लखनऊ: उत्तर प्रदेश के प्राविधिक शिक्षा मंत्री, प्रो0 शिवाकान्त ओझा ने डा0 अम्बेडकर इन्स्टीटयूट आफॅ टेक्नोलोजी कानपुर को निर्देश दिया है कि वहां विकलांग छात्रों को आकर्षित करने और छात्र संख्या बढ़ाने के लिए कुछ विशेष कार्यक्रम चलाये जायें, जो छात्रों की शारीरिक/मानसिक क्षमताओं को देखते हुए उनके अनुरूप हों और उन्हें ज्याद से ज्यादा रोजगार दिला सकें। प्राविधिक शिक्षा मंत्री ने आज यहां विधानसभा मुख्य भवन स्थित उनके कार्यालय में आयोजित डा0 अम्बेडकर इन्स्टीट्यूट आफॅ फार हैण्डीकैप्ड की प्रशासकीय परिषद की दशम बैठकी की अध्यक्षता करते हुए यह निर्देश दिए। बैठक में प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा एवं उपाध्यक्ष प्रशासकीय परिषद श्रीमती मोनिका एस0 गर्ग, संयुक्त सचिव व निदेशक, प्राविधिक शिक्षा तथा वित्त, नियोजन, विकलांग विभाग एवं न्याय विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि प्राविधिक शिक्षा विभाग द्वारा शारीरिक रूप से अक्षम (अस्थि एवं श्रवण बाधित) विद्यार्थियों को डिप्लोमा स्तरीय तकनीकी शिक्षा के माध्यम से उन्हें रोजगार उपलब्ध कराते हुए समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के उद्देश्य से डा0 अम्बेडकर इंस्टीटयृट आफ टेक्नालाजी फार हैण्डीकैप्ड, उ0प्र0, कानपुर की स्थापना वर्ष 1997 में की गयी थी। वर्तमान में संस्थान के डिप्लोमा अनुदानित पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत् छात्रों को निःशुल्क शिक्षा तथा निःशुल्क छात्रावास सुविधा दी जाती है इसके अतिरिक्त राज्य सरकार द्वारा रू0 1900/-प्रतिवर्ष की छात्रवृत्ति, रू0 2500/-प्रतिवर्ष की भोज्यवृत्ति, 02 डेªस प्रतिवर्ष, वाईफाई ब्राडबैण्ड इण्टरनेट इत्यादि की सुविधा उपलब्ध करवायी जा रही है।
उक्त छात्रों को विशिष्ट प्रशिक्षकों द्वारा रोजगारपरक प्रशिक्षण प्रदान कराया जाता है, जिससे छात्र प्रतिष्ठित कम्पनियों जैसे, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, विप्रो, बोडाफोन, एच0सी0एल, गोदरेज इत्यादि में सेवायोजन प्राप्त करते है। अधिसंख्य संख्या में छात्रों के प्रवेश हेतु हैण्डीकैप्ड फ्रेण्डली व वर्तमान में उद्योगों की मांग के अनुरूप रोजगारपरक कार्यक्रम चलाये जायेगंे। साथ ही श्रवण विकलांगता से प्रभावित छात्रों के लिए विशेष व्यवस्था अपनाते हुए यथाआवश्यकता पाठ्यक्रम में संशोधन किये जाने का भी निर्णय लिया गया।