजीपुर के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग-19 पर स्थित है। इसका निर्माण 1742 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है। इसमें नए स्टील डेक अधिसंरचना द्वारा पुराने पुल के मौजूदा कंक्रीट अधिसंरचना का प्रतिस्थापन किया जा रहा है। इस पुल का निर्माण कार्य जून 2017 में काम शुरू किया गया था, जिसे दो हिस्सों में पूरा किया जाना है। अपस्ट्रीम लेन को जुलाई 2020 में पूरा कर लिया गया है। इसके बाद डाउनस्ट्रीम लेन को ऊपर ले जाया जाएगा और इसे 2021 तक पूरा कर लिया जाएगा। पुराने बने पुराने कंक्रीट की जगह अब स्टील का अपक्षय लगाया जा रहा है जिसमें लगभग 6600 मीट्रिक टन स्टील का प्रयोग होगा जिसके बाद यह संरचना एक नए स्टील सुपरस्ट्रक्चर की तरह हो जाएगी। इस तरह का कार्य भारत में पहली बार निष्पादित किया जा रहा है। इससे उत्तरी भाग के हाजीपुर, छपरा, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, सीवान जिले और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों को लाभ होगा। वहीं और दक्षिणी भाग के पटना, आरा, अरवल, जहानाबाद, नालंदा, गया, औरंगाबाद जिले औप झारखंड के भी कुछ जिले लाभान्वित होंगे।

      इस अवसर पर बोलते हुए श्री गडकरी ने कहा, मौजूदा ढांचे में सुधार के लिए आधुनिक तकनीक के उपयोग से बनने वाला यह पहला पुल है। उन्होंने इसे इंजीनियरिंग के क्षेत्र में चमत्कार बताते हुए कहा, यह सिविल इंजीनियरिंग के छात्रों के लिए एक अच्छा उदाहरण हो सकता है। उन्होंने पटना में गंगा नदी पर एक नए पुल की घोषणा की, जो कि 5 किमी लंबा होगा, उसके बाद गंगा नदी में जहाजों (स्टीमरों) की आवाजाही को फिर से अनुमति प्रदान कर दी जाएगी। उन्होंने कहा, इसके लिए अगले महीने निविदा जारी की जाएगी और उसके बाद काम जल्द शुरू होगा। इस पर करीब 3,000 करोड़ रुपये लागत आने का अनुमान है। मंत्री श्री गडकरी ने राष्ट्रीय जलमार्ग नेटवर्क के अपने सपने को याद करते हुए कहा कि जिसके तहत उत्तर प्रदेश के प्रयागराज और पश्चिम बंगाल के हल्दिया के बीच गंगा नदी में तीन मीटर गहराई तक पानी की उपलब्धता सुनिश्चित किया जाना है। उन्होंने कहा, प्रयागराज और वाराणसी के बीच निकर्षण (ड्रेजिंग) का काम पूरा हो गया है। अगले चरण में, दिल्ली और प्रयागराज के बीच यमुना नदी में एक मीटर के मसौदे पर काम किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस चरण के लिए 12,000 करोड़ रुपये का डीपीआर पहले ही विश्व बैंक को प्रस्तुत किया जा चुका है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही दिल्ली और हल्दिया के बीच जलमार्ग यात्रा का उनका सपना पूरा होगा।

      श्री गडकरी ने बिहार के राजनीतिक नेतृत्व से बड़े पैमाने पर नदी परिवहन को अपनाने पर विचार करने का आह्वान किया, क्योंकि यह एक सस्ता और पर्यावरण के अनुकूल साधन है। उन्होंने कहा कि वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए नदी परिवहन को अपनाकर, सरकारें और व्यावसायिक समुदाय आसानी से अपनी लागत में कमी ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि इससे अर्थव्यवस्था को मंदी से बाहर आने में भी मदद मिलेगी।

      मंत्री श्री गडकरी ने बताया कि बिहार में 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से किए जा रहे पुल निर्माण के कार्यों से राज्य में रोजगार के अवसर पैदा होंगे जो बेरोजगारी के परिदृश्य को बदल देगा। उन्होंने जनसंख्या के बड़े हिस्से में व्याप्त गरीबी, बेरोजगारी और भुखमरी को खत्म करने के लिए औद्योगीकरण की वकालत की। उन्होंने कहा, गरीब और बेरोजगार लोगों को आर्थिक गतिविधि की मुख्यधारा में लाने से ही वास्तविक विकास हो सकता है। उन्होंने राजमार्गों पर एमएसएमईसमूहों के विकास के माध्यम से कारीगरों और हस्तकला तथा हथकरघा श्रमिकों की विशाल क्षमता का उपयोग करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा, एक खुशहाल, समृद्ध, संपन्न और मजबूत आबादी किसी भी विकसित राष्ट्र की रीढ़ होती है।

      मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री के प्रयासों का स्वागत किया जिन्होंने पिछले वर्ष राज्य के लिए एक बड़े विकास पैकेज की घोषणा की थी। उन्होंने राज्य में राजमार्गों और पुलों के कार्यों को तेजी से पूरा करने के लिए श्री गडकरी की सराहना की। हालांकि, उन्होंने केन्द्रीय मंत्री से मौजूदा विक्रमशिला पुल के समानांतर एक और 2 या 4 लेन के पुल पर भी विचार करने का अनुरोध किया। उन्होंने बक्सर और वाराणसी के बीच सीधे मार्ग की आवश्यकता की ओर भी संकेत किया। मुख्यमंत्री ने यातायात के सुगम प्रवाह के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) की चौड़ाई में एकरूपता की आवश्यकता पर भी ध्यान दिलाया।

      मुख्यमंत्री ने एमएसएमई क्षेत्र पर श्री गडकरी के सुझाव का स्वागत किया, और बताते हुए कहा कि राज्य सरकार वापस आए प्रवासी श्रमिकों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। उन्होंने कहा, एमएसएमई विकास में बिहार हमेशा सबसे आगे है, और राज्य में उच्च जनसंख्या घनत्व को देखते हुए, इस संबंध में केंद्रीय सहायता में वृद्धि के लिए भी मैं मंत्री महोदय से अनुरोध करता हूं। श्री नीतीश कुमार ने कहा, सरकार वह सारे प्रयास कर रही है जिससे राज्य में लोगों की पूंजीगत आय में वृद्धि संभव हो सके।

      केंद्रीय मंत्री श्री राम विलास पासवान ने 1977 से अपने हाजीपुर के दिनों को याद करते हुए कहा कि उस दौराननदी पार करने के लिए सिर्फ स्टीमर सेवा उपलब्ध थी। उन्होंने कहा, उन्हें याद है कि कैसे लगभग पूरा दिन स्टीमर के इंतजार में और नदी पार करने में बीतता था। उन्होंने यह भी कहा किसंसद में भी कई मौकों पर उन्होंने इस मुद्दे को उठाया था।

      केंद्रीय मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद ने इसे बिहार के लिए ऐतिहासिक दिन बताया। उन्होंने कहा, यह इतना लोकप्रिय कार्य है कि अगर यह कोविड काल नहीं होता, तो लाखों लोग इस समारोह को में भाग लेने के लिए जमा होते। उन्होंने पटना के पास बख्तियारपुर के काला दियारा में गंगा नदी पर एक पुल के निर्माण का भी अनुरोध किया।

      बिहार के उप-मुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि यह परियोजना पिछले वर्ष माननीय प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 1,25,000 करोड़ रुपये के पैकेज का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि इसके तहत बिहार में सड़कों पर 53 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। उन्होंने याद किया कि जब राज्य में 2005 में सत्ता संभालने के समय केवल चार ही पुल थे, सरकार 14 और पुलों का निर्माण कर रही है, और उसके बाद बहुत जल्द राज्य में 18 पुल हो जाएंगे।

      केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वी. के. सिंह ने इस परियोजना के निर्माण का पूरा श्रेय श्री गडकरी को दिया। उन्होंने कहा कि आज पहला चरण पूरा होने के बाद, इसका दूसरा चरण 18 महीने में पूरा होगा। मंत्री ने बताया कि राज्य की समग्र प्रगति के लिए 30,000 करोड़ रुपये की लागत से राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच) के विकास का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा, बिहार में भूमि अधिग्रहण की दिशा में किसानों के खातों में सीधे 3,800 करोड़ रुपये पहले ही स्थानांतरित किए जा चुके हैं।

      बिहार में राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) की कुल लंबाई 5301 किमी है। जबकि यह 2014 तक 4554 किमी था। 747 किलोमीटर नए एनएच के अतिरिक्त लेन को जोड़कर कुल लंबाई बढ़ा दी गई है। वर्तमान में, बिहार के समग्र विकास के लिए लगभग 27,270 करोड़ रुपये की लागत से राजमार्ग और पुलों के निर्माण की विभिन्न परियोजनाओं के कार्य प्रगति पर हैं। मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास के लिए अधिग्रहित की जा रही भूमि के मुआवजे के रूप में किसानों को वितरित करने के लिए 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि को मंजूरी प्रदान की है।

