नई दिल्ली/देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने नई दिल्ली में केन्द्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली से मुलाकात कर कहा कि उत्तराखण्ड को विशेष दर्जा प्राप्त राज्य की श्रेणी की सभी सुविधाएं दी जाय। 14वें वित्त आयोग द्वारा उत्तराखण्ड के संदर्भ में जो संस्तुति की गई है,
उसका पालन किया जाय। अर्द्ध कुम्भ 2016 के लिए 500-600 करोड़ रुपये की धनराशि शीघ्र जारी की जाय। मुख्यमंत्री श्री रावत ने केन्द्रीय वित्त मंत्री से चर्चा के दौरान कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा फंडिंग पैटर्न मे जो बदलाव किये गये है, उससे राज्य को काफी नुकसान हो रहा है। इस बात को 14वें वित्त आयोग द्वारा भी अपनी संस्तुति में कहा गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वित्त आयोग के अनुसार राज्य को लगभग 1300 करोड़़ रुपये का लाभ हो रहा है, जबकि अन्य विभिन्न केन्द्र पोषित योजनाओं में लगभग 3हजार करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है। यदि इस गैप की भरपाई केन्द्र सरकार द्वारा नही की जाती है, तो राज्य का विकास प्रभावित होगा। मुख्यमंत्री श्री रावत ने 13वें वित्त आयोग की संस्तुति पर राज्य के लिए स्वीकृति शेष धनराशि शीघ्र अवमुक्त करने का भी अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि लगभग 140 करोड़ रुपये की धनराशि अभी भी मिलनी शेष है, जो राज्य के लिए काफी महत्वपूर्ण है। यह धनराशि 5 नर्सिंग कालेजों, पर्यटन विकास, पुलिस थाने व चैक पोस्ट आदि एवं देहरादून में सीवरेज व्यवस्था व नई विधान सभा भवन के लिए आवश्यक है। मुख्यमंत्री ने राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों, विशेष राज्य का दर्जा आदि को ध्यान मे ंरखते हुए राज्य को एन.सी.ए., एस.पी.ए. और एस.सी.ए. की मदों में मिलने वाली सहायता राशि पूर्व की भांति जारी रखने और फंडिंग पैटर्न में ई.ए.पी., सी.एस.एस. और अन्य केन्द्रीय योजनाओं में राज्य को 90ः10 अनुपात में राज्य को योजनाओं के लिए धनराशि देने का अनुरोध किया। वर्तमान में केन्द्रीय करों में प्राप्त धनराशि उत्तराखण्ड को जो हिस्सा बना वह सिर्फ 1315 करोड़ रुपये बनता है। केन्द्रीय योजनाओं में कटौती व बंद होने के कारण 2014-15 में 2550 करोड़ रुपये होता है, और यदि इसमें 10प्रतिशत वार्षिक वृद्धि की जाय तो 2015-16 में लगभग 2800 करोड़ रुपये की धनराशि प्राप्त होनी चाहिए थी। इस प्रकार देखा जाय तो राज्य को कुल 1485 करोड़ रुपये का वर्ष 2015-16 में नुकसार हुआ है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि 14वें वित्त आयोग द्वारा यह भी कहा गया कि उत्तराखण्ड की विषम भौगोलिक परिस्थितियां है, जिस कारण यहां पर राजस्व प्राप्ति के कम साधन है और अवस्थापना सुविधाओं के विकास और रखरखाव पर अधिक धनराशि व्यय होती है। इन सभी तथ्यों को देखते हुए राज्य को विशेष सहायता की आवश्यकता है। विशेष श्रेणी राज्यों के गैर योजनागत राजस्व अंतर का मूल्यांकन केन्द्रीय करों में उनके भाग को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिये। इन राज्यों की आधारभूत संरचना का विकास का उत्तरदायित्व केन्द्र सरकार का होना चाहियें। विशेष श्रेणी राज्यों कीे योजनागत सहायता की समीक्षा होनी चाहिये। विशेष कारणों के होते हुए इन राज्यों को पूर्व वित्त आयोगों तथा योजना आयोग के अनुसार 90:10 अनुपात में भविष्य में तथा अन्य भारत सरकार की योजनाओं हेतु सहायता प्राप्त होनी चाहिये।
राज्य के संभावित राजस्व आंकलन हेतु 14वें वित्त आयोग द्वारा सकल राज्य घरेलू उत्पाद दर को 2014-15 से लिया गया, जो कि 2004-05 से 2013-14 तक के आधार पर थी। उत्तराखण्ड के संदर्भ में विशेष पैकेज प्राप्त होने से यह दर अत्याधिक रही। इस कारण नए राज्य में नये उद्योगों को स्थापित करने में यह सहायक रहा, परन्तु अब विशेष पैकेज की अवधि समाप्त होने और भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट होने के कारण राज्य की सकल घरेलू उत्पाद दर अत्याधिक कम हुई हैं। वित्त आयोग द्वारा करों तथा सकल राज्य घरेलू उत्पाद को ध्यान में रखते हुए सभांवित राजस्व आंकलन बहुत ही अधिक है, लेकिन वास्तविक नही है। उत्तराखण्ड मंे 2013 में विनाशकारी प्राकृतिक आपदा के कारण पर्यटकों का आगमन बहुत कम रहा। राज्य की 25 प्रतिशत से अधिक अर्थव्यवस्था पर्यटन पर आधारित हैं। इस कारण राजस्व को भारी हानि हुई है। राज्य में उपभोग स्तर में भी तीव्र गिरावट आ गई हैं, जिस कारण वैट, राज्य कर, वाहन कर, होटल कर, आदि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। एन.सी.ए. में कटौती और धन की कमी होने के परिणामस्वरूप हम राज्य क्षेत्र की कई योजनाओं को बंद करने पर मजबूर हैं। मुख्यमंत्री ने इस पर पुनर्विचार का अनुरोध किया। एस.पी.ए. की समाप्ति होने से वर्तमान तक संचालित कई परियोजनाएं जिनकों एस.पी.ए. के माध्यम से वित्तीय सहायता मिलती थी, बंद कर दिया गया। इसमें महत्वूर्ण विभाग जैसे उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, विद्यालयी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा, पीडब्लयू तथा खेल की महत्वपूर्ण योजनाओं को बन्द कर दिया गया था। इन योजनाओ का भविष्य अनिश्चियपूर्ण है। राज्य सरकार द्वारा इस सम्बन्ध में इन योजनओं को पूरा करने हेतु अवशेष धनराशि को शीघ्र जारी करने का अनुरोध किया गया है। योजनाओ में फंडिंग पैटर्न को बदलने से एन.सी.ए., एस.पी.ए. और एस.सी.ए. में मिलने वाली सहायता राशि के बंद होने से राज्य को अत्याधिक आर्थिक हानि उठानी पडे़ेगी तथा ऋण का भार भी उठाना पडे़गा। राज्य के सीमित संसाधनों, वित्तीय स्थिती तथा राज्य को विशेष श्रेणी राज्य की आवश्यकता को देखते हुए योजना सहायता की पुरानी पद्वति को जारी रखा जाय अथवा नीति आयोग के फ्लैक्सी फंड के माध्यम से हमारी हानि की क्षतिपूर्ति की जाय।
केन्द्रीय वित्त मंत्री द्वारा आश्वस्त किया गया कि 14वें वित्त आयोग द्वारा जो संस्तुतियां की गई है, उन पर सकारात्मक निर्णय लिया जायेगा। साथ अर्द्ध कुम्भ के लिए भी शीघ्र ही धनराशि जारी की जायेगी।