      इसमें से, लगभग 6800 करोड़ पहले ही राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास के लिए अधिग्रहित की जा रही भूमि के मुआवजे के रूप में संबंधित किसानों के खाते में सीधे हस्तांतरित कर दी गई है। बिहार में प्रति 1000 वर्ग किलोमीटर पर एनएच का घनत्व बढ़कर 57.06 किमी हो गया है जो कई राज्यों के बराबर है।

      गंगा नदी और अन्य नदियाँ विभिन्न खंडों में बिहार को विभाजित कर रही हैं, इसलिए बिहार के सभी हिस्सों को विकास की धारा से जोड़ने के लिए प्रमुख पुलों की भारी आवश्यकता थी। तदनुसार, मंत्रालय ने गंगा नदी और कोशी नदी पर 5 प्रमुख पुलों के निर्णाण को स्वीकृति प्रदान की है जिनमें बक्सर पुल (बक्सर), न्यू गंगा पुल (पटना), विक्रमशिला पुल (भागलपुर), कोसी पुल (मधेपुर-भागलपुर) और साहिबगंज पुल (कटियार-साहिबगंज) शामिल हैं।

बिहार में प्रमुख पुल परियोजनाएं

(अ) पटना में नया गंगा पुल

  • क्षेत्र (स्ट्रेच)- जीरो से 14.500 किमी पटना और हाजीपुर के बीच एनएच-19
  • पुल की लंबाई– 5.634 किमी
  • कुल परियोजना की लंबाई -14.50 किमी
  • कैरिजवे- चार लेन पुल
  • स्वीकृत लागत – 2626.42 करोड़ रूपया
  • जोड़ – हाजीपुर को पटना से
  • कार्य प्रारंभ करने की तिथि – बोली के तहत
  • पूर्णता की अनुसूची तिथि – निर्माण अवधि 42 महीने
  • ट्रैफ़िक वॉल्यूम – लगभग 76000 पीसीयू
  • पुल की प्रमुख विशेषताएं– यह 242 मीटर में फैला है जिसमें 22 अतिरिक्त डोज़ पुल हैं जिसे भारत में पहली बार बनाया जा रहा और यब अब तक का सबसे बड़ा अतिरिक्त डोज़ पुल है।
  • पुल से लाभ – उत्तर बिहार को दक्षिण बिहार से जोड़ना

· लाभार्थी जिले – (उत्तरी भाग) हाजीपुर, छपरा, मुज़फ़्फ़रपुर, समस्तीपुर, दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, सीवान और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ जिले

· दक्षिणी भाग – पटना, आरा, अरवल, जहानाबाद, नालंदा, गया, औरंगाबाद और झारखंड के कुछ जिले

(ब) कोसी पुल

  • क्षेत्रीय फैलाव (स्ट्रेच)- बीरपुर-बिहपुर सेक्शन पर एनएच-106 के 106 किलोमीटर से लेकर 136 किमी तक
  • पुल की लंबाई- 6.930 किमी
  • कुल परियोजना की लंबाई – 30 किमी
  • कैरिजवे – फुटपाथ वाला चार लेन का पुल
  • स्वीकृत लागत – 1478.40 करोड़ रूपए
  • जोड़ना– मधेपुरा के फुलौत को बिहपुर से जोड़ना
  • कार्य प्रारंभ करने की तिथि – बोली के तहत
  • पूर्णता की अनुसूची तिथि –
  • ट्रैफ़िक वॉल्यूम – लगभग 76000पीसीयू

पुल की विशेषताएं– बीरपुर को बिहपुर से जोड़ने वाले एनएच-106 में 106 किमी से 136 किमी के बीच एक के भाग को जोड़ना है। इस पुल के निर्माण से नेपाल, पश्चिम बंगाल और बिहार के उत्तर पूर्वी हिस्से के साथ बिहार और झारखंड के दक्षिणी भाग से संपर्क सुगम हो जाएगा।

(सविक्रमशिला पुल

  • क्षेत्रीय फैलाव (स्ट्रेच)- एनएच -131बी भागलपुर नौगछिया के खंड 8.080 किमी से 14.309 किमी
  • पुल की लंबाई- 5.634 किमी
  • कुल परियोजना की लंबाई – 6.30 किमी
  • कैरिजवे–चार लेन पुल
  • स्वीकृत लागत – 110.23 करोड़ रूपया
  • जोड़ना – भागलपुर को नौगछिया से
  • कार्य प्रारंभ करने की तिथि – बोली के तहत
  • पूर्णता की अनुसूची तिथि –
  • ट्रैफ़िक वॉल्यूम – लगभग 17000पीसीयू
  • पुल की प्रमुख विशेषताएं- 4.367 किमी लंबे पुल में इंटीग्रेटेड पीएससीबॉक्स गर्डर और पीएससी-I केसाथ अतिरिक्त स्पैन का संयोजन है।
  • पुल से लाभ – पश्चिम बंगाल से सहरसा, मधेपुरा, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार के साथ पूर्वोत्तर राज्यों और नेपाल से भागलपुर, मुंगेर, बांका, जमुई और झारखंड की ओर जाने वाला यातायात; अभी भागलपुर और नौगछिया के बीच गंगा नदी के ऊपर मौजूदा दो लेन विक्रमशिला पुल का उपयोग हो रहा है। जिसके कारण यातायात अक्सर अवरूद्ध ही रहता है। मौजूदा संकटग्रस्त पुल के समानांतर इस पुल के निर्माण से औद्योगिक विकास को बढ़ाने के अलावा यातायात में सुविधा होने से परिवहन लागत भी कम हो जाएगी।

(द) बक्सर पुल

  • क्षेत्रीय फैलाव– 123.300 किलोमीटर से 124.439 किमी
  • पुल की लंबाई- 1.119 किमी
  • कुल परियोजना की लंबाई – 47.9 किमी
  • कैरिजवे – चार लेन पुल
  • स्वीकृत / पुरस्कृत लागत – 681.67 करोड़ रूपए
  • जोड़ना –
  • कार्य प्रारंभ करने की तिथि – 18-अप्रैल-2019
  • पूर्णता की अनुसूची तिथि – दिसंबर, 2021
  • ट्रैफिक वॉल्युम –
  • पुल की प्रमुख विशेषताएं-
  • पुल से लाभ –

(ड)साहिबगंज पुल

  • क्षेत्रीय फैलाव- झारखंड के साहिबगंज से बिहार के कटियार के बीच एनएच-131बी का शून्य किलोमीटर से 22 किमी तक
  • पुल की लंबाई- 6.00 किमी
  • कुल परियोजना की लंबाई – 21.685 किमी
  • कैरिजवे – चार लेन पुल
  • स्वीकृत / पुरस्कृत लागत – 1900 करोड़ रु.
  • जोड़ना – झारखंड के साहिबगंज को बिहार के कटियार तक
  • कार्य प्रारंभ करने की तिथि – सितंबर, 2020
  • पूर्णता की अनुसूची तिथि – सितंबर, 2024
  • ट्रैफ़िक वॉल्यूम – लगभग 17000पीसीयू
  • पुल की प्रमुख विशेषताएं – गंगा नदी पर बनने वाले 6 किमी लंबे पुल में अतिरिक्त बिंदीदार अवधि के 15 मॉडल हैं.
  • पुल से लाभ – पश्चिम बंगाल से सहरसा, मधेपुरा, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार के साथ पूर्वोत्तर राज्यों और नेपाल से भागलपुर, मुंगेर, बांका, जमुई और झारखंड की ओर जाने वाला यातायात; अभी भागलपुर और नौगछिया के बीच गंगा नदी के ऊपर मौजूदा दो लेन विक्रमशिला पुल का उपयोग हो रहा है। जिसके कारण यातायात अक्सर अवरूद्ध ही रहता है। मौजूदा संकटग्रस्त पुल के समानांतर इस पुल के निर्माण से औद्योगिक विकास को बढ़ाने के अलावा यातायात में सुविधा होने से परिवहन लागत भी कम हो जाएगी।

बिहार में विभिन्न परियोजनाओं की स्थिति

क्रम.सं. परियोजना का नाम स्थिति कार्य पूर्णहोने की निर्धारित तिथि
1 पटना बख्तियारपुर एनएच 30 99 प्रतिशत सितम्बर, 2020
2 हाजीपुर मुजफ्फरपुरएनएच 77 75 प्रतिशत जून, 2021
3 मुजफ्फरपुर सोनबरसाएनएच 77 99 प्रतिशत सितम्बर, 2020
4 सीतामढ़ी-जयनगर-नरहिया 45 प्रतिशत मार्च, 2021
5 छपरा-रेवाघाट-मुजफ्फरपुर 100 प्रतिशत मार्च, 2020
6 छपरा-गोपालगंज 92 प्रतिशत दिसम्बर, 2020
7 बिहारशरीफ-बरबीघा-मोकामा 87 प्रतिशत दिसम्बर, 2020
8 रेल-सह-सड़क मुंगेरपुल 40 प्रतिशत मई, 2021
9 किशनगंज फ्लाईओवर 50 प्रतिशत फरवरी, 2021
10 कोईलवर-भोजपुर 55 प्रतिशत जून, 2021
11 भोजपुर-बक्सर 40 प्रतिशत अक्टूबर, 2021

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More